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Showing posts from September, 2018

27 and 28 Sept 2018

बलात्कार के लिए बालिग होना जरूरी नहीं बच्चे भी पर्याप्त है इस "नेक काम" के लिए, लगातार मोबाईल पर तमाम तरह का ज्ञान प्राप्त कर उनके हार्मोन्स ज़्यादा उत्तेजित होकर कम उम्र में सक्रिय हो रहे है, बच्चियों की मेनारकी की उम्र भी घट गई है और हम 14 - 15 साल के किशोर को बच्चा मानकर ट्रीट कर रहें हैं - यह हमारी कमजोर समझ का नतीजा है , वे हत्या, लूट, डकैती से लेकर बलात्कार में भी सहज शामिल है और हम बाल अधिकारों की बात कर रहें है नई दुनिया की खबर है आज कि 7 साल की बच्ची के साथ तीन नाबाल िगों ने गैंगरेप किया ये नाबालिक 14- 15 साल के बच्चे हैं - जो सातवीं और नवमी में पढ़ते हैं , अच्छी बात है कि इनमें से एक उसका चचेरा भाई है देश में मोबाइल में फ्री डाटा की बहार है , प्रातः स्मरणीय अंबानी जी, आदित्य बिरला जी और भारतीय जी के कारण डेढ़ जीबी डाटा रोज निशुल्क मिल रहा है और हम जिम्मेदार अभिभावकों ने अपने बच्चों को स्मार्ट फोन हाथ में दे दिए हैं - बेटा खूब देखो पोर्न फिल्में और मजे करो हम में से कितने अभिभावक अपने बच्चों के मोबाइल के लॉक पेटर्न जानते हैं, कितनों को पासवर्ड पता है , क

26 Sept 2018

जब राजा सिर्फ और सिर्फ निंदा रस में निर्लिप्त होकर मूल मुद्दों से हट जाए तो- अपने राज्य के लोगों को सन्त्रास देने लगे उनके आवागमन से लेकर रोजी रोटी के लिए विपरीत परिस्थितियां पैदा कर दें तो - राजा के दरबार के सभी नवरत्न विशुद्ध मूर्ख, गंवार और अनपढ़ों से गये बीते हो तो - राज्य के बच्चों, किशोरों और युवाओं को नैतिक और सही शिक्षा देने के बजाय राजा और उसके गण उनके दिमाग़ में जहर भरने लगें और आचार्यों को मजदूर से गया बीता बनाकर श्रम करवाएं तो - चरक , सुश्रुत और पतंजलि के देश में लोगों के वात पित्त के दोष निवारण के बजाय राज्य जँगली सियारों और शेरों के हवाले निर्दोष बीमार लोगों को चंद रुपयों के लिए चारा समझकर फेंक दें तो - राज्य के न्यायाधीश, समस्त जिम्मेदार पदों पर बैठे अधिकारी भी भांग और नशे में धुत्त होकर उन्मुक्त हो जाएं तो - जिस राज्य में किशोर, युवाओं को शिक्षा, मार्गदर्शन के बजाय उन्हें गधा मानकर भेड़ो की तरह से हांका जाएं और इस्तेमाल कर फेंक दें तो - जिस राज्य में देवी स्वरूपा मातृ शक्ति की नित भ्रूण हत्या हो और उनके साथ बदसलूकी से लेकर बलात्कार होना प्रजा का धर्म हो जा

Posts of 20- 21 Sept 2018

राफेल डील कोई बड़ा मामला नही है कांग्रेस के हाथ चिन्दी लगी है जिसे लेकर वे उचक रहें हैं असली बात यह है कि मोदी सरकार लोकसभा और विधानसभा के चुनाव साथ करवाना चाहती है इस खेल में सब शामिल है और जो नही उनके पीछे सीबीआई को छू कर दिया गया है - समझिए इसे इसमें राहुल जिस तरह से "गली गली में शोर है, देश का चौकीदार चोर है " के नारे लगाकर जनता में भाषण दे रहें हैं वह शोचनीय है , उन्हें इस तरह की भाषा नही बोलना चाहिए, ये दीगर बात है कि राहुल बोफोर्स में लगे आरोपों का जमकर खूनी बदला ले रहे है और अब फ्रांस के जिम्मेदार व्यक्ति के खुलासे के बाद मोदी और अमित शाह की संलिप्तता से इनकार नही किया जा सकता ,अम्बानी को शर्म है नही तो क्या हम देश वासियों को तो है, रॉबर्ट वाड्रा से बडे वाले निकले ये लोग मायावती को सीबीआई के ख़ौफ़ से अमित शाह ने चुप करवा ही दिया है, सपा, नीतीश कुछ बोलेंगे नही, कामरेडों ने 5 लोगों के घर मे बन्द रहने के नमूने देख ही लिए है और ममता का कोई स्पष्ट मत नही बाकी गधों को समझ नही और जनता का नुमाइंदा लालू जेल में है अब बात पता नही कितने मजाक, चुटकुलों और उजबक व्याख्याओ

