Skip to main content

सन्डे हो या मंडे रोज़ खाओ अण्डे 20 Sept 2019

सन्डे हो या मंडे रोज़ खाओ अण्डे
◆◆◆

मध्यप्रदेश में कुपोषण एक स्थाई बीमारी है हर वर्ष लाखों बच्चे इसकी चपेट में आते हैं और मर भी जाते हैं
सरल भाषा में कुपोषण अर्थात उम्र के हिसाब से ऊंचाई में कमी या वजन में कमी और शरीर के साथ दिमाग़ का पूर्ण रूपेण विकसित ना होना और बच्चे बार बार बीमार पड़ते है और अंत में मर जाते है यानी कुल मिलाकर बच्चे जो हैं मौत के मुहाने पर हैं , उनके आहार में माइक्रो न्यूट्रिएंट्स देकर और साफ पानी एवं स्वस्थ आदतें विकसित कर हम इससे मुक्ति पा सकते है और यह हमने प्रदेश के 4 जिलों के 100 गांवों में किया है जहाँ आज एक भी बच्चा कुपोषित नही है
मध्यप्रदेश के आदिवासी ब्लॉक्स में स्थिति ज्यादा गंभीर है यहां पर पूर्ववर्ती सरकार ने किसी के कहने में आकर आंगनवाड़ियों में अंडा ना देने का निर्णय लिया था
हम सब जानते हैं कि अंडा प्रोटीन का श्रेष्ठ स्रोत है और यह आसानी से उपलब्ध भी है आदिवासी इलाकों में अंडा, मटन, मुर्गा, या मछली आदि खाने का परंपरागत रिवाज है वहां इन चीजों को लेकर कोई छुआछूत या पैमाने नहीं है, ना ही शुचिता है - फिर क्यों वर्तमान सरकार कुपोषण को मिटाने के लिए अंडा ना देने पर तुली हुई है
मध्यप्रदेश के कम से कम 89 ब्लॉक्स में जो पूर्णतया आदिवासी ब्लॉक है, में अंडा देने का आदेश जारी किया जाए - ताकि इन क्षेत्रों में कुपोषण को जड़ से मिटाया जा सके, इन क्षेत्रों के सांसद, विधायक और जनप्रतिनिधि सरकार पर, प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय कमलनाथ जी पर दबाव बनाए तो यह रणनीति कारगर होगी और बच्चों का स्वास्थ्य सुधरेगा
अभी मुझे डॉक्टर अशोक मर्सकोले जी , जो निवास, जिला मंडला के विधायक हैं, ने बताया कि कल वे एक कार्यक्रम में गए थे जहां विभिन्न प्रकार का पौष्टिक आहार गांव की महिलाओं ने बनाये थे और उनमें से एक अंडा भी था - किसी को भी असहज नहीं लगा और बच्चों ने बड़े चाव से खाया
अनुज डॉक्टर अशोक मर्सकोले, डॉक्टर हीरा अलावा जैसे हमारे पास उच्च शिक्षित डॉक्टर हैं जो क्रमशः जबलपुर मेडिकल कॉलेज और ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, नई दिल्ली से पढ़े हैं - ज्यादा बेहतर जानते हैं कि बच्चों को क्या पोषक आहार देना चाहिए, महिला बाल विकास की टेक्निकल टीम को ये मार्गदर्शन दे सकतें है, दोनों युवा विधायक है और कुछ करने का जज्बा भी रखते है
अच्छी बात यह है कि आज इन दोनों से बात की तो इन्होंने आश्वस्त किया है कि वे इस अभियान में मदद करेंगें

Comments

Popular posts from this blog

हमें सत्य के शिवालो की और ले चलो

आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत

संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है

मुझसे कहा गया कि सँसद देश को प्रतिम्बित करने वाला दर्पण है जनता को जनता के विचारों का नैतिक समर्पण है लेकिन क्या यह सच है या यह सच है कि अपने यहाँ संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है और यदि यह सच नहीं है तो यहाँ एक ईमानदार आदमी को अपने ईमानदारी का मलाल क्यों है जिसने सत्य कह दिया है उसका बूरा हाल क्यों है ॥ -धूमिल

चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास

शिवानी (प्रसिद्द पत्रकार सुश्री मृणाल पांडेय जी की माताजी)  ने अपने उपन्यास "शमशान चम्पा" में एक जिक्र किया है चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास अवगुण तुझमे एक है भ्रमर ना आवें पास.    बहुत सालों तक वो परेशान होती रही कि आखिर चम्पा के पेड़ पर भंवरा क्यों नहीं आता......( वानस्पतिक रूप से चम्पा के फूलों पर भंवरा नहीं आता और इनमे नैसर्गिक परागण होता है) मै अक्सर अपनी एक मित्र को छेड़ा करता था कमोबेश रोज.......एक दिन उज्जैन के जिला शिक्षा केन्द्र में सुबह की बात होगी मैंने अपनी मित्र को फ़िर यही कहा.चम्पा तुझमे तीन गुण.............. तो एक शिक्षक महाशय से रहा नहीं गया और बोले कि क्या आप जानते है कि ऐसा क्यों है ? मैंने और मेरी मित्र ने कहा कि नहीं तो वे बोले......... चम्पा वरणी राधिका, भ्रमर कृष्ण का दास  यही कारण अवगुण भया,  भ्रमर ना आवें पास.    यह अदभुत उत्तर था दिमाग एकदम से सन्न रह गया मैंने आकर शिवानी जी को एक पत्र लिखा और कहा कि हमारे मालवे में इसका यह उत्तर है. शिवानी जी का पोस्ट कार्ड आया कि "'संदीप, जिस सवाल का मै सालों से उत्तर खोज रही थी वह तुमने बहुत ही