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Showing posts from September, 2019

सन्डे हो या मंडे रोज़ खाओ अण्डे 20 Sept 2019

सन्डे हो या मंडे रोज़ खाओ अण्डे ◆◆◆ मध्यप्रदेश में कुपोषण एक स्थाई बीमारी है हर वर्ष लाखों बच्चे इसकी चपेट में आते हैं और मर भी जाते हैं सरल भाषा में कुपोषण अर्थात उम्र के हिसाब से ऊंचाई में कमी या वजन में कमी और शरीर के साथ दिमाग़ का पूर्ण रूपेण विकसित ना होना और बच्चे बार बार बीमार पड़ते है और अंत में मर जाते है यानी कुल मिलाकर बच्चे जो हैं मौत के मुहाने पर हैं , उनके आहार में माइक्रो न्यूट्रिएंट्स देकर और साफ पानी एवं स्वस्थ आदतें विकसित कर हम इससे मुक्ति पा सकते है और यह हमने प्रदेश के 4 जिलों के 100 गांवों में किया है जहाँ आज एक भी बच्चा कुपोषित नही है मध्यप्रदेश के आदिवासी ब्लॉक्स में स्थिति ज्यादा गंभीर है यहां पर पूर्ववर्ती सरकार ने किसी के कहने में आकर आंगनवाड़ियों में अंडा ना देने का निर्णय लिया था हम सब जानते हैं कि अंडा प्रोटीन का श्रेष्ठ स्रोत है और यह आसानी से उपलब्ध भी है आदिवासी इलाकों में अंडा, मटन, मुर्गा, या मछली आदि खाने का परंपरागत रिवाज है वहां इन चीजों को लेकर कोई छुआछूत या पैमाने नहीं है, ना ही शुचिता है - फिर क्यों वर्तमान सरकार कुपोषण को मिटाने के

Posts of II and III Week of Sept Bhopal Accident of 11 youths in Ganesh Visarjan

कुठियाला हो तो कोई विवि तीन करोड़ श्रेष्ठ विवि की लिस्ट में नही आएगा कभी ◆◆◆ माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल, का कुलपतित कुठियाला न पत्रकारिता पढ़ा था ना 20 साल का अनुभव था, न कभी उसने कुछ पढ़ाया फिर भी कुलपति बन गया इतना घोर फर्जीवाड़ा जिस सरकार ने किया हो वह सरकार उम्मीद करती है कि भारत के विश्वविद्यालय दुनिया के श्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में से एक होंगे आप सोचिए कि शिवराज सरकार ने सारे नियमों को ताक पर रखकर इसकी नियुक्ति की - जिस आदमी ने अपने चेंबर में शराब का बार बना रखा हो और अनाप-शनाप खर्च किए हो, स्टडी सेंटर के नाम पर बंदरबांट की हो और अयोग्य और घोर अपढ़ व्यक्तियों को नियुक्त किया हो उस आदमी का क्या किया जाना चाहिए अपने सरकारी दौरों में शराब पीने के विवि फण्ड से भुगतान किये, फिश एक्वेरियम घर ले गया - कितना नीच और घटिया होगा ये - क्या इनका शिक्षाविद यही है - जगसिरमौर बनाने की संस्कृति , इसलिए देशभर में "अम्ब विमल मति दें" जैसी पवित्र प्रार्थना गाते है कि इस तरह के लोगों से बल मिलेगा सारे कथित पापों को अफसोस यह है कि बहुत सारे मित्र वहाँ प्राध्यापक है

#सांप_के_सिर_पर_पांव Posts of Sept III week 2019

1 किसी प्राइवेट स्कूल में बिल्कुल छोटे बच्चों को सुसु करवाने से लेकर के ख ग घ को पढ़ाने वाली कोई कम अक्ल वाली महिला - जो प्रोफेसर से नीचे ना आंके खुद को, यदि किसी थर्ड क्लास सरकारी कर्मचारी के साथ ब्याह दी जाए और वह किसी जाहिल की कुसंगति में लिखने पढ़ने लगे तो फेसबुक जैसे माध्यम उसे लेखिका बनाकर ही छोड़ते है और ये कुसंगत के यार दोस्त जो विशुद्ध मूर्ख होते है उसे चने के झाड़ पर चढ़ा - चढ़ा के एक दिन साहित्यकार घोषित कर देते हैं और फिर वह महिला घटिया किस्म का साहित्य रचने लगती है और नकचढ़ी बनकर मठाधीश बनने का जतन करती है 2 हर शाख पे लोमड़ियां बैठी है अंजामे साहित्य क्या होगा लेखिका को सुंदर साड़ी पहनना जरूरी है, एक अपराध बोध होना जरुरी है कॉलेज में ना पढ़ा पाने का - हिंदी या अंग्रेज़ी भाषा कोई ध्यान नही देता तो घटिया मजाक का पहाड़ बनाकर जमाने की सहानुभूति बटोरना जरूरी है - टसुए बहाना और फिर कुसंगति के दोस्त आयेंगे आँसू पोछने मोदी, शिवराज या योगी की भक्तन बनकर हिंदी के हमदर्दों का प्यार बटोरना जरूरी है दो कौड़ी के कहानी संकलन और अपने रुपयों से उपन्यास छपवाकर फ्री में बांटना

