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Showing posts from October, 2018

Matured Rahul Gandhi, Tips of World Book fair 2019 and Karwachauth 30 Oct 2018

राहुल गांधी की आज की पत्रकार वार्ता जो इंदौर के सबसे महंगे होटल रेडिसन में हुई थी और सिर्फ चुने हुए पत्रकारों को जाने की और नाश्ते की इजाजत थी , अभी क्विंट पर सुनी राहुल सिर्फ परिपक्व ही नही बल्कि तार्किक भी हो गए है और उन्होंने अकेले ने भाजपा के मोदी शाह कम्पनी से लेकर संघ को सोचने पर मजबूर कर दिया है फलस्वरुप मोदी से लेकर शाह और छूट भैये गली मोहल्ले के टॉमी, कालू , शेरू, अनिता या सुनीता रूपी भक्त बौखला गए है और पढ़े लिखे जाहिल भी समझ नही पा रहे कि इस पप्पू को क्या जवाब दें मोदी से लेकर संघ का जमीनी कार्यकर्ता इसलिए अब ख़ौफ़ में है कि वो जवाब देने लगे है और इनके पप्पू कहने से बिदकते नही बल्कि पूरी दिलेरी से सूट बूट की सरकार से लेकर चौकीदार ही चोर है कहने का साहस रखते है मोदी ने इतिहास मरोड़कर नेहरू से लेकर पटेल और सुभाष से लेकर गांधी तक को अपने गलत इरादों और बुरी नीयत से बदनाम करके थूकने की कोशिश की वह उन सबके मुंह पर गिर रहा है यह लोग जान गए है , राहुल के जवाब देने के बजाय नेहरु को गाली देना कहां की बुद्धिमानी है महिलाओं के प्रति तीन तलाक से लेकर शबरीमाला के मंदिर में प्रवेश प

Posts of 28 Oct 2018

कांग्रेस तो देश से खत्म हो गई भिया अब भाजपा को ही सम्हालना हेगा अपना महान देश और फिर आज के नेताओं - पंचों, पार्षदों, विधायकों, सांसदों और मंत्रियों के बच्चे आगे आकर चुनाव नी लड़ेंगे तो क्या सड़क छाप कार्यकर्ता लड़ेंगे - साले एक वार्ड में रहते हुए अपने घर का शौचालय बनवाने की औकात नही और चुनाव लड़ेंगे हमारे मोई जी के मकान में रे रिये है, मोई जी के संडास में निपट रिये हेंगे और शिवराज मामा का एक रुपये वाला चावल खाके हमकू ई च डरा रिये साले हरामखोर और मीडिया वालों सुन लो हरामखोरों , जे वंशवाद नी हेगा - वो तो कांग्रेस में था , हम तो इसे परंपरा, संस्कृति वाहक और देश के लिए हिन्दू नायकों का राजधर्म कहते हेंगे समझे कि नी समझें , ज्यादा चूँ - चपड़ की तो वो जज का नाम क्या था रे घनश्याम, नागपुर वाला जो खत्म ईच हो गिया ठांय .....ठांय......ठांय...... ***** कल मेरे पड़ोस में किसी का देहांत हो गया तो मैंने अपने कुछ मित्रों को फोन लगाया कि आ जाओ क्रिया कर्म कर लें इसका भी 2 - 3 प्रकाशक मित्र थे - बोले - यार अभी क्रिया कर्म में तीन चार घंटे तो होंगे और फिर अब मामला 14 दिन तक चलेगा, आने वा

