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Showing posts from February, 2016

Posts of 28 Feb 16

शायद यह पूरे देश के लिए मुश्किल की घड़ी है जब हम अपने " बच्चों" पर भरोसा नही कर रहे, भारत माता को खींचकर गैंग रेप हो रहे है, सत्ता के मद में चूर लोग और नेता चुप है, संसद में गलत बयान दिए जा रहे है, मंत्री ऑन रिकॉर्ड झूठ बोल रही है, सबसे सम्पन्न लोग पिछड़े बनने की होड़ में संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे है, सरकारेँ उद्योगपतियों की गुलाम होकर अरबों रूपये के कर्ज माफ कर रही है, गरीब आदमी के चूल्हे को जलाने की दियासलाई में पूरी बेशर्मी से हर छह माह में टैक्स बढ़ाकर लिया जा रहा है, देश  का सर्वोच्च शिखर पर बैठा आदमी दुनिया घूमकर थक चूका है इस कठिन समय में यह देश का रुपया बर्बाद करके खिलाड़ियों के साथ बच्चों से परीक्षा की बात करता है बजाय एक जलते हुए विवि में जाने के। गुरुओं को डंडे मारे जा रहे है, मुख्य मंत्रियों ने राज्यों को भ्र्ष्टाचार का अड्डा बना लिया है, कैसा शासन और प्रशासन है जिसकी पुलिस, अधिकारी, न्यायाधीश, विपक्ष, आम लोग एक सिरे से नाखुश और असंतुष्ट है, दुनिया भर के लोग रोज़ पत्र लिख रहे है, मीडिया भी कारगर भूमिका में नही है ? और आप खतरा भांप नही रहे, एक धार्मिक उन्माद में

Posts of Feb 15 to 22 , 2016 Notes, Jottings on JNU Issues.......

हमने तो सिर्फ हाथ उठाया सलाम को,  समझा उन्होंने इसमें है ख़तरा निज़ाम को -अदम गोंडवी क्या यह महज संयोग है कि जे एन यु में पांच छात्र पहुंचे और जाट आन्दोलन ठंडा पड़ा ? किसको बेवकूफ बना रहे हो सरकार ? जनता तो बहुत मैच्योर हो गयी है आप लोग भी बड़े हो जाओ, सड़े गले बौद्धिक सुनना बंद कर के दिमाग की खिड़कियाँ खोलो और थोड़ा पढो - लिखो........कब तक खुद जाहिल बने रहोगे और जनता को बनाते रहोगे....... तुम चाहते थे कि एक ही तीर से दिल्ली, जाट और जेएनयु को साध लोगे.......मुगालते में हो तुम्हारी नाक के नीचे अरविन्द ने काम करके दिखा दिया एक साल में और वो भी बगैर कांग्रेस को क ोसे और शीला दीक्षित को याद किये बिना और एक तुम हो जो भ्रम फैला रहे हो कि साठ साल के पाप धोने को समय चाहिए......हांहांहांहां.........अपने आप से तो सच बोल लो महाराज... एक विश्व दीपक ने तुम्हारे और सुधीर चौधरी जैसे दलाल की पोल खोल दी, दस लड़कों ने नानी याद दिला दी, तुम्हारे खट्टर के राज में जाटों ने देश प्रेम दिखाकर संपत्ति का सत्यानाश कर दिया......गजब.... याद रखना तुमसे ज्यादा समझ और एक्सपोजर तो तीन साल जेएनयु में पढ़

जेएनयु के बहाने देश की शिक्षा और सन्दर्भों पर पुनर्विचार का समय - Post of 15 Feb 16

जेएनयु के बहाने देश की शिक्षा और सन्दर्भों पर पुनर्विचार का समय ये देश क्या होता है और कितने लोग जानते बूझते है देश , देश प्रेम और देश द्रोह का सही अर्थ , जिस देश में सरकार   के कारण रोहित वेमुला को मरना पड़े या  एक गरीब छात्र कन्हैया को गिरफ्तार होना पड़े अपने ही विश्व विद्यालय से एक ऐसे कृत्य के लिए जिसमे उसका कोई दोष ही नहीं, बल्कि दोष यह है कि वह चुनी हुई छात्र परिषद् का अध्यक्ष है, उस देश में इससे ज्यादा शर्मनाक नहीं हो सकता. जिसने नारे लगाए उसे पकड़ना छोड़कर निर्दोष को पकड़ना सिर्फ कमजोरी दर्शाता है और हर तरफ से बैकफूट पर आ चुकी सरकार की गहरी हताशा और कुंठा. देश में आजादी के बाद संभवतः यह पहला अवसर है जब मोदी जी को लखनऊ से लेकर दिल्ली तक छात्रों के समूहों का विरोध झेलना पड़ रहा है. थोडा गहराई में जाए तो हम पायेंगे कि ये समूचा आन्दोलन रोहित वेमुला की मौत के बाद उठे दलित आन्दोलन को कुचलने की परिणिति के तहत उभरा है और अब यह साफ़ है कि जे एन यु के बहाने सरकार दलित आन्दोलन, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर नकल कसने की जोरदार तैयारी में है. छदम हिंदुवादियों और फासिस्ट ताकतों का

