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Showing posts from May, 2018

देश के प्रधानमंत्री को एक गरीब,मेहनतकश नागरिक का पत्र - 30 May 2018

देश के प्रधानमंत्री को एक गरीब,मेहनतकश नागरिक का पत्र  __________ मेरे प्रिय प्रधान मंत्री जी नमस्कार आपके भक्त अक्सर मुझे अपनी चुनी हुई सरकार से और आपसे सवाल पूछने पर धमकाते रहते है और अक्सर नीचता पर उतर आते है अस्तु आपको पत्र लिख रहा हूँ कृपया शांत दिमाग से पढ़ सकें तो पढ़े - जवाब देना आपकी शान के खिलाफ है इसलिए उम्मीद भी नही है मैं बार - बार और आज फिर कह रहा हूँ मेरी इस नरेंद्र दामोदर दास मोदी नामक व्यक्ति से दुश्मनी नही वरन मोदी नामक कारपोरेट की कठपुतली से मतभेद है - जिसे ना अनुभव है - ना ज्ञान और जो सरेआम जनता की पसीने की कमाई को धता बताकर देश को एक ऐसे मोड़ पर ले आया है जहां गहन अंधेरे , निरंकुश पश्चाताप और डिप्रेशन के कुछ नही है - मैं बोलता हूँ और बोलूंगा क्योकि भुगत रहा हूँ, जनता के बीच काम करता हूँ, मेहनत से दो जून की रोटी का जुगाड़ करता हूँ। कल यदि एंजियोग्राफी भी करवाना पड़े तो मेरे पास संचित धन नही है और ना ही कुछ चल अचल संपत्ति है बोलना इसलिए जरूरी है कि वह इस देश का प्रधान मंत्री है जिसका मैं नागरिक हूँ और पचास पैसे की भी कोई चीज खरीदता हूँ तो टैक्स देता ह

Challenge by a Cabinet Minister 24 May 2018

बहुत दिक्कत है आजकल अपने हिन्दू राष्ट्र में - एक केंद्रीय मंत्री दंड लगाकर बेशर्मी और अश्लीलता से देश को चैलेंज करता है - जिस देश मे रोजी रोटी नही, कुपोषित शरीर लिए लोग भूखों मार दिए जा रहे हो वहां बेशर्मी से सरकार का नुमाईंदा नंगे भूखों को चैलेंज करता है - क्या समझ है, क्या दिमाग़ है, क्या चयन है और क्या दृष्टि है विकास की एक रामदेव था जिसने फू फां करके अरबों खरबों का साम्राज्य खड़ा कर लिया लोगों को मारो स्नाइपर से, किसानों को आत्महत्या करने दो , महिलाओं को असुरक्षित रखो, बच्चों को कुपोषण से ही मुक्त मत करो ना आक्सीजन दो - मार डालो एनकाउंटर में लोगों को मारो , फ्रिज को टटोलकर मारो और मोब लीनचिंग में मारो अपढ़ , कुपढ़ , अहम , गुस्से और घमंड से भरे लोग और क्या कर सकते है रोजी रोटी तो दे नही सकते , लोगों की मेहनत की कमाई को हड़प जाना जिनकी नीयत हो उनसे क्या बहस देते रहिये चैलेंज - हिम्मत हो तो जनता के बीच बगैर जेड सुरक्षा के आकर बताओ , हिम्मत है तो एक कुएं में उतरकर सफ़ाई करके बताओ, एक तालाब की मिट्टी खोदकर बताओ, हिम्मत है तो इस तेज गर्मी में तेंदू पत्ते की सौ गड्डियां इकठ

Old Friends are Like Old Wine - Meeting Sapna Shaligram 24 May 2018

Old Friends are Like Old Wine  Sapna Shaligram  is here now a days, she is in Australia with her husband and serving as Counsellor in ISOS . She is my batchmate of 1983-87. She has not changed - same sweet , cute , sober, caring, very affectionate and cooperative. Meeting her after 30 years, time flies like any thing, today she is the pride mother of two grown up sons who are pursuing MS and Journalism at Germany and Australia Shakti Shaligram  and  Himmat Shaligram Her husband and our close friend Brig  Sandeep Shaligram  served Indian Army for several years in various capacities , now he is CEO in some big hospital there only In addition ,  Chaitali Nandy  was also with me as boon. She gifted a beautiful statue of Lord Buddha. Thanks, it was really great to meet you and spend quality time Sapna. Hope to see you soon before you leave. Overwhelmed Stay blessed you all...... Friends are real boon in life and the old proverb is correct - "to a friend's hou