Posts of 26 and 27 Oct 2018 Karwa Chauth etc

बाज़ार से लौटा हूँ अभी 5 -7 साल पहले ट्राफिक की इतनी समस्या नही थी, भीड़ नही थी, रँग बिरँगे करवें नही थे, चलनियाँ नही थी, सिंदूर के इतने आकर्षक पैकिंग नही थे , साड़ियों - चूड़ियों की दुकानों पर ऑफर नही थे देवास जैसे कस्बे में दस पुलिस के जवान चार पहिया रोकें ट्रैफिक कंट्रोल कर रहें थे, बाजार में रौनक भयानक किस्म की थी , तमाम गरीबी और भुखमरी का रोना रोने वाले निम्न और मध्यम वर्ग से लेकर उच्च वर्ग की महिलाएं बाजार में चक्कर घिन्नी बनी हुई है - यह कहाँ आ गए है हम , क्या दलित क्या स वर्ण सब इस खेल के शिकार हो गए है सड़क छाप गाने और श्रृंगार की सामग्री और चोंचलें यही पहचान है तभी विश्व सुंदरी भी बनेगी, ब्लेड और जॉकी के विज्ञापन में बाजार इस्तेमाल करता है तो हो भी जाती है और प्रगतिशील कामरेड से लेकर पति परमेश्वर भी त्याग समर्पण की देवी बनी पत्नी को रात अपना मुंह चलनी में से दिखाते है, इन महिलाओं को यह धूर्तता समझ नही आई 2018 में भी, तो बन्द कर दो बराबरी और जेंडर की बहस कुल मिलाकर अभी पांच साल पहले बाज़ार नही था और पति पहले भी सात जन्मों तक पत्नियों के थे और आज भी उन्हीं के रहेंगें - बस

Posts of CBI and Cent Govt 23 to 25 Oct 2018

स्वच्छ भारत के नाम पर देश को उल्लू बनाते रहें, शौचालयों से पूरे देश को पाट दिया जहां अर्ध निर्मित पानी के अभाव में गंदगी और बदबू के बीच प्रशासनिक भ्रष्टाचार बजबजा रहा है बुरी तरह और नोटबन्दी से लेकर राफेल डील कर डाली, संविधानिक संस्थाओं - राष्ट्रपति भवन, सुप्रीम कोर्ट, चुनाव आयोग, रिजर्व बैंक, सभी बैंकिंग संस्थान, अजा/अजजा आयोग, लबासना मसूरी, सीवीसी, आई बी, सेना से लेकर सीबीआई तक को साफ कर डाला सही है गाना स्वच्छ भारत का इरादा कर लिया हमने ***** देश हित मे मोदी का इस्तीफ़ा आवश्यक ______________________________ 2019 में भाजपा को जीतना है तो भाजपा मोदी से तुरन्त इस्तीफ़ा लें, शाह को पार्टी पद से हटाये और नए नेता का चयन करें, वरना यह टालमटोल की नीति बहुत महंगी पड़ेगी भाजपा और संघ को - इतनी बदनामी और बेइज्जती दुनिया मे किसी प्रधान मंत्री की नही हुई होगी गम्भीरता से सोचिए कि सेना से सीबीआई तक में प्रधान मंत्री कार्यालय का स्पष्ट दखल और राफेल से बैंक के कामकाज में भी दखल - कितना बर्दाश्त करेगा कोई, आखिर क्यों रात एक बजे पुलिस को ले जाकर सीबीआई का दफ्तर खंगालना पड़ा

