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Showing posts from July, 2018

प्रेमचंद जयंती, आत्म मुग्ध और बंगलादेशी शरणार्थी 27 to 31 July 2018 Posts

40 लाख लोग आपके देश मे घुस आते है और आपकी सेना, सीमा सुरक्षा बल, पुलिस, टोल नाके और स्थानीय प्रशासन चुप रहा, कमाल यह कि 70 साल हम सबको कुछ नही दिखा - अब जब 2024 में भव्य राज्याभिषेक की तैयारी चल रही है - पवित्र देव भूमि "भारत" को एक विशेषण से सुसज्जित करने की तैयारी वाया 2019 के चुनावों के चल रही है - तो रजिस्टर बन रहे है बिल्कुल बनाओ - मोदी सरकार की यह मर्दानगी भरी कोशिश इतिहास में अमर होगी पर एक बार जो गांव - पंचायतों में पलायन रजिस्टर जिला प्रशासन बनवाता है उसका कोई फॉलोअप  है कहीं दस्तावेज के रूप में सबसे ज़्यादा बजट सेना, सीमा सुरक्षा बलों की टुकड़ियां गत 70 बरसों में खा गई सीमाओं की देखरेख करते और कर्तव्य परायणता के नाम ये जबर जनता देश मे घुस आई कैंटीन में सस्ती दारू इसलिए मिलती है क्या मक्कारों राहुल कह रहे है कि मनमोहन ने शुरू किया था ये तो कांग्रेस ने 56 बरसों में क्या किया भाजपा ने आसाम से लेकर उत्तर पूर्व और प बंगाल में लगभग चुनाव हार जाने तक कि रिस्क लेकर ड्राफ्ट बनाया है जिसमे हिम्मत लगती है अब दिक्कत यह है कि यह चुनावी मुद्दा बन गया बिहार, उप्र

24/25 जुलाई 2018 के यादगार पल अजमेर में

24/25 जुलाई 2018 के यादगार पल अजमेर में  ___________________________________ कुछ बे-ठिकाना करती रहीं हिजरतें मुदाम कुछ मेरी वहशतों ने मुझे दर-ब-दर किया -साबिर ज़फ़र ****** अजमेर में हूँ एक प्रशिक्षण में अचानक से फोन आता है कि आप कब तक रहेंगे - मैनें कहा क्यों , फिर थोड़ा सोचकर बोला कि अभी हूँ 2 दिन और ठीक है शाम को मिलते है कहां अजमेर में, पता भर बता दीजिए अबे ओ बिहारी, दिल्ली में पढ़े , केरल में नौकरी कर रहे ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता,सियाहत के लेखक - अजमेर राजस्थान में है केरल में नही , कहां से मिलेगा शाम को , दिमाग खराब है क्या दादा शाम को मिलते है... फोन कट गया ! दिनभर व्यस्त रहा शाम को अचानक फोन आया 520 पर, बस दो मिनिट में पहुंच रहा हूँ - बाहर आइये मैं कमरे से निकलकर बाहर आता हूँ तो देखता हूँ साक्षात आलोक बाबू सामने है , 8-9 साल बाद - सपना या सच अपने को चिकोटी काटता हूँ और गले लगा लियौ भींचकर तो यकायक आँसू निकल पड़े । संयोग ऐसे भी हो सकते है क्या, जीवन इतना सुखकर भी हो सकता है ? थोड़ी देर में एक मोहतरमा आती

शापित गंधर्व का उदित होना - मुकुल शिवपुत्र का पुनः महफ़िल में आना 22 July 2018

शापित गंधर्व का उदित होना ये जज्बा कितने दिनों तक बना रहेगा यह देखना होगा मुकुल तो खुद बाहर आना चाहता है इस सबसे पर मित्र और बाकी लोग चाहते है कि वो उसी मयखाने में डूबा रहें क्योकि उसके मैदान में आने से बहुत लोगों के संगीत की कलाईयाँ ही नही खुलेगी बल्कि धँधा भी चौपट हो जाएगा बात निकलेगी तो हिसाब किताब होंगे और फिर संगीत की सत्ताएं भी हिलेंगी और खतरे बढ़ेंगे यह दीगर बात है कि मुकुल का गायन समकालीन शास्त्रीय संगीत के परिदृश्य पर सबसे श्रेष्ठ, सशक्त और पूर्णतः अकादमिक है, मुकुल की गायकी में जो नूतनता और मौलिकता है वह कही से किसी कैसेट सुनकर घरानों की नकल नही लगती है और यही ठेठ पन, सादगी और रागों पर मजबूत पकड़ उन्हें महफ़िल में सम्मान भी देती है और शाश्वत पहचान भी मेरी नजर में वर्तमान समय मे वे एकमात्र ऐसे गायक है जो शास्त्रीयता की बारीकी को समझते ही नही, पकड़ ही नही रखते बल्कि नए प्रयोग और अनुसंधान से राग विराग को एक प्रभावी उच्च दिशा में ले जाने का साहस भी जोखिम के साथ रखते है , कबीर की परंपरा को वे बेहद अख्खड़ पन से लगभग तीन दशकों से जीते आये है - एक धोती और एक कु

तीन माह की बच्ची से चालीस साला औरतों के बीच मीडिया में चांटे , अग्निवेश की पिटाई Posts of 17 July 2018

सिर्फ मनुष्य होने का सपना भी खत्म हो गया और मैं, तुम, वो और हम - सब कुछ भी नही कर पाएं, हमारी एषणा हमें ही छलती रही - बस धीरे धीरे सब समाप्त हो गया तीन माह की बच्ची से चालीस साला औरतों के बीच मीडिया में चांटे  बहुत सालों से कह रहा हूँ कि जेंडर की बहस अब बराबरी, सिगरेट, शराब, सेक्स और वेतन की बराबरी या रसोई के काम तक सीमित नही है बल्कि मामला बहुत आगे जा चुका है यह अब सीधे सीधे सत्ता के उपयोग, दुरुपयोग, मीडिया में ट्रोल बनने और बलात्कार के साथ अदालतों में खड़े होकर पीटने से लेकर लाइव प्रोग्राम में धर्म के तथाकथित अपढ़ कुपढ मुल्ला मौलवियों और पंडितों और रसूखदारों पर हाथ उठाकर चांटा मारने और खाने तक आ गया है देश मे जो भी तनावग्रस्त, पति से हारी, सास - ससुर से तंग , तलाकशुदा , परित्यक्तताएँ , सेल्फ एस्टीम खोजती तितलियां है और एनजीओ में जेंडर की बहस में रुपया कमाने वाली और बहनापा जताकर घर बिगाड़ू औरतें है वे देख लें कि यह बहस कहां आ गई और अब रेडिकल एक्शन का समय है हमारे नीति निर्धारक, चापलूस और समाज के ठेकेदार भी समझ लें कि आपको बेटी पढ़ाओ और बेटी बचाओ से नही - कुछ और हथिय