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Showing posts from August, 2019

Balkrishna Sharma Naveen Village Bhyana Shujalpur, MP 24 Aug 2019

कल मैं ,बहादुर ,ज्योति, निहारिका और वैभव हिंदी के बड़े कवि स्वर्गीय बालकृष्ण शर्मा "नवीन" के गांव भ्याना, शुजालपुर के पास, गए थे वहां उनके जन्म स्थल पर ग्राम पंचायत ने एक सामुदायिक भवन बना दिया है, हाई स्कूल में एक स्मारक बना है गांव में लगभग 2500 की आबादी है जिसमे से आधी आबादी मुस्लिम समुदाय की है परंतु जिस प्रेम और लगन से इन सब लोगों ने नवीन जी की स्मृति को "दादा जी" के रूप में याद रखा है वह अतुलनीय है, बहुत प्यार और सम्मान से इन लोगों ने हमसे चर्चा की, बात करते समय बार-ब ार यह लगा कि जिस तरह से वे लोग हर वर्ष 8 दिसंबर को नवीन जी की याद में कार्यक्रम आयोजित करते हैं और दूर दूर से लोगों को बुलाकर बढ़िया बातचीत करते हैं वह प्रशंसनीय है , शुक्र यह है कि हवा का जहर अभी गांव में पहुंचा नही है और सांझी संस्कृति, सांझी विरासत गांव में अभी भी जिंदा है सबसे अच्छी बात यह है कि गांव के लोग अभी भी उन्हें अपने "दादा जी" कहते हैं और उनके परिवार से, नवीन जी की यादों से जीवन्त संपर्क बनाए हुए हैं - वह काबिले तारीफ है बातचीत करते हुए लगा ही नही कि नवीन जी इस

दृष्ट कवि III week of Aug 2019

घटिया से कस्बे में कब प्रतियोगिता हो जाती है और कब परिणाम घोषित हो जाते है मालूम ही नही पड़ता, कविता प्रतियोगिता के ईनाम घोषित हुए तब अखबार से मालूम पड़ा कि एक ही कवि को ग़ज़ल, अतुकांत, छंद और गीत के लिए प्रथम, द्वितीय और तृतीय के साथ सांत्वना भी दे दिया, सिर्फ अखबार में आया मालूम पड़ा कि कुल 3 - 4 इंट्री ही आई थी तो आयोजक भी क्या करते - ख़ैर, पुरस्कार वितरण समारोह में { जिसमें 20 टुच्चे लोग चाय सुड़कने आये थे } में बापड़े कवि को एक बेशर्म का फूल भी नही दिया, आयोजक ने खुद ही नारियल  पकड़कर, शाल ओढ़कर और दस रुपये वाला हार पहनवा लिया दो चार लोगों के बीच इसे कहते है कवि की भयंकर वाली बेइज्जती पर आत्म मुग्ध तो तब भी हुआ जा सकता था, कवि के लँगोटिये ने जब मामला समझा तो सोशल मीडिया पे पेला, ठेला कि बहुमुखी प्रतिभा के शनि सॉरी, धनी को 5 पुरस्कार मिले तब कही जाकर कुछ लाइक - कमेंट आयें और पुरस्कृत कवि को कब्ज के बाद साफ शौच हुई बगैर इसबगोल लिए *** कार्यक्रम में यदि किसी राजनैतिक पिठ्ठू और आर्षद पार्षद टाईप को भी बुला लें आयोजक तो कार्यक्रम दो घँटे लेट होगा, इसके अलावा इनके लग्गू भग्गू और चूतिये

Himanshu Bajpeyi, Gobar Goumutra and media, Shahi karela et Posts fro 13 to 23 Aug 2019

