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Showing posts from May, 2014

मोदी के बाद भारत और दलित संघर्ष - एक व्यंग्य

एकदम सही समय हो आरक्षण ख़त्म करने का !!! कारण साफ है ना सपा , ना बसपा, सब अगड़े , कोई ना पिछड़ा !!!  सही कह रहा हूँ पुण्य मिलेगा, राम मंदिर बनाने के साथ धारा 370 ख़त्म करें हम सब, समान आचार संहिता लागू करें और अंग्रेजों के बनाए सब क़ानून ख़त्म करें  देश है तो लोग है । देश में सच में बहुत चेतना है और विकास हुआ है। जाति और बाकी सब भी इन सत्तर सालों में ख़त्म हुआ है यह मै गंभीरता से कह रहा हूँ। सपा और बसपा का सफाया, उप्र से एक भी मुसलमान सांसद का ना आना भी एक संकेत ही है। अब हमें नए सामाजिक समीकरणों और इंजिनीयरिंग की जरुरत है। समाज विज्ञानियों को यह कौतुहल लग सकता है पर सच तो सच है। अब दलित पिछड़ों और मुसलामानों को दरकिनार करके राष्ट्र हित में हमें आगे बढना होगा और आने वाले दशक में देश को जग सिर मौर बनाना होगा।  आईये इस हवन में हम सब साथ चलें ।  देश के कमजोर तबके के दिन फिरने वाले है। देश के होने वाले प्रधानमंत्री जी श्री मोदी जी चायवाले, चौकीदार और मजदूरों की स्थिति जानते है और यह दिल से कह रहा हूँ तंज नहीं है। यह एक विकास की अच्छी शुरुवात है मेरी शुभकामनायें उन्हें। ख़त्म हो गए आम्बेडकर ,

छत्तीसगद की यादे

1 श्रीराम वाटिका कांकेर, छग ।  छग वाकई बहुत सुन्दर है दोस्तों। आज इस घने वन प्रांतर में देखा और इसी समय सीमा सुरक्षा बल के एक जवान सूरज सिंह से बात हुई उसने बताया कि आज डी जी पी आने वाले है इसलिए सड़कों पर हर सौ मीटर की दूरी पर जवान मुस्तैद ह ै। सूरज बारहवी पास है और बीकानेर का रहने वाला है। उसने कहा कि इतने सुन्दर जंगल है छग में फिर ये नक्सलवादी क्यों है यहाँ ??? और उसने सिर्फ पूछा कि हमारी प्लाटून कब तक यहाँ गर्मी में सड़को पर, जंगल में ड्यूटी देती रहेगी??? मेरे पास सच में कोई जवाब नहीं था मित्रों। 2 एक बार फिर कांकेर में अपनी पसंदीदा किताब की दूकान पर। अबकी बार पहली जो किताब ली वो थी "तीन सहेलियां तीन प्रेमी" यह मित्र आकांक्षा पारे काशीव का कहानी संग्रह है। 3 जब जंगल से गुजरता हूँ तो घने पेड़ों, पक्षियों के कलरव, सुने पड़े पत्थरों और ऊँची घास में लगता है कही खो जाऊं और एक बार फिर से अपने आप को खोजना शुरू कर दूं कि कभी तो किसी मान्द से निकलकर एक पुरे वजूद के साथ निकालूँगा अपने आपको - जो इन दिनों पता नहीं किसी होड़ और दौड़ में खो गया है। 4 जगदलपुर के च