मोहन भागवत के कन्फेशन और संघ का मोदी शाह से मोह भंग 18 Sept 2018

संघ प्रमुख ने सम्भवतः पहली बार मुक्त कंठ से कांग्रेस की तारीफ करते हुए कहा कि आजादी के आंदोलन में कांग्रेस का योगदान महत्वपूर्ण है और कई महान व्यक्तित्व कांग्रेस ने देश को दिए है यह बात महत्वपूर्ण भी है और संघ के खुलेपन का भी प्रतीक है , इस खुलेपन की बयार में हमने प्रणव दा को सम्बोधित करते सुना और दिल्ली में चल रहे विचार मंथन और भारत के भविष्य में संघ की भूमिका कार्यक्रम में विपरीत विचारधारा के लोगों को अपने बीच बुलाकर सुनना भी संघ के इतिहास में पहली बार हो मोहन भागवत इस बहाने संघ को पुनः सांस्कृतिक मंच और सांगठनिक संस्थान घोषित करवाना चाहते है वे अपने पर पिछले चार वर्षों में भाजपा पर रिमोट से सरकार के आरोप को खाफीज करना चाहते हैं साथ ही वह अपने कार्यकाल को भी अब पाक साफ रखकर शांति से विदा लेना चाहते हैं जाहिर है. 2019 में सरकार तो भाजपा की ही बनेगी परंतु इस दौरान उन्हें जो प्रशासनिक आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और न्यायिक तौर पर जो फैसले करवाने थे वह करवा चुके हैं और तंत्र में संघियों की पर्याप्त घुसपैठ भी करवा चुके हैं इसलिए अब उन्हें 2024 तक बल्कि और ज्यादा चिंता कर

बच्चों को बख्श दो मालिक 16 Sept 2018

बच्चों के साथ और बच्चों के लिए काम करना बहुत जरूरी है उन्नत राष्ट्र, वर्तमान के समाज में मूल्य बनाएं रखने को और सुसंस्कृत राष्ट्र के भविष्य के लिए पर यह सेफ पैसेज है कामरेड्स , बहुत आसानी से कम्फर्ट ज़ोन्स में रह सकते हो और गुजर बसर बहुत ही सुलभ सरलता से हो सकता है ताउम्र असली चुनौती समाज के दीगर क्षेत्रों की है , इन दिनों रोज कॉलेज जाता हूँ तो उज्जड, भयानक बदतमीज और हर छोटी सी बात पर लड़ने और माँ - बहन करने पर उतारूँ युवाओं को देखता हूँ जो किसी की भी बात सुनने को तैयार नही और इतना ख़ौफ़ है इनका कि ना प्राचार्य, प्राध्यापक , प्रशासक और ना ही पुलिस कुछ भी करने में सक्षम है और ना वो बर्रे के छत्ते में हाथ डालना चाहते हैं, इतने भयावह हालात है कि महिला प्राध्यापक तो कांपने लगती है - कक्षा में बातचीत, मोबाइल का इस्तेमाल, चाहे जब आना जाना, चलते व्याख्यान में अपने मवाली मित्रों को बुलाकर गुटखा खाना और ना जाने क्या क्या, पाठ्यक्रम से लेकर मास्टरों की अयोग्यता को भी कोई देखें जो दो लाख ले रहे है पर ना ज्ञान ना सीखाने के तौर तरीके , बेहद भयावह है उच्च शिक्षा के चक्रव्यूह बताईये कोई है जो इ

पत्थरों और लोहे पर सपने साकार करता कलाकार - नीरज अहिरवार 10 Sept 2018

ये है नीरज अहिरवार, उम्र 38 वर्ष, भोपाल से चित्रकला में मास्टर डिग्री और रचनात्मक व्यक्तित्व -कला के लिए समर्पित, बीना के रहने वाले नीरज अब कला नगर भोपाल के हो गए है और यही साधनारत है भदभदा रोड पर एक खुले मैदान में अपना काम करते है, कड़े और अबोले पत्थरों को आकार देकर दुनियाभर में चर्चित बना देते है कलाकृति मानो बोल पड़ती हो, यह एकाध बीघा में फैला नवनिर्मित पार्क है जो कुशा भाऊ ठाकरे जी के नाम पर है, यहां झुग्गियां थी और नीरज कहते है कि झुग्गियों में जुआ, अवैध शराब आदि गलत काम होते थे इसलिए उन्हें तोड़कर यह पार्क विकसित किया गया है, पार्क में लगी स्व कुशा भाऊ ठाकरे की प्रतिमा भी नीरज ने बनाई है दो दिन भोपाल में था तो इनके काम के बारे मे पता चला, मित्रों के साथ कल सुबह इनका काम देखकर हैरानी हुई और खुशी भी इन दिनों ये एक घोड़े पर काम कर रहें हैं पांच टन लोहे को तोड़ मोड़कर और मोल्ड करके एक विशाल घोड़े को इन्होंने तैयार किया है जो लगभग तैयार है और भोपाल में एम्स के नजदीक किसी चौराहे पर यह जल्दी ही स्थापित किया जाएगा, इस घोड़े को इस तरह से लगाया जाएगा मानो यह एक दीवार को तोड़कर पूरे

