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Showing posts from January, 2016

जेंडर और स्त्री स्वतन्त्रता के मुद्दे - शनिशिंगणापुर या शबरी माला तक सीमित नहीं है.

जेंडर और स्त्री स्वतन्त्रता के मुद्दे - शनिशिंगणापुर या शबरी माला तक सीमित नहीं है. सदा सुहागन रहो, दूधो नहाओ, घर की इज्जत, पति के चरणों में स्वर्ग है, ससुराल ही स्वर्ग है, चुड़ियों से लबरेज, मातृत्व के बिना अधूरी है स्त्री, जैसे मुहावरों से मुक्ति पाओ. आर्थिक स्वालम्बी बनो, अपने आने जाने पर पाबंदी हटवाओ, घर - परिवार से लेकर समाज के हर निर्णय में भागीदारी करो, अपनी जिंदगी अपनी मर्जी से खुलकर जियो, श्मशान में जाने की हिम्मत करो, अपने लोगों को मुखाग्नि देने का हौंसला रखो, शक्तिशाली बनो, छेड़छाड़ करने वाले को पटकनी दो, बलात्कारी को ऐसा सबक सिखाओ कि कही मुंह दिखाने लायक ना रहें, अपनी मर्जी से पसंद के आदमी से शादी करो या एकाकी जीवन बिताओ, दुनिया घूमो, राजनिती में आओ और सत्ता पर काबीज हो, आदि ऐसे मुद्दे है जिन पर लड़ाई करना है. मस्जिद , गिरजे, गुरुद्वारे और मन्दिर में घुसकर और एक पत्थर पर तेल चढ़ा लेने से कोई क्रान्ति नही होगी, संतान को प्राप्त करने के लिए जैविक प्रबंध करो, बाबाओं के आशीर्वाद और मन्नत मनवाने बैठी पाषाणकाल से उपेक्षित और जर्जर हो चुकी पत्थर की मूर्तियों से संताने

EM Forster - एडवर्ड मोरेगोन फास्टर – साहित्य का रंग बिरंगा चितेरा 25 Jan 16

एडवर्ड मोरेगोन फास्टर –  साहित्य का रंग बिरंगा चितेरा ई एम फास्टर अंगरेजी साहित्य के रंग बिरंगे चितेरे ऐसे कलाकार है जो आलोचना, निबंध और उपन्यास से लेकर जीवन के विविध पक्षों को अपनी कूची से उकेरते है और इस कूची से समूचे समाज की कमजोरियों और अच्छाईयों को गढ़ते है इसलिए वे मेरे पसंदीदा साहित्यकार रहे है. उनसे प्रभावित होने वाला मै ही नहीं वरन यहाँ मालवा में बसे अंगरेजी साहित्य के मुरीद अनेक लोग है, जो उनसे एक कशिश के साथ गहरा और संजीदा जुड़ाव महसूस करते है. फास्टर का इस इलाके विशेष में प्रसिद्द होना कोई संयोग नहीं बल्कि एक पूरी गाथा है जो इस मालवा की जमीन पर तत्कालीन ग्वालियर से धार स्टेट तक फैले मराठा साम्राज्य की सिंधिया, पवार, होलकर वंशों की लम्बी कहानियाँ है जिसमे किस्से है, दर्द है, पराक्रम है, पलायन है, युद्ध है, शोषण है, तिकड़मी राजनिती है, देश के दूसरे राज्यों में भागकर या भगाए जाने पर स्थापित होने की या दूर समुद्र किनारे बसे फ्रांसीसी राज्य के साथ विल्लेन हो रहे पांडीचेरी में रियासतों की खरीद फरोख्त की कहानियां है साथ ही यहाँ के लोगों की एषणायें है, अतृप्त इच्छाएं है औ