बचपन में स्व सुधीर फड़के की गीत रामायण हर मराठी घर मे बजती थी 12 कैसेट का सेट आता था, मेरे यहाँ अभी भी पड़ा है, सुधीर फड़के इस धरा पर तब तक जीवित रहेंगे जब तक संसार है और यह सिर्फ गीत रामायण की वजह से - एक आदमी एक जीवन में कितना काम कर जाता है दादी, नानी सुनती थी, सुबह पाँच बजे से ये कैसेट शुरू हो जाते थे, बाद में माँ ने भी यह परम्परा जारी रखी, कई मराठी घरों में सुबह गीत रामायण और शाम को दिया बत्ती के समय राम रक्षा का पाठ आज भी होता है बस अब मोबाइल, तुमनली { youtube} पर बजते है आज देवास के राजकवि स्व झोकरकर जी की पुण्यतिथि पर उनके परिवार ने सुधीर फड़के के सुयोग्य पुत्र और प्रसिद्ध संगीतकार श्रीधर फड़के का गीत रामायण का कार्यक्रम रखा है अदभुत है यह कार्यक्रम - अभी लाइव सुन रहा हूँ तो स्मृतियों के कोनो कोनो में पड़े गीत, सुमधुर धुनें याद आ रही है, हॉल भरा हुआ है , हिंदी मराठी मिलाकर दो हजार लोग होंगे - सबके मुंह से गीत निकल रहें है लोक धुनें कितने गहरे घर कर जाती है बचपन में सुनी हुई - यह एहसास हुआ आज फिर कहता हूँ कि गायक हमेंशा ज़िंदा रहना चाहिए और सिर्फ गाये, राजनीति नही करें

गाथा जिसपर पारदर्शिता आवश्यक है Aug 2019

गाथा जिसपर पारदर्शिता आवश्यक है  1 किसी भी फेलोशिप को प्राप्त करने के लिए देने वाले का पड़ोसी होना जरूरी है देने वाले को गाहे बगाहे लिफ्ट देना, उसकी सब्जी भाजी की थैली उठाना, उसके बच्चे की पॉटी धोना और कभी कभी मौका मिलने पर संवेदनाओं का नाटक करना भी बेहद जरूरी है यदि आपके पास कुछ घटिया कहानी और काम के नाम पर बकवास कहानियां है जिन्हें सुनाकर आप महीनों मुफ़्तख़ोरी कर लोगों को पका सकते है तो आप सर्वथा योग्य व्यक्ति है यदि आप गांव कभी गए थे - दो चार पांच के साथ गमछा ओढ़कर , राजधानी से किसी के संग लदकर आंदोलनों और एक्टिविज्म के श्राद्ध में और अभी तक आपको एकाध दलित, आदिवासी या कोई और बाबू , पटवारी की कहानी याद हो तो आपको राष्ट्रीय स्तर की फेलोशिप जुगाड़ सकते है यदि आप किसी ब्यूरोक्रेट को लपेटे में लेकर एकाध बार पब्लिक में उससे तुम, या अपनत्व से बात कर लें और एकाध कभी भी क्रियान्वित ना होने वाला आदेश दो कौड़ी के विभाग से निकलवा दें तो फिर आप 65, 66 या 70 वर्ष के हो जाएं आपको फेलोशिप से जबरन नवाज़ दिया जाएगा अपनी व्यक्तिगत ज़िंदगी में आप भले ही विशुद्ध ब्राह्मणवादी रहें हो या अभी कान