तीन राज्यों के चुनाव और आर्च बिशप की चिठ्ठी 22 May 2018

जिन्ना के बाद आर्क बिशप को निशाना बनाया जा रहा है सीधी सी बात है मप्र छग और राजस्थान में चर्च का प्रभाव है और मिशन स्कूल, अस्पताल, विकास के काम फैलें हुए है इस वर्षान्त तक इन तीनों राज्यों में चुनाव है और मुसलमान के साथ ईसाई को निशाना बनाने से बुद्धिजीवी भी साथ देंगे, मप्र और छग आदिवासी बहुत राज्य है वही राजस्थान दलित बहुल. आदिवासी इलाकों में बैगा, पंडो, पहाड़ी कोरबा, गौंड, कोरकू, सब चर्च भी जाते है और आरक्षण का लाभ भी लेते है - यह पांसा सही है जो चौखट पर देर तक बना रहेगा और हर सीढ़ी चढ़ने वाले को साँप की तरह डसकर नीचे उतार देगा मप्र में गणेशजी से लेकर हनुमान जी की मूर्तियां बांटी गई है, छग में दिलीप सिंह जूदेव ने आंदोलन खड़ा किया ही था चर्च के खिलाफ, छग में हाल ही में मैंने देखा कि धार्मिक अनुष्ठानों की बयार चल रही है और अंदर तक काम करने वाली सिस्टर्स और फादर ब्रदर को धमकाया जा रहा है कि केरल या झारखंड वापिस जाओ, हाल ही में मै जब छग में रमनसिंह जी जिले कवर्धा के आदिवासी ब्लॉक पंडरिया में था जहां चौदह सौ फीट ऊपर के बैगा बहुत क्षेत्र के तेलियापानी और आसपास गाँवों में सचिवों को

कर्णाटक चुनाव और त्वरित प्रतिक्रियाएं 19-20 May 2018

कर्णाटक चुनाव और त्वरित प्रतिक्रियाएं  गम्भीरता से सोचिये कि जिस येदियुरप्पा को मोदी का करीबी संगी साथी मीडिया ने सिद्ध किया था उनके साथ क्या किया पार्टी ने दो घण्टे पहले एक साथी के साथ लोकसभा का इस्तीफा ले किया और ठीक 4 बजे मुख्य मंत्री का पद भी छिनवा लिया आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी से लेकर तमाम केबिनेट मंत्रियों के भी क्या हाल बनाकर रखे है किसी से छुपा नही है वही कांग्रेस में है - अपने पिता की आयु के कपिल सिब्बल से लेकर गुलाम नबी आजाद, शीला दीक्षित और तमाम वरिष्ठ कांग्रेसी 47 साला राहुल के सामने नत मस्तक होते है इधर अखिलेश, मायावती, ममता, वृंदा करात या प्रकाश करात या दक्षिण में कुमार स्वामी या अन्य पार्टियों मे भी यही खेल और परंपरा है कुल मिलाकर बात इतनी सी है कि सामन्तवाद और जड़ता हमारे संस्कारों में है और समाज मे है रची बसी इसलिए हम जाति, धर्म और सम्प्रदाय को पोषित करते है और ठीक इसके विपरीत इन्ही से ये दासता और गुलामी सीखते है संविधान में बराबरी, स्वतंत्रता और भ्रातृत्व के सिद्धांत और मूल्य 26 जन 1950 से लागू है पर हम ना मानते है और ना पालन करते है और तमाम पार्टिया

छोटी उम्र में मौत का कहर 17 May 2018

छोटी ही उम्र थी 34 - 35, अभी दो नन्ही बच्चियां है दस साल की और छह साल की , एक अदद पति और सास श्वसुर कल दोपहर तक कितना जूझी कैंसर से और इलाज के नाम पर लम्बे समय से ऑपरेशन, कीमोथेरेपी, दवाएं, अस्पताल की जान लेवा जांच प्रक्रियाएं और घर अस्पताल के बीच ठहरा हुआ जीवन इस बीच घर का तहस नहस होना, घर बिकना, पति का बीमार होना और बाजार के उतार चढ़ाव में धंधे पर होने वाले खतरनाक असर जिसका सीधा प्रभाव उसके मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ा ही होगा मौत को घर देखना ही था, इस कमबख्त ने कही नही छोड़ा एक भी कोना संसार मे , हरेक को छला है - मौत से भयावह, ठगने वाला छलिया कोई नही और बेरहम तो इतनी कि कोई मोह माया नही - आगा पीछा भी नही देखती कभी एक झटके से अपने साथ ले जाती है दृष्ट और निकम्मी कही की कल दोपहर को हार गई वो और हम सबको, उन सबको, उन अबोध बच्चियों को हमेशा के लिए बिलखता छोड़ गई इस जहाँ में जो दिन पर दिन आकाश गंगा का खतरनाक अखाड़ा बनता जा रहा है जाना तो सबको था पर आज जब धूं धूं जल रही थी तो वहां खड़े हममे से हरेक की आंख कातर भाव मे थी और दिख रहा एक लापरवाह भविष्य, घटाटोप अंधेरा कोई कह रहा था