Voting On Line 21 Oct 2018

मप्र में मत देने वाले युवा से लेकर प्रौढ़ का करीब 35% मप्र के बाहर नौकरियों में है और वे मुंबई दिल्ली बैंगलोर से लेकर विदेशों में कार्यरत है वे चाहकर भी सिर्फ वोट देने के लिए छुट्टी लेकर अपना किराया खर्चकर अपने शहरों, कस्बों या गाँवों में नही आ सकते ये अधिकांशतः शिक्षित है और सूचना प्रौद्योगिकी से लैस है क्यों ना चुनाव आयोग इन जैसों के लिए और जो उस दिन किसी जरूरी काम से बाहर है - को ऑन लाइन मतदान की व्यवस्था करता है , अब तो मोबाइल भी सबके पास है एक एप से यह सम्भव है और इनके म त की गोपनीयता भी ये रख सकते है यह होना चाहिए यह इनका अधिकार है और इन्हें वंचित नही किया जा सकता इससे # MPElectionCommission ए क सामान्य दिनचर्या में टीवी देखना बहुत ही सामान्य बात है आज भी इंडियन आइडल देख रहा था, बल्कि बिस्तर पर लेट कर देख रहा था संगीत मनीषी प्यारेलाल जी ने जब वायलिन थामा और " इक प्यार का नगमा है, मौज़ों की रवानी है " धुन बजाई और यकीन मानिये पता नही क्या हुआ खड़ा हो गया - बिस्तर से हटकर चुपचाप आसपास का कोलाहल भी स्तब्ध रह गया , कुछ सूझ नही रहा था, इस गीत को सैंकड़ों ब

Post of 15 Oct 2018

मुद्दा यह नहीं है कि अकबर ने इस्तीफा दिया या नहीं दिया, मुद्दा यह भी नहीं है कि महिलाएं सही बोल रही है या गलत, मुद्दा यह भी नहीं है कि महिलाएं उस समय क्यों नहीं बोली और अब कि वे अब क्यों बोल रही हैं , मुद्दा यह भी नहीं है कि सक्षम पत्रकार 10 -15 सालों तक मुंह दबा कर क्यों बैठी रही , मुद्दा यह भी नहीं है कि "मीटू" का अर्थ व्यापक संदर्भ में क्या है और आने वाले समय में क्या होगा, मुद्दा यह भी नहीं है कि मोदी क्यों नहीं बोल रहे हैं - अकबर से पार्टी इस्तीफा क्यों नहीं ले रही और  विपक्ष खामोश क्यों हैं मुद्दा यह है कि पांच गरीब राज्यों में चुनाव है और समूचा विपक्ष चुप है , मुद्दा यह है कि पेट्रोल डीजल से लेकर सब्जियों के भाव बुरी तरह से बढ़े हुए हैं और कोई बोल नहीं रहा, मुद्दा यह है कि राफेल हमारी प्राथमिकता नहीं है और राफेल में अंबानी को फायदा मिलने से हमारा कोई भला बुरा होने वाला नहीं है - हमारा भला बुरा रोजमर्रा की छोटी मोटी चीजों में है जिसके बारे में निर्णय लेने से सरकार भी बदनाम होती है और लोगों का जीवन भी मुश्किल हो जाता है, मुद्दा यह है कि स्त्री पुरुष के मुद्दे समाज मे

यूँ बिसूरने को बैठें तो सात जनम कम है - प्रकाश कान्त की स्व नीम जी पर किताब Post of 17 Oct 2018

यूँ बिसूरने को बैठें तो सात जनम कम है  द्वार द्वार पर दूत , मसनदों पर लेटे यम है ___________ स्व नईम यूँ तो बुंदेलखंड के रहने वाले थे परंतु मालवा में आकर बस गए , कालांतर में उनका ससुराल भी शाजापुर रहा और वे देवास के होकर रह गए डा प्रकाश कांत उनके सबसे सुयोग्य शिष्य रहे हैं जिन्हें उनका पितृवत सानिध्य मिला और उनकी देखरेख में वे लेखक बने अगर यह कहे तो अतिशयोक्ति नहीं होगी, नईम जी की मृत्यु के पश्चात सबसे ज्यादा विचलित होने वाले व्यक्ति ने उनको लेकर 144 पेज की एक किताब लिखी है "एक शहर देवास, कवि नईम और मैं " - यह सिर्फ किताब नहीं ,यह शहर का इतिहास नहीं, यह नईम की बायोग्राफी नहीं, यह नईम के कार्यों का मूल्यांकन नहीं, यह कविता का मूल्यांकन नहीं , यह सामयिक कविता यव नवगीत का परिदृश्य नहीं , यह गीत छंद की बहस नही - बल्कि एक जीवंत इतिहास है जो सेंधवा से लेकर दिल्ली तक फैला हुआ है जिसका केंद्र लंबे समय तक 7/6 राधागंज, देवास, मप्र रहा - जहां तमाम तरह की बहस, चर्चाएं , साहित्य और लोगों की जीवन शैली बनती बिगड़ती रही जो स्व नईम का घर था यह किताब एक ऐसे शख्स ने लिखी ह