Interesting Post on Local Measuring Units 10 August 2019

अपनी भाषा के अपने शब्द - एक पसेरी धान, दो धडी ज्वार, आठ आना की कोथमीर, नौवारी लुगड़ो, छह सूत की दीवार, दो गज, दो कोस , एक बिलास, छह अंगुल, दो मुठ्ठी, अंजुरी भर, छटाँकभर, आदि - कितने मीठे शब्द है और अपनत्व से भरे हुए है और मापन और त्वरित समझ का ये मजा आधुनिक मात्रक प्रणाली में कहां Comments  कश्मीरनामा पढ़ रहा हूँ वहां एक जिसमें जैन-उल-आब्दीन के समय उत्पादन को एक गधे की पीठ पर ढोये जाने वाले अनाज से नापा जाता था जिसे खरवार कहते थे। एक खरवार यानी एक गधे की पीठ पर जितना अनाज लादा जा सके। साथ ही जमीन नापने के लिए ज़रीब का प्रयोग शुरू किया गया। और ' रत्ती भर ' तो सब भूल गए। ' धेले भर ' की अकल भी खोजते थे उन दिनों । टका सेर भाजी टका सेर खाजा दो घड़ी" आम लइ आया एक बार हाट में से , मजे को रस करयो ने मजे लइ ने खायो  नो दन में ढाई कोस घनानन्द प्यारे सुजान सूनो  मन लेहो पे देहो छटांग नही मण भर अनाज लाख टके की बात कही आपने सोला आना सई. सब धान एक पसेरी है आजकल  खूब सुन्दर, रस भरी और गहरी बात कही सन्दीप भाई।  इन

Posts of 10, 11 and 12 Aug 2019

कल डिस्कवरी के कार्यक्रम में जानवरों से प्रेम दिखाते हुए श्रद्धेय मोदी जी ने कहा कि हम वसुधैव कुटुम्बकम वाले लोग है तो याद आया कि मोदी सरकार में 89 सचिव है जिनमे ओबीसी: 00 एससी: 01 एसटी: 03 सवर्ण: 86 और हमारी जनसंख्या का अनुमानित प्रतिशत है ओबीसी: 60-65% एससी: 15% एसटी: 07% साथ ही एक और छोटा सा सवाल जिस वसुधैव में सबका कल्याण सोचने के लिए माननीय मोदी जी 18 घँटे रोज़ खप रहे हैं बचपन से चाहे चाय बेचते समय, हिमालय में, मगरमच्छ पकड़ते समय , प्रचारक के रूप में या पिछले पूरे पांच साल बगैर छुट्टी के और अबकी बार भी - उस वसुधैव में मुस्लिम नही, दलित नही, अल्पसंख्यक नही और तो और हमारी जसोदाबेन भी नही तो कल्याण किसका कर रहें है बुरा ना मानियेगा, बस इस कम अक्ल का जिज्ञासा वश पूछा गया सवाल है ,अन्यथा ना लें - मैं मोदी जी के नेतृत्व और निर्णय क्षमता पर अति से भी ज्यादा विश्वास रखता हूँ, पूरी आस्था और सम्मान है दिल दिमाग़ में *** चाय बेचता था ( पिताजी ज़ेबख़र्च देते थे ) इस्त्री करके कक्षा का सबसे स्मार्ट बच्चा (आज भी है ) क्रोकोडायल की कहानी जारी है

राष्ट्रहित सर्वोपरि Posts of 8 Aug 2019

राष्ट्रहित सर्वोपरि ◆◆◆ Ravish  ने आज लिखा है कि युवाओं ने फिर उनसे चिरौरी करना आरंभ कर दिया है कि नौकरियों का अकाल है, परीक्षा ले ली परिणाम नही आएँ या नियुक्तियां नही हो रही मेरा सुझाव है कि बिल्कुल मदद नही करना चाहिए, कोई अर्थ नही है किसी को मदद करने का - ये लोग सौ जूते खाकर सिर्फ एक गिना जाये ही डिजर्व करते है मैंने लोगों की मदद करना बंद कर दिया है - सीधा कहता हूँ अपने विधायक या सांसद के पास जाओ, अब ना किसी को राह दिखाता हूँ कि समग्र आईडी के लिए क्या करें या बीपीएल में नाम कैसे जुड़वाएँ या मनरेगा के पोर्टल पर कुछ नही दिखाता या आयुष्मान योजना का कार्ड हो या किसी की सामाजिक सुरक्षा पेंशन का आवेदन लिखता हूँ , अपने मित्रों या सम्पर्कों के सन्दर्भ देना भी बंद कर दिया है - यदि ज़्यादा ही कोई पीछे पड़ जाएं या जिद करें तो फीस मांगता हूँ , कोई समाजसेवा का धंधा नही खोल रखा है - ना ही किसी देशी - विदेशी संस्थान से फेलोशिप ख़ाकर भठियारखाना खोल रखा है घर में जब भी कोई युवा नौकरी के लिये रिज्यूम भेजता है तो उसे स्पैम फोल्डर में डाल देता हूँ और अंत में एक साथ सिलेक्ट करके डिलीट कर देता

