12 जनवरी 16 एक सार्थक दिवस _ अगर मालवा और कुमार जी घर में बीता पूरा दिन
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मैंने अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया आज आगर मालवा जिले के लगभग एक हजार युवाओं के साथ. बत्तीस गाँवों के युवा आज इकठ्ठे हुए थे और सारा दिन इनसे खूब बात की, समझा और इनके भविष्य के लिए कुछ बातचीत की. गाँवों के इन होनहार बच्चों और युवाओं के साथ दिन बिताना बहुत ही सीखभरा रहा मेरे लिए.
बच्चे और युवा अपने गाँव, समाज और बदलाव के लेकर बेहद सचेत है और चिंतित भी. वे समाज में फैले उंच नीच, जाति और सामंतवाद की जकडन से बाहर निकलकर कुछ ठोस और सार्थक करना चाहते है. खेती में सोयाबीन के नुकसान के बाद खेतों में खड़े और खराब होते गेहूं को लेकर चिंतित है और वे कुछ ऐसा सीखना करना चाहते है जिससे गाँव में पानी रहे,इसके लिए जरुरी है एकता जिसकी कमी है परन्तु वे प्रतिबद्ध है कि वे अपने तई कोशिशें कर रहे है कि एकता बन जाए और कम से कम अपनी उम्र के समूहों में अर्थात पीयर समूहों में जाति, छुआछूत का दंश ना फैले और वे मिलकर संगठित होकर गाँव के विकास में सक्रीय भागीदारी निभा सकें. कार्यक्रम के अंत में दहेज़ ना लेने और ना देने की सबने शपथ ली जोकि सराहनीय था.
पूरे दिन इन युवा साथियों ने मुझमे जोश भर दिया और अनुभवी और सामाजिक कार्यकर्ता भाई Abhishek Sakalle की टीम ने जबरजस्त मेहनत से पूरे दिन को सार्थक बना दिया. आते समय मालवी तरीके से मित्रों ने जब साफा बांधा तो दिल भर आया. शुक्रिया दोस्तों आज आप लोगों के काम के बारे में थोड़ा सा जाना है पर जल्दी ही आउंगा और राजस्थान मप्र की सीमा पर बसे इस जिले में आप लोग जो अच्छा और महत्वपूर्ण काम कर रहे है वह देखने समझाने और सीखने आउंगा. इस सबमे सीहोर के अनुज तुषार हरणे का चार साल बाद मिलना भी कौतुक भरा एहसास था जो वहाँ स्वास्थ्य विभाग में बीपीएम है.
एक अच्छे और बेहतरीन आयोजन के लिए बधाई और शुक्रिया प्यार और सम्मान के लिए. और इस सारे फ़साने में Himanshu Shukla ना होता तो किस्सा अधूरा ही रह जाता, जो अनुपस्थित रहकर भी पूरे समय हमारे साथ था और मंच पर लग रहा था कि अभी गाने की शुरूवात हो जायेगी. हिमांशु हरदा में घर के कुछ निजी कामों में और अपने करीबी मित्र की स्मृति में आयोजित क्रिकेट स्पर्धा के आयोजन में व्यस्त है इन दिनों.
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स्व पं कुमार गन्धर्व जी चौबीसवीं पुण्यतिथि पर आयोजित संगीत समारोह में भानुकुल, देवास आज अभी अप्रतिम वादन और गायन की अभूतपूर्व प्रस्तुति के साथ सम्पन्न हुआ. पहला कार्यक्रम मुम्बई के मिलिंद रायकर के वायलिन वादन से आरम्भ हुआ और समापन औरंगाबाद की शुभदा पराड़कर के गायन से हुआ.
दोनों के साथ तबले पर बेहतरीन तबला Ramendra Singh Solanki ने बजाया जिसे सुनना बहुत सुखद था रामेन्द्र के तबले की थाप ने वायलिन को सुर और गायन को नई उंचाईयां दी. गायन में शुभदाजी की शिष्याओं के साथ हारमोनियम पर संगत की Vivek Bansod जी ने. शुभदा जी ने अपने घराने की बंदिशे सुनाई और महफ़िल लूट ली. ये दोनों प्रस्तुतियां इतनी चित्ताकर्षक थी कि उपस्थिति गुणीजनों को तृप्ति मिली.
कार्यक्रम का संचालन विदुषी Kalapini Komkali ने किया. इस अवसर पर देवास, इंदौर, उज्जैन और कई जगहों के सुधी श्रोतागण उपस्थित थे.
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