क़बीर कुआं एक है, पानी भरे अनेक / बर्तन में ही भेद है, पानी सब मे एक। 17 May 2018

क़बीर कुआं एक है, पानी भरे अनेक  बर्तन में ही भेद है, पानी सब मे एक। *** सौ रुपये में मेघना गुलज़ार का देश भक्ति वाला इंजेक्शन कारगर नही जीवन, जासूसी, आई बी, रिश्ते, हत्याएं, योजना, प्रशिक्षण और पश्चाताप इतना आसान नही होता अपने पिता की कुछ कालजयी फिल्मे ही देख लेती पहले तो शायद इतना आसानी से चलती फ़िल्म में पूर्वानुमान लगाना आसान ना होता नायिका प्रधान फ़िल्मे भारत मे कोई नई नही है पर आलिया भट को प्रधान बनाकर, भावनाओं का ज्वर कूटकर भर देने से ना फिल्मे इतिहास बनती है और लोकप्रिय पिछले डेढ़ माह में देखी हिचकी, अक्टूबर, बियॉन्ड द क्लाउड्स और राजी में से यह सबसे रद्दी फ़िल्म थी गुलज़ार साहब बिटिया को स्थापित करिये पर हड़बड़ाहट में नही *** ये उषा बाई थोरात है - 47 वर्ष की है, तीन साल पहले पति की मृत्यु हो गई थी, तीन लड़के और एक लड़की है। बीपीएल कार्ड है- कई वर्षों से पर क्या लाभ मिला आज तक कुछ नही, अनुसूचित जाति से आती है पर इसका ना उन्हें लाभ मिला ना बच्चों को - कोई छात्रवृत्ति नही ना नौकरी और ना आवास योजना में लाभ बेटी की शादी के लिए देवास में मुख्यमंत्री सामूहिक क

लम्पट दुनिया में मौको कहाँ ढूंढ़े रे बन्दे 13 May 2018

लम्पट दुनिया में मौको कहाँ ढूंढ़े रे बन्दे  हम सब औसत बुद्धि के लोग है और इसलिए औसत तरीके से सोचते है विचारते और करते है जलन, कुढ़न, ईर्ष्या, द्वैष भाव , कुंठा, अपराध बोध और तनाव हम सबमे है और यह स्तुत्य है प्रेम, आशा, भावनाये या भावुक होना, दूसरों के दर्द महसूस करना, खुशी गम में शरीक होना हमारी शेष बची मानवीयता का अहम हिस्सा है इन सारे गुणों और दोषों के साथ हम जो भी दैनिक जीवन के कार्यों के अतिरिक्त कुछ कर रहे हों तो वह निश्चित ही एक अन्याय है और छल खेलना, बागवानी, पढ़ना लिखना, संगीत, वाद्य , फ़िल्म देखना, चित्र बनाना, सैर, पर्यटन, समाज सेवा, राजनीति, या कि कोई अन्य ललित कला से लेकर जोखिम के काम करना जीवन के दैनंदिन कामों में शरीक कभी नही रहा ये सारी विधाएं हमने अपने को स्थापित करने, अपना अहम और दर्प बरकरार रखने के लिए और तथाकथित समाज मे अपने को विशिष्ट बनाकर स्थापित करने के लिए ईजाद की आरम्भ में यह जरूर एक शौक और कौशल या दक्षता वृद्धि के लिए रहा होगा परंतु शनैः शनैः यह एक किस्म का भयावह खेल बन गया जिसमें आज हम खुद के ही सबसे बड़े दुश्मन बनकर रह गए है इस सबको स्थापित