Posts of 12 Feb 16

जिस देश में सरकार  के कारण रोहित को मरना पड़े या या कन्हैया को गिरफ्तार होना पड़े उस देश में इससे ज्यादा शर्मनाक नहीं हो सकता. जिसने नारे लगाए उसे पकड़ना छोड़कर निर्दोष को पकड़ना सिर्फ कमजोरी दर्शाता है और हताशा. अब समझ गए ना कि पढ़े लिखे छात्रों के खिलाफ कम पढ़े लिखे लोग किस स्तर पर उतरकर एक बड़ी संपत्ति पर कब्जा करना चाहते है और समूचे दलित आन्दोलन को कुचलना चाहते है. कितना लाचार है सरकार का हताश तंत्र जिसका गृह मंत्री बाकी सारे महत्पूर्ण काम छोड़कर एक विवि में पीछे समय लगा रहा है. यह दम पाकिस्तान के सामने दिखाएँगे तो सच में छप्पन इंच का सीना दमकेगा....... कमजोर को दबाकर क्या दिखा रहे हो सरकार? दम हो तो जाओ दाउद को लाओ, नवाज शरीफ से पंगा लो, दिल्ली में हार जाने का अपराध बोध, अरविन्द की लोकप्रियता से जल भुनकर इस हद तक आ गए कि एक गरीब घर के बच्चे को गिरफ्तार कर लिया वाह रे मर्दों............ दिल्ली पुलिस को इस्तेमाल करके अपनी छबि कब तक चमकाओगे जनाब.......? देश की बेरोजगारी, भुखमरी, कुपोषण, गरीबी, महिला हिंसा से लड़ो........दम है तो शिक्षा में बदलाव

Posts of 29-31 Jan 16

मुझे भी शुमार करो अब गुनहगारों की फेहरिस्त में.... मैं भी क़ातिल हूँ हसरतों का, मैंने भी ख्वाहिशों को मारा है.. ***** एक तो फ्री में लिखवा लेते है दबाव डालकर और फिर जब मिलते है तो गोली मारने की भी धमक्री देते है , ये तो हाल है मीडिया के नामी गिरामी संपादकों के। ये श्रीमान जो छोटे लाडले नवाब और अनुज है बेदर्द दिल्ली में रहते है मिले 15 साल बाद तो बन्दूक तान दी , गजब हो यार -  Sarang Upadhyay  । आज मजा आ गया। इनके शहर और मुहल्ले में था ना। देवास आओ मियाँ फिर देखते है  😁 😁 😁 ***** ये है ढोंग पाखण्ड और शर्मनाक दुनिया जिसमे हम रहते है। एक व्यक्ति मरता है और उसके लिए समाज के लोग करोड़ो रुपया खर्च करते है नीचे लिखे रीति रिवाजों पर और यही लोग ब्याज की चवन्नी भी नही छोड़ते। मप्र के बड़े अखबार नईदुनिया में आज की लीड स्टोरी है, कोई मन गढ़न्त कहानी नही है। तिस पर से आज जब समाज के बच्चे कुपोषण और भूख से बिलबिला रहे है तो करोड़ो रूपये के मन्दिर बनाने का क्या तुक है। देश भर में यहां तक कि मालवा में गोम्मटगिरी से लेकर पुष्पगिरी तक जैसे मन्दिर बने है, पूरी की पूरी पहाड़ि य

धूप का सौंदर्यशास्त्र 30 Jan 16

ये जो पके हुए बैरो की खटास जो घुलमिल जाती है धूप से लेकर हवाओं में वो पता नही कब गायब हो जायेगी , अब से मेरे ख़्वाबों में वो अमराइयाँ आ रही है जो लखनऊ से हरदोई जाते समय मलीहाबाद की सड़कों पर गमकती थी मीठे और मदहोश करने वाले नशे की तरह, आज भी इस मालवे में उस नवाब को ढूंढता हूँ जो एक आम का पेड़ मेरे ख़्वाबों में लगा दे और मैं उन कच्ची डालियों पर उचक कर तोड़ लूँ एक बड़ा सा पीला आम छुटपुटे में और भाग जाऊं किसी चोर की तरह और खाता रहूँ देर तक गुठली को और फाँकों को सजाकर रख दूं अपने दिल के आले में !!! दूर कही से सूरज की रुपहली किरणें पड़ती है तो चारो ओर फ़ैली यह मखमली हरियाली और मुखर हो उठती है, ये गेहूं की झूमती बालियाँ ऐसा तान छेड़ती है कि सडकों और गलियों से निकलती हवा रुक जाती है ठहठहाकर, भंवरें बावरे से होकर गुनगुनाने लगते है, मधु मख्खियाँ फूलों का रस छोड़कर टूट पड़ती है इस मखमली हरियाली पर और आकाश में उड़ते पक्षी कलरव गान शुरू कर देते है, ये बसंत का मधुमास है और पूरी फिजां में खामोशी पसारती हंसी ने छोटी छोटी पत्तियों को हिलाकर रख दिया होगा पूरे बियाबान में, इस बंद कमरे के बाहर मौसम बदल रह