Posts of 21 Jan 16

Book on the table वाट्स एप पर क्रान्ति by  Anurag Pathak ***** जो देश अपने लोगों जो समझा नही सकता, अपने युवाओं को गलत रास्ते पर जाते हुए देखता है, आत्महत्या करने को मजबूर करता हो या धर्म के नाम पर जिहादी बनाता हो उस देश का भविष्य कभी भी सामाजिक, विकसित और सुरक्षित नही हो सकता। ‪#‎ भारतऔरपाक‬ ***** जैसे सबके दिन फिरे मोदी के भी फिरे ... अब 56 इंच में ना दम है ना काम करने की तमन्ना बची है, रही सही कसर उनके ही लोगों ने पूरी कर दी है.......हर घर मोदी के बजाय अब हाय हाय मोदी हो रहा है और याद रखना यह मोहरा अब बदलेगा, ना प्यादा बन पाया - ना वजीर, बस एक हाथी बनकर रह गया कही भी इधर उधर बिना उद्देश्य और बिना किसी मकसद के चलता चला गया. फिर कहता हूँ इससे बेहतर मनमोहन था देश के लिए जो कम से कम चुप तो रहता था और कुछ नहीं करता था. एक आम आदमी का भरोसा तोड़ना सबसे बड़ा छल है मोदी जी, ल ोग कमाकर मेहनत से अपने को और अपने परिवार को सुखी रखना चाहते है, नाकि दंगों की आग में अपनीऔलादों को बलि चढ़ाना चाहते है. किसी भी लोकप्रिय प्रधानमंत्री का मात्र दो साल में इतना भयानक ग्राफ गिरना क

Posts of 18,19 and 20 Jan 16

भोपाल में सोमेश मेनन, विमल जाट, अनुपा और अंशुल प्रताप सिंह के साथ यादगार मुलाक़ात....... ***** एक पढ़े लिखे युवा ने आत्म हत्या की है और तमाम जमात उसे ही गलत साबित करने पर तुली है। संस्कार कहाँ जाएंगे सदियों से दलितों को कुचलने में मगन रहे और अब बर्दाश्त नही हो रहा , एक घटिया आदमी लेंडी पीपल की बात करता है और अपने ब्राह्मणी संस्कार और संघी विरासत का भौंडा प्रदर्शन कर रहा है।बाकि की सारी भाजपाई संस्कृति उसे याकूब मेनन का सहयोगी बनाने पर आमादा है, दिमागी मवाद और कहा बहेगा ? नपुंसक और कायर लोग यही कर सकते है। जबकि एक जानकारी के अनुसार दत्तात्रेय खुद ओ बी सी से आते है पर अभी रामनामी चादर ओढ़े गन्दा धंधा कर रहे है ना तो क्या करें ? ***** अब डर लगता है तुम्हारी मुस्कुराहट से ख़ौफ़ होता है तुम्हारी चहलकदमी से हवाएँ भी बौरा जाती है तुम्हारे आने से समाज चौक उठता है तुम्हारी चुप्पी से एक मुस्कुराहट भी प्रलय ला सकती है एक सौजन्य भेंट युद्ध का आव्हान है क्यों घूमती है उंगली, क्या इशारा है दाढी का बाल गिरता है भूकम्प आता है सदियों में ये

Posts of 16 and 17 Jan 16

कल देवास में कुछ निहायत ही घटिया लोगों और संगठनों की टुच्ची राजनीति और प्रशासनिक लापरवाही से एक युवा की मौत हो गयी। वह नरेंन्द्र अभी एम बी ए पढ़ ही रहा था। उसके माँ बाप को प्रशासन ने एक लाख रूपये दिए है।दंगों के ठेकेदारों और मौत के सौदागरों तुम लोग डूब क्यों नही मरते या अपनी जवान औलादों को झोंक दो इस हिन्दू - मुस्लिम लड़ाई में। जाकर पूछो उन माँ बाप से जो गाँव से बच्चे को पेट काटकर पढ़ने भेजते है और तुम्हे शर्म नही आती मस्जिदों - मन्दिरों में तुम षड्यंत्र रचकर मौत का हैवानियत भ रा खेल खेलते हो। देवास का पूरा प्रशासन और मुस्लिम हिन्दू संगठन इस मौत के लिए बराबरी से जिम्मेदार है। देश का प्रधानमंत्री स्टार्टअप करता है और तुम देश के युवाओं को एन्ड अप कर रहे हो, तुम सब निकम्मे और कायर हो - जो लोगों की रोजी रोटी, संताने और देश का भविष्य छिनकर अपनी घटिया राजनीती चला रहे हो। इतिहास, तुम्हारा खुदा या ईश्वर कभी माफ़ नही करेगा। कहाँ हो संवेदनशील मुख्यमंत्री सिंगापुर में बैठकर उद्योगपतियों से हाथ मिला रहे हो, अरे तुम्हारे प्रदेश में युवा ही मर जाएंगे तो तुम्हारा मेक इन मध्यप्रदेश या इंडिया