10 सितंबर Post of 11 Sept 2019

10 सितंबर ◆◆◆ कमरा पूरा अस्त व्यस्त था - किताबों का अंबार लगा था पत्रिकाएं खुली पड़ी थी, कुछ कागज बिखरे पड़े थे , टूटे हुए पेन, जमीन पर ढुलकी हुई स्याही, खुला हुआ लैपटॉप, रेडियो , लेपटॉप का टूटा हुआ बेग, मोबाइल के चार्जर, यूएसबी, एक स्विच पर लटक रहा मोबाइल , फ्यूज बल्ब, धूल खाती ट्यूबलाईट्स, हेडफोन जो बुरी तरह उलझ गया था, बिस्तर पर अखबारों के ढेर थे , चादरे कहां छुप गई थी - मालूम नहीं पड़ रहा था तकिए की खोल में रोटी के टुकड़े और प्लास्टिक के बर्तन में पड़ी दाल , टमाटर , प्याज़ और खीरा के टुकड़े रोटी के साथ सलाद होने का इतिहास बता रहे थे, समझ नहीं आ रहा था कि यह कमरा है या किसी कबाड़ी का ठेला - परंतु जो भी था कमरा ही था , शराब की बोतलें इतनी थी कि उन्हें बेचकर इस मंदी में एक देशी अध्दा तो आ ही सकता था , पर अब मन उचट गया था शराब से भी लिहाज़ा उसे अब ग्लानि होती थी दीवार से सटकर बैठा हुआ वह शख्स ऊपर से टूटी हुई छत को देख रहा था जहां से लगातार तीन दिन से पानी टपक रहा था और उसके ठीक नीचे पानी का सैलाब था जो पूरे कमरे को गीला किए हुए था, उसका पैंट भी गीला होकर अब बदबू मार रहा था ,

Posts of 11 to 13 Sept 2019 Prayas Gautam and Amber Pandey's story

हम करें राष्ट्र आराधन ◆◆◆ एक ओर चाँद पर चंद्रयान, 104 उपग्रह छोड़ना दूसरी ओर न्यूटन, ग्रेविटी, मोर के आंसुओं से बच्चा, महाभारत काल मे इंटरनेट, कर्ण के समान पैदा होने / करने की तकनीक, बत्तख, गाय और ऑक्सीजन - मतलब दुनिया में ना इतने एक्ट्रीम पर रहने वाले मूर्ख ना कोई थे, ना है और ना होंगे कम से कम चरक या सुश्रुत को ही याद कर लेते, पतंजलि को ही याद कर लेते, पण्डिता रमा बाई को ही याद कर लेते या गार्गी को ही याद कर लेते गैलीलियो को जो चर्च ने सज़ा दी या ब्रूनो को जलाया या चर्च के आधिपत्य को ना मानने वालों के साथ अमानवीय व्यवहार किया वह कोई गलत नही था - सत्ता जब मूर्ख, उजबक, अपढ़ और अनपढ़ों के हाथ मे होती है तो वे सिर्फ ज्ञान का ही सत्यानाश नही करते बल्कि पूरी पीढ़ियों को बिगाड़ते है यह सिर्फ इस सरकार की बात नही विप्लव देव या केंद्रीय मंत्री उदाहरण नही बल्कि यह एक श्रृंखलाबद्ध सुनियोजित कार्यक्रम और संगठन कृत दुष्प्रचार का हिस्सा है इसी देश मे हम गोबर गणेशों ने गणेश की मूरत को दूध पिलाया है और वैज्ञानिकता को धता बताई है - याद है उस समय स्व प्रो यशपाल ने कितना लिखा , समझाया था प

Girish' s Birthday and Other Posts - Seminar of Universities etc Posts of Sept 2019 I and II Week

