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Showing posts from April, 2016

Bertold Brekht's Statemenet and Posts of 26 and 27 April 16

''सबसे निकृष्ट अशिक्षित व्यक्ति वह होता है जो राजनीतिक रूप से अशिक्षित होता है। वह सुनता नहीं, वह बोलता नहीं, राजनीतिक सरगर्मियों में हिस्सा नहीं लेता। वह नहीं जानता कि जि़न्दगी की कीमत , सब्जि़यों,मछली, आटा, जूते और दवाओं के दाम तथा मकान का किराया---- यह सबकुछ राजनीतिक फैसलों पर निर्भर करता है। राजनीतिक अशिक्षित व्यक्ति इतना घामड़ होता है कि इस बात पर घमण्ड करता है और छाती फुलाकर कहता है कि वह राजनीति से नफरत करता है। वह कूढ़मगज़ यह नहीं जानता कि उसकी राजनीतिक अज्ञानता एक वेश्या , एक परित्यक्त बच्चे और चोरों में सबसे बड़े चोर----- एक बुरे राजनीतिज्ञ को जन्म देती है जो भ्रष्ट तथा राष्ट्रीय और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का टुकड़खोर चाकर होता है। '' - ब्रेर्टोल्ट ब्रेष्ट ***** इनके बाप काँधे पे हाथ रख देते है, माँ का आँचल चेहरे पे झूल जाता है, बेटा इतना नजदीक है कि हवा भी बीच से निकल नही सकती।  देश का गरिमामयी परिधान मंत्री एक परिवार से इतना नजदीक और पानी लाने गयी 11 बरस की मृत योगिता के माँ बाप को राहत का एक दाना भी नही, बुन्देलखण्ड या मराठवाड़ा में एक पाऊल च

स्त्री और जेंडर समानता में प्यार Gender Equality, Women Liberalization and Love 25 April 16

स्त्री और जेंडर समानता में प्यार सारे जहां में घूमकर जब थक गयी तुम तो लगा कि एक बच्चा गोद ले लें , यह महिला आन्दोलन ही थे जहां तुमने बहुत काम किया था , माहवारी से लेकर प्रजनन जागरूकता के कामों से लेकर जन जागरूकता के काम , इस दौरान तुमने शादी जैसे उपक्रम में कभी बंधना नहीं चाहा , हालांकि यह भी सही था कि शादी कोई हल नहीं - एक सड़ते हुए समाज का आखिरी हथियार है आदमी को बाँध देने के लिए और हर बार प्यार और सीरियस रिलेशनशिप के नाम पर बचकर निकल गयी , बाप की अकूत संपत्ति थी , और बाकी तुमने यहाँ वहाँ घूमकर अपने जादुई हुस्न और हूनर से इतना इकट्ठा कर लिया था कि अब वैराग्य हो गया था वासना से , धनदौलत से और संसार के सारे पुरुषों से क्योकि इतना भोग लिया था तुमने कि अब यह बोझ बन गया था तुम्हारी आत्मा पर और दिलों दिमाग पर यह हावी हो गया था , और शादी के नाम पर भी तुमने प्रयोग किये जातीय - विजातीय छोटे बड़े उम्र के पुरुषों को दुहा और फिर उन्हें निकाल दिया किसी मख्खी की तरह जब तुम उकता गयी उसके साथ चार पांच महीनों में क्योकि स्त्री मुक्ति के बहाने तुम्हारे अन्दर पल रहे कीड़े कुलबुला रहे थे - फा