Posts between 5 to 10 Sept 2018

दो दिन भोपाल के दो - एक साहित्यिक सम्मान समारोह में था, पूरे दो दिन संचालको ने भी भयानक ज्ञान बांटा, मुख्य समारोह में तो पूरे कार्यक्रम में संचालक नाम का बन्दा अकेला ही 40 से ऊपर मिनिट खा गया , इसके पहले छिंदवाड़ा, नागपुर, सेवाग्राम, मुंबई, बड़ौदा, मेरठ, दिल्ली, गांधी नगर, अहमदाबाद, बनारस, इलाहाबाद और जबलपुर में भुक्तभोगी रहा हूँ- भोत बुरे अनुभव है भिया - कसम से एक अध्यक्ष बनें तो दो तीन कविताएं अपनी भी पेल दी, एक सम्मानित ने तो जीवन भर का ज्ञान और वेद ऋचाएं पढ़ा दी ! अरे भाई श्रोता, पाठक या दर्शक मूर्ख नही है, एक कवि सम्मेलन में मेरे सहित गजब के कवि थे मतलब जमावड़ा ऐसा कि हरेक नोबल का अधिकारी - तो अब कविता भी नही सुननी, कहानी तो सुनना ईच नई - बिल्कुल नही - साला 25 से 37 मिनिट कोई कहानी सुनाती है क्या , अपुन का भेजा डायवर्ट होता है मालिक और इनका पेट ही नही भरता पेल पेलकर भी बहुत साल पहले देवी अहिल्या विवि सभागार में इंदौर के एक ख्यात तथाकथित लेखक और किसी बैंड वाले जैसा बहुरूपिया स्थानीय मुहल्ले के एलाउंसर टाईप बन्दे ने संचालन करते हुए हर वक्ता और कवि के बीच अपने ठिठके और थोथे ज्ञान

Posts of 2 to 5 Sept 2018

जो सरकार पेट्रोल डीजल के भाव नही सम्हाल सकती तो ना उसे शासन चलाने का हक है ना दुनियाभर में हीरोपंक्ति करने का नैतिक अधिकार है दुनियाभर के मूर्ख और विध्वंसक नेताओं को हमारे पवित्र त्योहारों पर अतिथि बनाकर बुला लेते है और बाद में हमारी मेहनत की कमाई का रुपया उन्हें सौंपकर हथियार हजार गुना दामों पर खरीदकर उपकृत करते है - ऐसे नेताओं का बहिष्कार किया जाना चाहिए बहरहाल, यदि अन्तर्राष्ट्रीय भाव का मुकाबला करो और निकम्मों अपने बस में जो है टैक्स , वह तो कम करो - मसलन मप्र में शिवराज  सरकार देश मे सबसे महंगा पेट्रोल डीजल बेच रही है, रोज जूते खा रहे है जनता से फिर भी अक्ल नही आ रही ये सरकार नही सरेआम अपनी ही जनता को लूटने वाली संगठित भ्रष्ट व्यवस्था है जो जिले से लेकर दिल्ली तक विराजमान है और अब भी समझ नही आ रहा जब पूरा देश छात्रों, किसानों, जातीय और वर्गों के समूह सरकार के खिलाफ सड़कों पर है फिर भी इन तानाशाहों को दिख नही रहा जनता के बर्दाश्त करने की एक सीमा होती है याद रखिये और सिर्फ प्रधान, जेटली जैसा कारपोरेट का गुलाम एवम कमजोर मंत्री और अकर्मण्य मुख्यमंत्रियों की फौज इस देश के

