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Showing posts from October, 2016

Diwali 30 Oct 2016

मैं मरूंगा सुखी मैंने जीवन की धज्जियां उड़ाई हैं. - अज्ञेय ***** जिस अंदाज में देवास जैसे छोटे से कस्बे में पटाखों की गूँज है और रोशनी की जगमगाहट है उससे लगता नही कि मैं एक औसत मध्यम वर्गीय लोगों और प्रायः रूपये का रोना रोने वालों के बीच रहता हूँ और अब मुझे फिर से औद्योगिक क्षेत्र की समाप्ति के बाद उजड़े शहर में गरीबी, बेचारगी, बेरोजगारी, बाज़ार, मालरहित कस्बाई मानसिकता और अभाव जैसे शब्दो को परिभाषित करना होगा। समझ नही आता कि रुपया आता कहाँ से कैसे है और कहाँ और क्यों जा रहा है बावजूद इसके कि यह कस्बा आज भी औसत जीवन जीता है और लगभग हर घर  किसी ना किसी ऋण की किश्तें चुकाते हुए, हाँफते हुए साँसों के सफर में आगे बढ़ने की दौड़ में शामिल है। पिछले 48 वर्षों में पहली बार मुझे यह एहसास हुआ है तो लगता है कि मैं गलत हूँ, देश सच में बदला है और लोग खुश है, तरक्की पर है और उन्नति कर रहे है। गलत मूल्यांकन करने के लिए मैं खुद दोषी हूँ, कल 30 करोड़ का सोना बिका इस कस्बे में अखबार आज दहाड़ रहे थे और वुडलैंड से लेकर रेड चीफ और सारे ब्रांड बेचने वाले मित्र खुश है कि माल खप गया है। देश क

Rest in Peace Dr BK Pasi, You will be Remembered Always

नमन डा बी के पासी सन 1991-92 का साल था , एम ए अंग्रेज़ी में करने के बाद कुछ और पढ़ा जाए इस बात की इच्छा थी लिहाजा सोचा कि पीएच डी करने में तो समय लगेगा क्यों ना एम फिल कर लिया जाए, इंदौर के देवी अहिल्या विवि में थोड़ा परिचय था, स्याग भाई ( डा रामनारायण स्याग ) ने ताजा ताजा शोध पूरा किया था और शिक्षा विभाग में अक्सर आना जाना होता था, देवास की मीना बुद्धिसागर उन दिनों वहा शोध के लिए पंजीकृत हुई ही थी, डा उमेश वशिष्ठ, डा सुशील त्यागी, डा छाया गोयल और डा देवराज गोयल से परिचय था ही, सो सोचा कि क्यों ना यहाँ कुछ पढाई की संभावनाएं टटोली जाएँ. सीधा जाकर डा बी के पासी से मिला तो उन्होंने अपने चिर परिचित अंदाज में कहा क्या करेगा अब पढ़कर और इतना अच्छा काम कर रहा है तो अब क्या करना है फिर मैंने जिद की तो उन्होंने कहा कि थोड़ा ठहर जा मै एक नया पाठ्यक्रम शुरू कर रहा हूँ भविष्य अध्ययन मान्यता के लिए प्रकरण यु जी सी गया है आते ही सूचना करूंगा. बात आई गयी हो गयी, एक दिन बैतूल में गया हुआ था एक शिक्षक प्रशिक्षण में था तो डा पासी का फोन घर पहुंचा और कहा कि तुरंत मिलने को बुलाया है. मै आते ही

Posts of Sept_16 last week. Ranchi Raipur Teafe, of Priyank Patel and Friends of Raipur

सहिया यानी आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को गाँव में बहुत सम्मान है क्योकि वो गर्भवती और धात्री महिलाओं के साथ बच्चों का ख्याल रखती है और आधी रात को भी गाँव के लोगों की मदद करने को तैयार रहती है, गाँव की महिलाओं के साथ ये गा रही है स्वागत गीत हमारे लिए जिसका अर्थ है कि गाँव में कोई अतिथि आया है, हमारे जंगल, चारों ओर उग रहा धान का नवान्न और दूर तक फैले हुए पत्थर जो हमारे गाँव की सुरक्षा करते है, बांस के झूमते पेड़ और इक्का दुक्का महुए के पेड़, हमारे सारे जानवरों के साथ सूअर भी स्वा गतातुर है - जो हमारे गाँव के लोहार पालते है, सभी फ़लों के साथ हमारे गाँव का नींबू जिसकी विशेष प्रजाति है - ये बहुत बड़े है और पक रहे है और हमारे बच्चों को देने से वे खटाई खाकर अन्न पचाते है, ये नीम, पीपल, बरगद और बबूल के पेड़ जो हमारे गाँव की शान है और मेड़ों पर उग रहे छोटे छोटे पौधे जो साक्षी है हमारी सभ्यता के कि सब उगता है और एक समय के बाद नष्ट होता है क्योंकि नया आने के लिए पुरानों को खत्म होना होता है और बड़े पेड़ों को स्थायी बनाने के लिए ये पौधे कुर्बानी देते है - एक मौसम में नन्हे से रंग बिरंगी फूल उगाकर खत्म ह