Abhinay Jha
ये सारा दौर काग़ज का है..
जरा इस आख़िरी दौर को देखिये..
दिल दर्द से खाली,
दिमाग़ अक़्ल से खाली
बातें बसीरत से खाली
वादे हकीक़त से खाली
जेब पैसे से खाली
थाल रोटी से खाली
शहर इंसान से खाली...
--- इब्ने इंशा.
जरा इस आख़िरी दौर को देखिये..
दिल दर्द से खाली,
दिमाग़ अक़्ल से खाली
बातें बसीरत से खाली
वादे हकीक़त से खाली
जेब पैसे से खाली
थाल रोटी से खाली
शहर इंसान से खाली...
--- इब्ने इंशा.
- Sonu Upadhyayकुछ ये भी जोडा है.. दादा... !!! कैसा है..?
उन तमाम बातों के सिवा
किसी को क्या याद रहेगा
जिस्म रहेगा खाली,
रूह जमीर से खाली
हाथ उठाएंगे साथी
हक के लिए, हक में बाकी
इल्म इतना तो होगा
जिंदगी जी है काफी
हां साथी, हां हाथ उठाएंगें साथी
हम जिन्हें रस्मे दुआ याद नहीं
हम जिन्हें सोजे मोहब्बत के सिवा
कोई बुत कोई खुदा याद नहीं......
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