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Showing posts from August, 2017

प्रेम, पीड़ा, पराक्रम और पराभव का नाम ओरछा (Aug 2017)

प्रेम ,  पीड़ा, पराक्रम और पराभव का नाम ओरछा 1 कड़ी धूप में चली थी गणेश कुंवरी अजुध्या से ओरछा की ओर गोद मे थे राम राजा जो उसकी प्रार्थना और तपस्या से नही नदी में डूबकर जान देने के इरादे के फलीभूत होने पर आये सिर्फ यही नही अपनी शर्तों और जिद पर पैदल ही चल पड़ी गणेश कुंवरी राजा राम को लेकर ओरछा की ओर क्या क्या ना सहा होगा उस रानी ने जो बुंदेलों की आन बान थी जंगल , नदी और मौसम के झंझावात भी झेले होंगे जिक्र नही इसका स्त्री को सहना ही पड़ता है गोदी में राजा राम हो , श्रीकृष्ण हो ओरछा आकर भी वह राजा राम को उनके लिए बन रहे मन्दिर में बसा ना पाई जुझार सिंह के सामने गर्व से गोदी में बैठे राजा राम को आले में बिठा दिया भव्य आलीशान मन्दिर खाली रह गया जो आज भी वीरान है राम के बिना बुंदेलखंड में कहते है लाई तो राजा राम को अजुध्या से पर मन्दिर ना दे पाई ओरछा की कहानी में राजा राम आज भी है पर गणेश कुंवरी गायब है . खंडित जहांगीर महल , लक्ष्मी और चतुर्भुज के मंदिर की कहानी में रात को होने वाले रुपया देकर कहानी सुनने वालों को शो में सुनाई द

Posts of Ram Rahim and last week of August 2017

क्षमा के इस महान पर्व में हम अपने आपको ही दिल - दिमाग़ से मुआफ़ कर दें तो शायद एक बेहतर इंसान बनने की प्रक्रिया शुरू हो। इनसे, उनसे, आपसे तो प्यार - मुहब्बत या धन्धे के रिश्ते है। लाज़िम है कि इनमें व्यवहार, लेन - देन जुड़ा है, टकराहट भी होगी और जुड़ाव भी बना रहेगा। ये सब तो जीवन है अस्तु बनता सँवरता ही रहेगा। गर अपने आपको मुआफ़ नही किया और सज़ा देते रहें - पल पल तो शायद फिर कुछ भी नही बचेगा !!! आओ, मैं अपने आपको मुआफ़ करूँ - ताकि उस अनंतिम यात्रा का साक्षी हो सकूँ , ताकि मन मे कोई बोध, ज्ञान और अपराध की किंचित छाया भी ना रह सकें। ******** सारे बाबाओं, साधु - संतों को दी गई ज़ेड श्रेणी की सुरक्षा वापिस लो। मेरे देश के जवान इन घटिया लोगों की सेवा और सुरक्षा के लिए नही है मेरा टैक्स का रुपया इनके लिए बर्बाद करने का सरकार को कोई हक नही। वो गुरमीत हो या रामदेव - तुरन्त ये सुरक्षा इनसे वापिस लो। रामदेव तो विशुद्ध व्यापारी है वो अपने रुपये से खुद की सुरक्षा करें गर डरपोक है तो। # मोदी  जी ध्यान दें । @PMOIndia को ट्वीट करें और दबाव बनाए या सरकार को इनकम टैक्स देने का बहिष

Punarvasu Joshi V/S Prabhu Joshi V/S Sandip Naik and Devil's Advocate Shashi Bhushan 22 Aug 2017

Punarvasu Joshi V/S Prabhu Joshi V/S Sandip Naik and Devil's Advocate Shashi Bhushan अभी परसो 12 अगस्त को ही मैं, बहादुर और मनीष उज्जैन गए थे और देवताले जी के घर पहुंचे थे परंतु राजेश सक्सेना जी ने बताया कि वे दिल्ली में है। उज्जैन जाएं और उनसे ना मिले तो फिर कुछ जाने का मतलब नही है। असंख्य स्मृतियां है और असंख्य तस्वीरें । जितेंद्र श्रीवास्तव के साथ या मदन कश्यप जी के साथ या हम लोगों की उनके साथ की लंबी मुलाकातें और उनका अधिकार के साथ देर तक रोककर रखना , कचोरी खिलाना या कविता पर चर्चा । शब्द धुँधले पड़ रहे है और दिमाग़ ने काम करना बंद कर दिया है । चन्द्रकान्त देवताले जी का यूँ गुजर जाना हिंदी कविता के एक युग की समाप्ति है, एक व्यक्ति अपने आप मे कविता का कोष था और साफ़ दृष्टि और बगैर किसी लाग लपेट के अपनी बात निष्पक्ष होकर कहता था। वह शख्स हम सबको रिक्त कर खुद अपनी झोली में हम सबकी दुआएं लेकर चला गया। पिछले दिनों उन्होंने मुझे कम से कम 15- 20 पौधे दिए थे जो मैंने बहुत प्यार से सँवारकर रखे है । ये पौधे ही अब कविता है, चन्द्रकान्त देवताले है और मेरी धरोहर है। आ