Posts of 24 April 16

***** Two roads diverged in a yellow wood And i took the path less travelled by And that has made all the difference Robert Frost ***** ये शाम है और अब रात फिर क्या - किसी को नही पता, जाग विभावरी का वृन्द गान अब सुनाई नही दे शायद .... ***** कुछ हिन्दी के स्वयं भू लेखक घर के रहे ना घाट के, जैसे रजत शर्मा राज्यसभा के मुगालते में था वैसे ही ये मेघावी लेखक ना सम्पादक बन पाए किसी तथाकथित घराने के और ना पुरस्कार जुटा पाएं बेस्ट सेलर के, बल्कि जो यहाँ वहाँ काला-पीला करके बने - बुने थे वहाँ से भी बेआबरू होकर हकाल दिए गये. मुगालतों में ऐसा ही होता है भिया, यह दिल्ली शहर और यहां की घटिया जमात ही कमीनापन के लिए प्रसिद्ध है.....अच्छों - अच्छों को लील गया यह शहर तो तुम क्या हो भिया........ हेँ ??? मने कि पूछ रिये है .... ***** ऊपर आसमां था, नीचे जमीन  बस नही था तो एक कोना जहां बैठकर, ठहरकर दो घड़ी अपने आप से ही बतिया लिया जाए ***** Frailty thy name is woman, You too Brutas ... William Shakespeare, the Father of Literature. Just reading once again today an

Posts of 23 April 16 बया का जन- मार्च 16 का अंक

बया का जन - मार्च 16 अंक मिला । संपादकीय टीम का पृष्ठ देखकर थोड़ा आश्चर्य हुआ, खैर "प्यार तो होना ही था"। संजीव बख्शी  जी का उपन्यास अलग से छपा है फिर बया में देने का उद्देश्य समझ नही आया। सुरेश सेन निशांत की रचना प्रक्रिया और कविताएँ अच्छी है पर डा अरुण होता की टिप्पणी हमेशा की तरह बहुत लम्बी है और कही कही उबाऊ भी जिसे संपादित किया जा सकता था। मण्डलोई जी कविताएँ एक मुहावरा किस्म की है जो मैं उजास इलाहाबाद से देख समझ रहा हूँ, मंडलोई जी एक अच्छे सम्पादक है अब, कविताएँ लिखकर छप वाने का मोह अब उन्हें छोड़ना देना चाहिए। अविनाश मिश्र जो आजकल फेसबुक पर नही है , कि कविताएँ आश्वस्त करती है कि तमाम विवादों और गंवईपन के बाद भी वो खरी बात कविता के बहाने कहता रहेगा। कहानियाँ पढी नही पर स्व पंकज सिंह पर संस्मरण अच्छा है और आनंद स्वरुप वर्मा ने पुराने आंदोलनों के बहाने तत्कालीन युवा संघर्ष और मुद्दों को सही पकड़ा है। भाई  Gouri Nath i के सम्पादन में अंतिका प्रकाशन का यह अंक अच्छा है पर गौरी नाथ संपादकीय में कई बातो को छूकर निकल गए थोड़ी तसल्

देवास में विष्णु नागर 22 April 2016

देवास में विष्णु  नागर   Vishnu Nagar   जी, "ईश्वर की कहानियों" वाले, वरिष्ठ मीडियाकर्मी और लेखक, कवि, कहानीकार और अग्रज देवास में आज शाम हम सबसे मिलें, विष्णु जी शाजापुर के रहने वाले है और देवास के दामाद है. उन्होंने अपनी कई कविताएँ पढी और मीडिया के सन्दर्भ में आज के राजनैतिक हालातों की चर्चा की. उनकी एक कविता जो मुझे बहुत पसंद आई, विशेष रूप से आपके लिए ......... तोप ******* माना कि आप बहुत बड़ी तोप है बल्कि इस देश की सबसे बड़ी तोप है लेकिन किसी ने बनाया है तभी तो आप तोप है किसी ने बारूद भरी, तभी तो आप तोप है किसी को चलाना आता है  तभी तो आप तोप है और तोप है तो भूल गए क्या कि मशीनगनों और बमों के जमाने में तोप है

