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Showing posts from January, 2011

इस देश का यारो क्या कहना......

इस बार मैं अपने देश के उन वर्तमान हालातो को आपसे रु बा रु करना चहता हूँ जिससे हमारा भविष्य भी जुड़ा है 1) भारत की आबादी के 71% लोग 35 साल से कम उमर के हैं, मतलब वे जवान हैं 2) 2.9 करोड़ लोग हर साल पैदा होते हैं और 1 करोड़ लोग हर साल मरते हैं, यानि जनसँख्या में हर साल 1.8% बढोतरी हो रही है | 3) भारत में 90% से 94% बच्चे 10+2 से पहले ही स्कूल छोड़ देते हैं | इसमे वो बच्चे भी शामिल हैं जो कभी स्कूल नहीं गए हैं | 4) भारत में 970,000 स्कूल हैं, जबकि चीन में 1,800,000 स्कूल हैं | 5) भारत मैं मात्र 6% छात्र 10+2 (शिक्षा की नियंत्रण रेखा) को पार कर पाते हैं | इनमें से भी अधिकतर ऐसे डिग्री कोर्स की पढ़ाई करते हैं जिनका आज के दौर में, रोजगार के अवसर पैदा करने, राज्य की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में कोई योगदान नहीं है | 6) देश के सभी 15,600 कालिज के कुल डिग्री धारकों में 72% आर्टस विषय वाले हैं | मात्र 28% छात्र विज्ञान, कामर्स, मैनेजमेंट, इन्फोर्मेशन टेक्नोलॉजी, कानून, मेडिकल, इंजीनियरिंग जैसे खास विषय पढ़ते हैं | 7) हमारे पास 372 विश्वविद्यालय हैं | चीन के पास 900 और जापान के पास 4000 हैं

नागार्जुन की कविता -

प्राइवेट बस का ड्राइवर है तो क्या हुआ, सात साल की बच्ची का पिता तो है! सामने गियर से उपर हुक से लटका रक्खी हैं काँच की चार चूड़ियाँ गुलाबी बस की रफ़्तार के मुताबिक हिलती रहती हैं… झुककर मैंने पूछ लिया खा गया मानो झटका अधेड़ उम्र का मुच्छड़ रोबीला चेहरा आहिस्ते से बोला: हाँ सा’ब लाख कहता हूँ नहीं मानती मुनिया टाँगे हुए है कई दिनों से अपनी अमानत यहाँ अब्बा की नज़रों के सामने मैं भी सोचता हूँ क्या बिगाड़ती हैं चूड़ियाँ किस ज़ुर्म पे हटा दूँ इनको यहाँ से? और ड्राइवर ने एक नज़र मुझे देखा और मैंने एक नज़र उसे देखा छलक रहा था दूधिया वात्सल्य बड़ी-बड़ी आँखों में तरलता हावी थी सीधे-साधे प्रश्न पर और अब वे निगाहें फिर से हो गईं सड़क की ओर और मैंने झुककर कहा - हाँ भाई, मैं भी पिता हूँ वो तो बस यूँ ही पूछ लिया आपसे वर्ना किसे नहीं भाएँगी? नन्हीं कलाइयों की गुलाबी चूड़ियाँ! ( पंकज शुक्ला के सौजन्य से )