Posts of 13 Jan 16 Pratap Pawar's Dance program in Dewas

1942 में धार, मप्र में जन्मे और धार, देवास में पढ़े लिखे पद्मश्री प्रताप पवार कत्थक शैली के गुरु है और एक बड़े कलाकार जो अब लन्दन  में स्थाई रूप से बस गए है. भारत सरकार ने उन्हें त्रिनिनाद में कत्थक सिखाने के लिए भेजा था पर जब वे लन्दन  पहुंचे तो वही के होकर रह गए पर अच्छी बात यह है कि वे भारतीय संस्कार और गुरु शिष्य परम्परा के वाहक है और लगभग 73 वर्ष की उम्र में भी काम करने का जज्बा देखते ही बनता है. पिछले 35 बरसों से वे साल में दो बार भारत आते है और प्रस्तुतियां देते है.  कल इंदौर में सफल प्रस्तुति के बाद आज देवास में उन्होंने प्रस्तुति दी अपने चार शिष्यों के साथ जिनमे से दो विदेशी थी, साथ ही एक विदेशी शिष्या ध्वनी और लाईट का प्रबंधन देखने आई थी. देवास के मल्हार स्मृति मंदिर का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सन 1952 में इस स्टेज से पहली बार नृत्य की सार्वजनिक प्रस्तुति दी थी और आज वे इतने सालों बाद यहाँ लौटे है. उन्होंने कहा कि जब वे यहाँ थे तो सोचा नहीं था कि जीवन में कुछ कर पायेंगे और उनमे आत्मविश्वास की बहुत कमी थी. बाबा साहब महाडिक ने उन

Posts of 12 Jan 16 International Youth Day

12 जनवरी 16 एक सार्थक दिवस _ अगर मालवा और कुमार जी घर में बीता पूरा दिन   मैंने अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया आज आगर मालवा जिले के लगभग एक हजार युवाओं के साथ. बत्तीस गाँवों के युवा आज इकठ्ठे हुए थे और सारा दिन इनसे खूब बात की, समझा और इनके भविष्य के लिए कुछ बातचीत की. गाँवों के इन होनहार बच्चों और युवाओं के साथ दिन बिताना बहुत ही सीखभरा रहा मेरे लिए. बच्चे और युवा अपने गाँव, समाज और बदलाव के लेकर बेहद सचेत है और चिंतित भी. वे समाज में फैले उंच नीच, जाति और सामंतवाद की जकडन से बाहर निकलकर कुछ ठोस और सार्थक करना चाहते है. खेती में सोयाबीन के नुकसा न के बाद खेतों में खड़े और खराब होते गेहूं को लेकर चिंतित है और वे कुछ ऐसा सीखना करना चाहते है जिससे गाँव में पानी रहे,इसके लिए जरुरी है एकता जिसकी कमी है परन्तु वे प्रतिबद्ध है कि वे अपने तई कोशिशें कर रहे है कि एकता बन जाए और कम से कम अपनी उम्र के समूहों में अर्थात पीयर समूहों में जाति, छुआछूत का दंश ना फैले और वे मिलकर संगठित होकर गाँव के विकास में सक्रीय भागीदारी निभा सकें. कार्यक्रम के अंत में दहेज़ ना ल

Posts of 10 Jan 16 - मप्र के मालवा में दंगों की सुगबुगाहट

मप्र के मालवा में  दंगों की सुगबुगाहट मप्र में इन दिनों अपेक्षाकृत ढंग से दंगों की सुगबुगाहट सुनाई दे रही है खासकरके मालवा क्षेत्र में यह संभावनाएं बढ़ गयी है और स्थिति प्रशासन की पकड़ से दूर होती जा रही है. यदि मै कहूं पुलिस का खुफिया तन्त्र और मुखबिरी का जाल फेल हो चुका है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी. इंदौर में पिछले दिनों मुस्लिम समुदाय ने जिस तरह से रीगल चौराहे पर खड़े होकर जो कार्यवाही की और डर पैदा करने का काम किया था वह अब मालवा के सुदूर इलाकों में नजर आने लगा है. मालदा, कमलेश तिवारी के बयानों से इस मालवा का कोई लेना देना नहीं है परन्तु पिछले दो - तीन दिनों से देवास में तनाव बना है और आज आखिर में जो परिणाम निकले है वह बेहद चिंताजनक है. दो दिन पहले मोती बँगला स्थित संघ की शाखा में बच्चों को खेलते हुए कुछ युवाओं ने मार पीट की तो थोड़ा मामला संगीन हो गया था, प्रशासन ने कार्यवाही की परन्तु कुछ लोगों को लगा कि यह पक्षपात पूर्ण कार्यवाही थी लिहाजा उन्होंने टी आई, कोतवाली को बर्खास्त करने की बात की. आज सुबह जब एक शौर्य यात्रा निकल रही थी तो एक दूकान के सामने कुछ युवा समूह में आ गये