उत्तराखंड हाई कोर्ट का फैसला और मोदी सरकार Posts of 21 April 16

उत्तराखंड हाई कोर्ट का  फैसला और  मोदी सरकार  लगता है किन्नर समाज की पेशवाई पूरे देश में ही निकल गयी आज इस बीच उज्जैन में संतों की सिंहस्थ में बैठक हुई और यह तय हुआ कि शक्तिमान की आत्मा ने बेचारी भाजपा को सताने के लिए हाई कोर्ट जज की आत्मा में प्रवेश कर यह फैसला लिखवाया है, लिहाजा शिवराज जी राज्य मद से 5000 करोड़ अतिरिक्त खर्च कर शक्तिमान की आत्मा की शान्ति के लिए विशाल यज्ञ करेंगे और कैलाश जी को भी सदबुद्धि देने की दुआ करेंगे । ॐ शान्ति, ऊँ शान्ति, ऊँ शान्ति !!! असल में गुजरात के बाहर भी देश है यह बाल नरेंद्र ने आसाम से लेकर लद्दाख और मेडिसिन स्क्वेयर से लेकर आस्ट्रेलिया में चाय बेचते समय देख लिया था, थोड़े से ये विश्वस्त लोग जैसे विस्मृति, कैलाश, अमित, नित्यानंद, नितिन, निहालचंद्र, शिवराज, वसुंधरा, रमण सिंह या योगीनाथ और साध्वी बहनें किशोरावास्था में मिल जाते तो गुजरात में दस साल बर्बाद नही करते और तीस - चालीस साल से वे इंग्लैण्ड की रानी की तरह इस जम्बू द्वीप के स्थाई प्रधानमन्त्री हो जाते और देश के राज्य ही खत्म हो जाते सिर्फ दिल्ली रहती और हम सब । अभी ठहरिये इनके ये ल

Posts of 20 April 16 Sid's Marriage

New Page of Siddharth's Life with Snehal  Finally the appointed day came when our dearest & most affectionate and pride son of Naik Family Siddharth and Snehal's marriage took place in Dewas on 16 April 2016 at Srishti Club, what was the great event and wonderful program, Just a WOW........ Blessings for the newly married couple and all the very best for their up coming Future. Both works in Mumbai at senior positions in their Companies. Congrats   Siddharth Naik  and  Snehal Tripathi Naik कुर्यात सदा मंगलम....... ***** एक अखबार में तीन चार संपादक मुख पृष्ठ से लेकर आख़िरी तक छपे रोज रोज बिला नागा, स्तम्भकार एनजीओ वाले या एक्टिविस्ट्स हो और आसपास के मिलने वाले हो, ना स्तम्भ, ना आलेख बस एक भीड़ उन्ही लोगों की जिन्हें उपकृत और चमत्कृत किया जाना है, खबरें सप्ताह पुरानी हो और जानकारी भी सिर्फ कॉपी पेस्ट, और विचारधारा का टोटका और एकदम विचार शून्य, - तो वह कम से कम अखबार तो नही है मेरी नजर में, एक एनजीओ का न्यूज बुलेटिन या, किसी कारपोरेट का मासिक, अपने

Posts from 10 to 20 April 16 NGOs Request

दोमुंहापन सीखना हो तो इनसे सीखो, देश के युवाओं को पढ़ाई से निकालकर जेलों में झोंक रहे है, विवि को घटिया इरादों का अखाड़ा बना दिया है, एक बारहवी पास शिक्षा मंत्राणी IIM में ज्ञान बाँट रही है, एक अफजल गुरु के वंशजों से मिलकर सरकार बनवाता है, किसान दस से बीस हजार के कर्ज के आत्महत्या कर लेता है, एक आदिवासियों की जमीन हथियाकर महिला के गुप्तांगों में पत्थर रखवाता है और मुंह पर जहरीला रसायन फिकवाता है नक्सलवादी मर्दानगी के नाम पर, एक दारु में लिप्त रहकर रानी बनी फिरती है, बुन्देलखण्ड में पीने को पानी नही और मामा सबको मामू बनाकर 5 हजार करोड़ बर्बाद कर देता है, और ढपोल शिरोमणि चौबीसों घण्टें भाषण के मूड में रहकर कुछ भी बकर करता है।  देश में काला धन लाने वाले अपने जमाईयों को सफ़ेद धन दिन दहाड़े ले जाने देते है, उद्योगपतियों की बीबियों की मुस्कान पर अरबों का कर्ज माफ़ कर देते है, एक घटिया कारपोरेट प्रधानमन्त्री के काँधे पर हाथ रखकर प्रशासन को ताकत दिखाता है, पद्मश्री जैसे राष्ट्रीय सम्मान गली मोहल्ले के चापलूसों को बाँट दिए जाते है और एक भांड को राष्ट्रपति बनाने के ख्वाब संजोये जाते है। अपनी