अढाकू और पढ़ाकू गिरीश को जन्मदिन की  बधाई मित्र , अनुज और जानदार शख्स है गिरीश, खूब पढ़ते है - हिंदी, अंग्रेज़ी, उर्दू और फ्रेंच और हम इनका भेजा कुछ पढ़ना शुरू करते ही है कि नया लिंक, पीडीएफ वाट्सएप में टप टप टपकने लगता है फिर पढ़ो और प्रतिक्रिया दो और इतनी विविधता सामग्री की - आप भौचक रह जाएं कि कहाँ से लाता है यह बन्दा इतने सन्दर्भ और फिर बहस, तार्किक चर्चा और अंत में सहज भाव से सब कुछ जज़्ब कर लेना काम और सिर्फ काम के प्रति प्रतिबद्धता और दोस्तों के लिए जान हाजिर, लंबे समय से दो स्ती है और आज जब दस साल की इस यात्रा को देखता हूँ तो लड़ाकू का विशेषण जरूरी लगता है जोड़ना - क्योकि लड़ाई सिर्फ लड़ाई नही - वह उसूलों की जियादा है बजाय कोई मूर्त लड़ाई के और वहां लड़कर ही गिरीश ने मकाम हासिल किया है और अपने आसपास के सर्कल में ही नही - बल्कि वृहद रूप में एक रोल मॉडल भी स्थापित किया है - इस पूरी सियाहत का, यंत्रणा और हिम्मत का साक्षी रहा हूँ , निष्पक्ष भाव से मैने समझने की कोशिश की है और क़ई निर्णयों में शामिल रहा हूँ इसलिए हम कुछ दो तीन लोग बहुत करीब है और गूंथे हुए से है मैं मुतमईन हूँ कि आ

डॉक्टर लाखन सिंह मरा नही करते 8 Sept 2019

डॉक्टर लाखन सिंह मरा नही करते ◆◆◆ आज ही अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस है और आज ही साथी डाक्टर लाखन सिंह , बिलासपुर की मृत्यु की सूचना मिली है  Himanshu Kumar  जी से सन 1990 की बात थी - दुनियाभर में अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता वर्ष मनाया जा रहा था देशभर के समाजवादी लोग, एनजीओ के लोग और विभिन्न शैक्षिक संस्थाओं के लोग साक्षरता मिशन से जुड़ रहे थे - यह वही वर्ष था जब प्रोफेसर स्वर्गीय यशपाल ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष के पद पर रहते हुए साक्षरता मिशन भी जॉइन किया था और आव्हान किया था कि एक वर्ष के लिये स्कूल कॉलेज और विश्व विद्यालय बन्द कर दो , पहली बार देश में राष्ट्रीय साक्षरता मिशन की स्थापना की गई थी और डॉक्टर लक्ष्मीधर मिश्र उसके पहले निदेशक बनाए गए थे मध्यप्रदेश में हम लोग एकलव्य और भारत ज्ञान विज्ञान समिति के माध्यम से तत्कालीन मप्र के 45 जिलों में साक्षरता का काम अभियान के रूप में आरंभ कर रहे थे, डॉक्टर संतोष चौबे, डॉ विनोद रायना, अमिता शर्मा, स्व आर गोपाल कृष्णन (आय ए एस) आदि जैसे लोग इस मिशन की अगुवाई कर रहे थे और जिलों में जिला साक्षरता समितियाँ बनाई गई थी

बहुत याद आते है वे शिक्षक - 01 सितम्बर 2019

बहुत याद आते है वे शिक्षक  पुराने राजवाड़े में स्कूल लगा करता था जिसकी दीवारें जर्जर हो चुकी थी और छतों से टपकता हुआ पानी उन दीवारों पर कंजी की एक मोटी परत बना देता था,आठ दस पुराने कमरों में सिमटा हुआ स्कूल, बहुत पुरानी टाट पट्टियां, शिक्षकों के लिए रखी हुई लकड़ी की कुर्सियां अपनी दास्तान अनूठे अंदाज में कहती थी पर जो लगाव, प्रेम और अपनत्व शिक्षक और छात्रों के बीच में था वह अद्भुत था। उन दिनों कक्षा की सफाई करते हुए हमें कभी झिझक महसूस नहीं हुई और घर से पीतल का लोटा माँझकर कर शिक्षकों को पानी पिलाना मानो हमारी दैनिक दिनचर्या का एक हिस्सा ही था और शिक्षक इस बहाने बच्चों के घरों से सीधे जुड़े होते थे - कोई फर्क नहीं पड़ता था कि वह पानी अखलाक के घर से आ रहा है , कैलाश के घर से या धर्मेंद्र के घर से - उन्होंने कभी नहीं पूछा अखलाक, कैलाश या धर्मेंद्र के माता पिता क्या करते हैं, उनकी जाति क्या है । हेड मास्टर पठान साहब सफेद झक पायजामा कुर्ता पहन कर और काली टोपी लगा कर आते थे और  जब रसखान कृत कृष्ण लीला पढ़ाते  "खेलत खात फिरे अंगना, पग पैंजनी बांध पीरी कछोटी, काग के भाग बड़े सज