कुपोषण के दैत्य से मुक्ति पाए बिना बाल विकास अधूरा 3 September 2018

कुपोषण और बच्चे अब एक दुसरे का पर्याय बन गए है जोकि दुखद ही नही वरन बड़ी चिंता का विषय है. मप्र, छत्तीसगढ़, बिहार, उत्तरप्रदेश, झारखंड और उडीसा जैसे राज्य पिछले कई वर्षों से कुपोषण की गिरफ्त में है और इनमे मप्र की हालत बहुत ही खराब है. राष्ट्रीय पोषण मिशन द्वारा सितम्बर माह में पुरे देश में राष्ट्रीय पोषण माह मनाया जा रहा है जिसमे पोषण जागरूकता, गर्भावस्था में देखभाल, स्तनपान, स्वच्छता, एनीमिया, सूक्ष्म पोषाहार, बालिका शिक्षा, सही उम्र में विवाह जैसी थीम को लेकर देश की सभी आँगनवाडियों में माहभर गतिविधियाँ आयोजित की जाकर समुदाय को जागृत करने का प्रयास किया जाएगा. अभी तक समन्वित रूप से कुपोषण को हल करने के कई प्रयास हुए है परन्तु आंकड़ों को देखे तो हालात खराब ही है, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण- चार के अनुसार मप्र में कुपोषण की दर अभी भी स्थिर ही है बावजूद इसके कि कई प्रयास किये गए है. विशेषकर आदिवासी जिलों जैसे मंडला, डिंडौरी, छिंदवाडा, झाबुआ, आलीराजपुर, बडवानी, श्योपुर, शिवपुरी आदि में हालात बहुत ही खराब है. कम वजन, ठिगना और दुबला पतला होना कुपोषित होने के घातक लक्षण है. मप्

Posts of Last Week August 2018

एक उदास शाम में विशाल एवम खुले रँग के हर पल बदलते आसमान को भी तन्हा और उदास देखकर साहिर को याद कर रहा हूँ, अपने आप से बात कर रहा हूँ और शिद्दत से लगा कि अब आगे क्या  ------------ तंग आ चुके हैं कशमकश-ए-ज़िंदगी से हम  ठुकरा न दें जहाँ को कहीं बे-दिली से हम मायूसी-ए-मआल-ए-मोहब्बत न पूछिए   अपनों से पेश आए हैं बेगानगी से हम लो आज हम ने तोड़ दिया रिश्ता-ए-उमीद   लो अब कभी गिला न करेंगे किसी से हम गर ज़िंदगी में मिल गए फिर इत्तिफ़ाक़ से   पूछेंगे अपना हाल तेरी बेबसी से हम! - साहिर लुधियानवी [ प्यासा 1957 ] ***** । बोध कथा ।। _____________ एक जंगल में एक चन्दन-वृक्ष था, जिस पर अन्य पक्षियों के साथ एक हंस का भी बसेरा था । एक बार जंगल में आग लगी । चन्दन का पेड़ भी जलने लगा । सभी पक्षी उड़ गये लेकिन हंस जलते हुये चन्दन-वृक्ष की डाल पर बैठा रहा । चन्दन के वृक्ष ने हंस से पूछा : "आग लगी बनखण्ड में, दाझ्या चंदण-बंस,   हम तो दाझे पंख बिन, तू क्यों दाझे हंस" अर्थात - हे हंस, जंगल में आग लग गयी है और यह चन्दन-वृक्ष भी झुलस रहा

नव एनजोओ पुराण

1 आप हमारे लिए 3 माह की कंसल्टेंसी करेंगे जी बिल्कुल करूंगा , यदि आप रुपया देंगे - तो क्यों नहीं करूंगा करना क्या है वह क्या है कि राष्ट्रीय टी बी कार्यक्रम चल रहा है - उसके लिए राज्य का एक स्ट्रेटेजी प्लान बनाना है , तो आप हमें फील्ड विजिट करके बना कर देंगे और यह राष्ट्रीय प्लान जो है - उससे अलग नहीं होना चाहिए , आप नेट पर पढ़ लेना जी,आपने पढ़ लिया क्या अरे नही कौन पढ़ेगा इतना , बहुत है साला तो मैं भी कचरा नही पढ़ता, बहुत कचरा है कंट्री पेपर और स्ट्रेटेजी पेपर के नाम पर हर विभाग का हमारा स्ट्रेटेजी पेपर बना देँगे ना आपने जो कहा वो बिल्कुल बना देंगे , क्या इसमें आपके भोपाल ऑफिस के लोग या राज्य के लोग सहयोग करेंगे - क्योंकि आप लोग तो टीबी पर पिछले 20 वर्षों से काम कर रहे हैं, आपके यहां 3 - 4 वरिष्ठ महिलाएं हैं और अनेक लोग हैं - जो मोटी तनख्वाह लेकर टीबी पर ही काम कर रहे हैं नहीं जी, यह लोग नहीं कर सकते , पर हम आपको सुझाव देंगे कि आप कुछ राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय वेबसाइट पढ़ लें और उस पर जो स्ट्रेटेजी होती है - उसे इस राज्य के अनुकूल ढाल लें, आदिवासी आदि जोड़ लें और फ