70 साल की आज़ादी का जश्न और एक मूल प्रश्न

70 साल की आज़ादी का जश्न और एक मूल प्रश्न  आजादी का 70 वां साल आ रहा है। तरक्की यह है कि संसद, विधानसभा से लेकर नगर निगम, नगर पालिका, ग्राम पंचायतों और छात्र परिषदों में अपराधियों का प्रतिशत लगभग 60 से 70 है - जिनपर बाकायदा नामजद मुकदमे दर्ज है। निहालचंद्र जैसे बलात्कारी व्यक्ति जिन्हें पुलिस भी गिरफ़्तार करने से डरती है - डेढ़ साल तक केबिनेट मंत्री बना रहता है। कई राज्यों के अकुशल और अयोग्य लोग - जो कई गम्भीर किस्म के अपराधों मसलन हत्या, नर संहार, दंगे, देश विरोधी गतिविधियों, बलात्कार, बलवा आदि में स ंलग्न है , आज प्रतिष्ठित पदों पर ससम्मान विराजमान है न्यायालयों से छूट भी गए है और जिले, प्रदेश और देश का मान दुनिया मे बढ़ा रहे है - बस फर्क इतना है कि वे अकुशल और अयोग्य है और कुछ लोग कुशल और दक्ष है जो काम करते है और एक बेहतर समाज बनाना चाहते है। बहरहाल, अब आगे यह प्रश्न है कि क्या हम इसी तरह से चुन चुनकर अपराधियों को अपनी किस्मत का , हमारे इस देश के भविष्य का निर्णय लेने के लिए इन निर्णायक संस्थाओं में भेजते रहेंगे ? सवाल इसलिए और बड़ा है कि वरिष्ठ वकील शांति भूषण ने द वा

गोरखपुर में राज्य प्रायोजित 60 बच्चों की हत्या -जिम्मेदार कौन?

गोरखपुर में राज्य प्रायोजित 60 बच्चों की हत्या - जिम्मेदार कौन ? जिस देश मे सरकारें, कार्यपालिका और न्यायपालिका बच्चो की परवाह नही कर सकती और दुर्लक्ष करके संगठित रूप से हत्या के जघन्य अपराध में शामिल होती है उस देश का भविष्य तो क्या वर्तमान भी अंधेरे में है । यह राष्ट्रीय शर्म का दिवस है। डरपोक मीडिया में दिलेरी से सबूत के साथ कहने वाले भी है। 60 मौतें 4 दिन में ! किस जगह शासन कर रहे हो और नर्क को नरक बना रहे हो ? ये कुशासन है और घोर अराजकता की भयावह स्थिति।  अब बोलों , साबुन से हाथ धुलवाने वालों पोंगा पंडितों !! किस धर्म मे बच्चों की हत्या को जायज कहा गया है। जो लोग ऑक्सिजन नही दे सकते वो अच्छे दिन देंगे, मूर्ख है देश के लोग जो इनसे उम्मीद करते है। मप्र में सरकार बताये कि एम व्हाय अस्पताल की जांच का क्या हुआ जब 18 बच्चे मरे थे इसी कारण से अभी ! सुना है अयोध्या में पत्थरों की सप्लाई निरन्तर जारी है!!! जो कम्पनियां अस्पतालों में पेमेंट ना मिलने से ऑक्सिजन रोक दें आखिर वो पाकिस्तान या चीन की तो नही होगी ना, सीधी बात है कमीशन की डील पक्की

साहित्य के टुच्चे - 5 अगस्त 2017 एवं अन्य पोस्ट्स

1---- बहुत कोसते थे फेसबुक पर लिखने वालों को - फेसबुकिया, उच्छृंखल, उजबक, फालतू, टाईम पास और ना जाने क्या क्या !!! बड़े बड़े लेखक बनते थे, अकादमिक और सिर्फ पत्रिकाओं में छपने वाले, प्रकाशकों को तेल लगाने वाले और बड़ी अकादमियों और भारत भवनों में मुफ्त की दारू और आयोजक के मुर्गे चबाकर हमेशा घटियापन की साहित्यिक राजनीति करने वाले बनते थे ना। सबकी असलियत सामने है - औलादों से, नए नवेलों से, नाती पोतों से ई मेल, ट्वीटर, फेसबुक सीख रहे है , मोबाइल में हिंदी फॉन्ट डालकर अब 70- 75 की उम्र में टाइपिंग सीख रहे है पोपले मुंह के फोटो या कि खपी जवानी के फोटो चैंपकर लुभाने की आदतें फिर जवां हो रही है इन सबकी और अब अपनी बातें, लड़ाई झगड़े और वाद विवाद कर रहे है। कई बार आने जाने का नाटक किया और बड़े मुगालते में रहें कि कोई हाथ पांव जोड़ेगा कि आ जाओ पर लौट आए फिर और अब फिर पेलने में लग गए कविता , गद्य, आलोचना, ब्लॉग, और लंबे उबाऊ आलेख। समझ आ गया कि पत्रिकाओं और किताबों का जमाना गया कि कोई खरीदे पढ़ें, इंतज़ार करें । यहां लिखों हाथों हाथ प्रतिसाद मिल जाता है और किसी की चिरौरी भी नही करना पड़ती ,