Abolishing Article 370 and 35 A - 5 Aug and 6 Aug 2019 Posts

साहसिक कदम पर देश को देश रहने दें ◆◆◆ मोदी एवम शाह का हिम्मती फ़ैसला 72 वर्षों में सरकार का बेहद साहसिक और हिम्मत भरा निर्णय, हार्दिक  बधाई  भले ही अलोकतांत्रिक होकर हड़बड़ी और पूरी दादागिरी से लागू किया गया हो बाकी सब ठीक पर नागरिकों से संयम से रहने की गुजारिश है, कृपया चुटकुलों से और भद्दे संदेशों से किसी को आहत ना करें हम एक है - यह बोलें ही नही व्यवहार में भी दिखाएं ●●● सवाल एक नही अनेक है - सबसे ज़्यादा मिलिटेंसी को लेकर है कि क्या सेना के जवानों की मौत में कमी आएगी, क्या बजट में अब पाकिस्तान का डर रक्षा मद में कम होगा और वह डायवर्ट होकर शिक्षा स्वास्थ्य और मानव विकास के सूचकांक बढाने में उपयोग होगा और क्या हम अब सच मे हिन्दू मुस्लिम की मानसिकता से बाहर आकर एक वृहद और वसुधैव कुटुम्बकम की दिशा में सोच को जमीन पर चरितार्थ कर पाएंगे मुझे लगता है कि लगे हाथों अगले सोमवार को संसद मन्दिर बनाने का भी कानून बनाकर सीपीडब्ल्यूडी को दिसम्बर तक भव्य मंदिर भी बनाने का आदेश दें - ताकि नव वर्ष से हम सिर्फ और सिर्फ विकासोन्मुख कामों को तरजीह दें *** कोख का कर्ज यूं चुकाओगे कम्ब

Posts of 3 and 4 Aug 2019

पेट भर सलाद ◆◆◆ एक ताज़े भुट्टे के (मकई) के दाने निकाल कर पानी मे पांच मिनिट उबाल लें, नीचे उतारकर एक बाउल में रखे एक शिमला मिर्च, दो हरी मिर्च, एक टमाटर और आधा छोटा खीरा बारीक काट लें अब इस मिश्रण को मकई के उबले हुए दानों में मिला लें थोड़ा सा नमक, कूटी काली मिर्च , चाट मसाला , एक बड़ा चम्मच नींबू का रस मिलाकर आधा चम्मच घी या मख्खन मिला दें स्वादिष्ट और बेहद पौष्टिक सलाद तैयार है भोजन हो गया अपना आज का # संदीप_की_रसोई *** दूध मांगो तो खीर देंगे ◆◆◆ 15 अगस्त का इंतज़ार कीजिये अबकी बार कुछ धांसू होगा - इसके पहले और 15 अगस्त पर सांत्वना वाले भाषण, आत्म मुग्धता के झंडे और दुनिया को बता दिया जाएगा कि हम ही महान है, हमने कश्मीर समस्या सुलझा ली है संभवतः नए सांसदों के प्रशिक्षण में दो दिवस यही योजना विस्तृत रूप से समझाई गई हो कि अपने इलाकों में लौट जाये और प्रशासन पर काबू रखें , सत्र के तुरन्त बाद अमित भाई कश्मीर में , तब तक घाटी से धर्मावलंबियों को सुरक्षित निकाल लिया जायेगा - एयर लिफ्ट तक करवाया जा रहा है अच्छी पहल है - खत्म करो, रोज - रोज की चिकचिक और अब अपने