गुरुग्राम के जज की पत्नी और बेटे की हत्या - Post of 13 Oct 2018

गुरुग्राम के जज की पत्नी और बेटे को गनमैन ने गोली मार दी - यह दर्शाता है कि वरिष्ठ अधिकारियों की सेवा चाकरी में लगे तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों की कितनी बुरी स्थिति है, यह हद दर्जे तक शोषण भी करते हैं , निर्धारित समय से ज्यादा काम लेते हैं और जानवरों से बुरा बर्ताव करते हैं मेरी जानकारी में मध्यप्रदेश के मालवा प्रांत के एक आदिवासी बहुल जिले में जिला मुख्यालय पर एक महिला जज एक प्रौढ़ महिला की (45- 48 वर्ष की है) जो अनुकंपा नियुक्ति पर लगी थी - कोर्ट से अपने  घर यानी बंगले पर उसने ड्यूटी लगवा ली और उससे बेदर्दी से काम लेती है - घर के झाड़ू पोछे से लेकर दो बार का खाना बनाना, चाय पानी, आतिथ्य, कपड़े, बर्तन और सारे काम करवाती है - जो शोषण की सीमा से भी बाहर जाकर है . बर्ताव भी भयानक है इस जज का; वह प्रौढ़ एक मराठी ब्राह्मण परिवार की महिला है और बहुत मजबूरी में अपने दो बेटों को पालन पोषण और उनकी शिक्षा के लिए इस तरह का काम करने को मजबूर है, ये कहती हैं यदि मैं कोर्ट में काम करूं तो मेरे काम करने के लिए एक सीमा है, समय निश्चित है - परंतु जज साहिबा घर पर सुबह से बुला लेती है देर रात तक हर

“मीटू के जमाने में आधी आबादी को संस्कृति के नाम पर सजा”

बचपन से हम सब सुनते आये है कि कोई भूत प्रेत होते हैं, चुड़ैल होती है और एक दुसरी दुनिया है जो हम मनुष्य की समझ से परे है और फिर भी उस दुनिया के बाशिंदे हमारे जीवन में बहुत महत्व रखते हैं, ये बाशिंदे सिर्फ महत्व ही नहीं रखते बल्कि कई मनुष्यों के जीवन को प्रभावित करते हैं. विज्ञान कहता है जन्म के बाद एक निश्चित समय बिता कर जीवन खत्म हो जाता है - अर्थात कोशिकाएं और शरीर के विभिन्न अंग अपना काम खत्म करके समाप्त हो जाते हैं और तत्पश्चात   विभिन्न धर्मों के अनुसार इस शरीर का अंत अलग - अलग रीति रिवाजों के अनुसार संपन्न किया जाता है - कहीं जलाया जाता है, कहीं पानी में बहाया जाता है, कहीं मिट्टी में गाड़ दिया जाता है, कहीं कुए में रख दिया जाता है और कहीं शेष बचे शरीर का यानी मिट्टी का उपयोग तांत्रिक और अघोरी अपनी साधना पूर्ण करने के लिए करते हैं. आजकल एक नई प्रवृत्ति ने जन्म लिया है जो अति आवश्यक है और बहुत जरूरी भी कि शरीर के अंत के बाद शरीर के बचे हुए अंगों का दान किया जाए ताकि जिसे आवश्यकता है उसे नया जीवन मिल सकें, उसकी उम्र बढ़ा दी जाए. कुछ लोग पूरा शरीर मेडिकल कॉलेज को दान दे दे