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Showing posts from October, 2015

Posts of 31 Oct 15

नारीवादी , महिला वादी और वामपंथी महिलायें जो मेहंदी लगाकर और करवे खरीदकर और सभी प्रगतिशील वामपंथी नास्तिक जो बीबियो के उपवास में सहानुभूति जता कर आज करवा चौथ मना रहे है , उन्हें बधाई। साहित्य का जो गिरोह है उससे बड़ा, संगठित और घटिया कोई नही है और इसमें लेखक प्रकाशक से लेकर आलोचक और विक्रेता तक शामिल है जो लिखने से लेकर बेचने खरीदने और पुरस्कार की रेवड़ियां बांटकर लौटाने की भूमिका बखूबी निभाता है। हम सब, मेरे सहित इस खेल में शामिल है । सरदार पटेल के बहाने मोदी देश की राजनीती को एक नए मोड़ पर ले जाना चाहते है। सभी पूर्ववर्ती दिग्गजो को पछाड़कर नया मोहरा। वैसे इकट्ठे किये लोहे से और क्या किया ? लगता है मोदी ने मुक्तिबोध को समझ लिया "......तोड़ना होंगे मठ और गढ़ सारे ...." सारे खतरे उठा रहा है ... सच में वन्दनीय   😂 😂 😂 😂 😂 पटेल को लौह पुरुष बनाकर स्थापित कर रहे है पर अभी शिवराज को नही निकाल पाये जो व्यापम के दोषी है या बलात्कारी निहालचंद्र , क्या करें बेचारे कठ पुतली में इतनी ताकत कहाँ ? जो नागपुर कहेगा वही होगा मेरे  आका । बिहार में पटाखे फूटने का इंतज़ार ह

एषणा - जीवन के कटु अनुभवों से निकला सत्य

मौत ने सबका घर देखा है और जीवन ने भी। ख़ुशी में भले ना जाऊँ कही , पर मौत में जाना मुझे बहुत भाता है क्योंकि शादी - ब्याह , जनेऊ , जन्मदिन या उपलब्धियों की साझा ख़ुशी मनाते हुए लोग बहुत नकली लगते है , एक आवरण ओढ़कर खड़े होते है , खींसे निपोरकर वे उजबक लगते है , अपने वस्त्रों से लेकर चेहरे की भाव भंगिमा भी खरीदकर ले आते हो मानो , इसलिए यह ओढ़ी हुई ख़ुशी और प्रतिस्पर्धा में दूसरे को नीचा दिखाने की नीच प्रवृत्ति छुपी होती है सबमे - हर ख़ुशी के क्षण में , पर मौत में यह सब छल और प्रपंच नही है   - लोग बगैर लिपे पुते चेहरों में असलियत के साथ दिख जाते है , वे अपनी असली औकात के साथ आपसे मिलते है , पाँव में स्लीपर डाले लोग अपने दिल की बात सहजता से सब कुछ कह देते है , वे आपके पास आकर बैठ जाते है , पैदल चल देते है और आपकी पीठ पर या आपके गन्दे से हाथों में भी अपना मलिन चेहरा या हाथ धर देते है , उनके आंसू या आपके शरीर के घाम का कोई असर उस समय कही व्योम में चला जाता है। इसलिए मुझे मौत पसन्द है , मौत का साम्राज्य , उसकी विरासत , उसका वैभव और उसका पूरा अपने आप में मुकम्मल होना भाता है। मैं मौत की कामना