प्रेम की वर्तनी - ज्योति देशमुख का पहला कविता संकलन 3 Aug 2019

कविता प्रेम के उफान की आकस्मिक सूचना है और किसी कवि का संग्रह उसके उद्दाम वेग का दस्तावेज़ , ज्योति का संग्रह जीवन के शुरू होते पाँचवे दशक का दस्तावेज है - जहां वो अपनी कल्पनाएं और अनुभव संजोकर एक क़िताब की शक्ल में लेकर पहली बकर आई है, सब कुछ छोड़ भी दे तो एक आश्वस्ति है कि यह संग्रह जीवंत और धड़कते दिल का सबूत है और कविता में होने का अर्थ ◆◆◆ "अब के जाओ तो छूकर देखना उन्हें  महसूस होगा मेरी सांसो का ताप मेरी आवाज का कंपन और वह रंग जो मेल खाता है मेरे रंग से" - पीले फूल ◆◆◆ "प्रेम उसकी सबसे कमजोर रग जिसे बचा लेना चाहती है वह हर चोट से सो ढाँके रखती है उसे तिरस्कार के आवरण से तुम्हें हटाना होगा उस आवरण को बिल्कुल वैसे जैसे हटाती है धूप अंधेरे को धरती से" - उसका लोहा Book on the table ज्योति देवास में रहती है इधर दो तीन वर्षों में उन्होंने बेहतरीन कविताएं लिखी है, रश्मि प्रकाशन से उनका संग्रह " प्रेम की वर्तनी " आया है, कल उन्होंने बड़े स्नेह से दिया है मदन कश्यप जी ने आमुख लिखा है, अभी इतना ही - बाकी पढ़ने के बाद शुभकामनाएं  Jyoti Desh

अपराधबोध में अपनी ही बिरादरी का कुंठित हो जाना Ravish Kumar 3 Aug 2019

अपराधबोध में अपनी ही बिरादरी का कुंठित हो जाना Ravish Kumar रविश भाई, मैग्सेसे पुरस्कार के लिए बधाई . यह पुरस्कार उन सब लोगों का प्रतीक है जो लड़ने के लिए कृत संकल्पित है पर अपनी बात रविश को माध्यम बनाकर कहते है यह जज़्बा बना रहे और आपकी प्रतिबद्धता ना मात्र जनता के प्रति बल्कि एनडीटीवी से भी सदैव बनी रही, कम से कम आपने एक दो रुपये बढ़ौतरी के लिए चैनल दर चैनल नही बदलें आपमें लोग अपनी आवाज़ देखते है और अपनी समस्याएं जिस अंदाज़ में खोलकर कहते है वह भरोसा कायम रखियेगा और यही एक दिन काम आएगा, बाकी नदियों का क्या हैं - पानी आता जाता रहता है , कभी कीचड़ भी आता है तो इंतज़ार करने को हम तैयार है - बह ही जायेगा अशेष शुभकामनाएं ऐसे ही बनें रहें सहज, सुलभ और उपलब्ध बहुत स्नेह और दुआएँ *** ◆ आईटी सेल का महकमा निलंबित, कमीने दो कौड़ी की पद्मश्री नही दिला सकें अंजना बैन को - पिछले 5 सालों में - भौंक भौंककर दुबलाई गई छोरी ◆ साला पूरा फेसबुक रँगा पड़ा है -सुधीर, रजत,अर्नब और अंजना टाईप आज कहाँ गायब है , रोटी मांगने और दूध पीने भी नही आये ◆ जनता समझ रही है स