"खुदा को भी अच्छे अफसानानिगार की जरूरत है " RIP Ankit Chaddha 10 May 2018

"खुदा को भी अच्छे अफसानानिगार की जरूरत है" Ankit Chadha "खुदा को भी अच्छे अफसानानिगार की जरूरत है " - शायद मंटो की कब्र पर यह खुदा हुआ है - [ एपिटाफ़ पर ] तुम ऐसे कैसे जा सकते हो क्या तुम्हें याद नही अमेरिका जाने से पहले तुमने वादा किया था कि दिल्ली में हम मिलेंगे और फिर देवास आओगे, मेरे घर दो चार दिन रहोगे उस दिन जब अमेरिका जा रहे थे तो एयरपोर्ट से फोन किया था कि मैं जल्दी ही लौटकर आऊँगा यह गलत बात है, मैंने तो तुम्हे अपनी उम्र दी थी और कल मुझे ही छोड़कर चले गए कल खंडाला [ पूना ] के पास किसी झील में दुखी हूं - यह नही कहूँगा, बस इतना कि कल कबीर ने भी अपना असली वंशज खो दिया है और हम सब पुनः अनाथ हो गए है तुम तो दास्तान सुनाते थे - तुम्ही चले गए, अब ना दास्तान रही - ना किस्सागोई और ना कुछ कहने सुनने को अंकित तुमने आज एक स्थाई दुख दे दिया है विदा अंकित , तुम सदैव मेरे दिल मे एक श्रेष्ठ इंसान और बेहतरीन कलाकार के रूप में जिंदा रहोगे [ ये 22 फरवरी 18 की तस्वीरें है जब अंकित पूरा दिन देवास में था, हम लोगों ने खूब बातें

जवानी दीवानी 10 May 2018

जवानी दीवानी  उचक कर आई थी मेन गेट से प्लेटफोर्म पर प्लेटफोर्म पर भी देखा तो खूब तेज चल रही थी एक प्रेमी ही था जो आया था छोड़ने -उसने उसे घुमाया बांहों में उठाकर  लड़की भी खूब मस्त नाचने लगी बांहों में जब ट्रेन छूटने को ही थी कि एक बार फिर दौड़कर नीचे उतरी और अपने माशूक को चूम लिया, सीधे उचककर चढ़ गई कोच में अंदर घुसी तो तीन बड़े बेग थे, हाथ में दो झोले और एक बड़ा सा पर्स - मानो किसी छोटे मोटे जिले का सामान हो फिर आकर बैठी और आहिस्ते से देखा सबको - कौन फंस सकता है एक लोवर सीट पर बुजुर्ग को देखकर मन ललचा गया "अंकल, मेरी रीढ़ की हड्डी में प्रॉब्लम है और डिस्क फेल है , कंधे भी खराब है गेप है C 1,2,3,4 में आप मेरी अपर बर्थ पर चले जायेंगे... शुगर है बार बार बाथरूम जाना पड़ता है ..." "बेटी मै सत्तर साल का हूँ , जानबूझकर लोवर सीट ली है.." "अंकल प्लीज़ - मेरी हालत देखिये ना, उफ़ उफ़ उफ़ ......क्या गजब की आवाजें .........." मानो बस अभी ट्रेन रोककर अर्थी उठाना पड़ेंगी अंकल बेचारे भी मर्द ही थे - बेटी जरुर बोल रहे थे - पर नजरें गजब की नश्तर सी थी -

खरी खरी Posts from 1 May to 9 May 2018

तर्क कमजोर हो और आपकी भाषाई और बौद्धिक क्षमता बेहद कमजोर हो, आप बहस ना कर पाएं तो अपने लिखित कचरे में आतंक पैदा करने के लिए विदेशी लेखक, प्रहसन का उल्लेख कर दीजिये - बस आपको कुछ सिद्ध करने की जरूरत नही आज दो तीन बौद्धिक टिप्पणियां देखी जो हद से ज्यादा लम्बी और झिलाऊँ थी तो बहुत साल पहले देवी अहिल्या विवि , इंदौर में हुए हिंदी के एक साहित्य आयोजन की याद आई जब शशांक ने उस सरकारी भोपू संचालक को डाँटते हुए कहा था भाषण मत दो, समय बर्बाद कर अपना ज्ञान मत पेलो हमने सब पढ़ा हैं, फालतू  में विदेशी लेखकों के नाम लेकर आतंक मत फैलाओ, यह घटिया आदमी आज भी आतंक फैलाकर रखता है जिस पर तमाम तरह के चोरी के आरोप लगे है पर उस सरकारी जी हुजूरी में भांड बनकर चाटुकारिता कर चुतियापा करने वाले घटिया लेखक से बड़े वाले आज मौजूद है, वो तो बेचारा निकम्मे और बेरोजगार विदेश पलट बेटे को अपना काम कर उसके नाम से छपवा कर हिंदी में स्थापित करने में लगा है क्या पता आज मरे कल दूसरा दिन, पर इन बाकी को क्या हुआ ? *** चिंता मत करिए रोज़ रोज़ दुनिया भर में मुर्गे, बकरे, पाड़े, भैंसे, तीतर, सूअर कट रहे है सदियों से - कोई