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Showing posts from June, 2015

Posts of 29 June 15

डा बी आर आंबेडकर और मो. क. गांधी से मुक्ति पाये बिना इस देश का उद्धार नही हो सकता। गांधी ने निकम्मे और भृष्ट गांधीवादी और कांग्रेसी पैदा किये जो मठ बनाकर बैठे है और आंबेडकर ने आरक्षण के नाम पर अयोग्य और घटिया लोगों को तंत्र में बिठा दिया जो ना कुछ करना चाहते है ना सीखना! जिन भी लोगों को जीवन में एक बार भी आरक्षण का लाभ मिल गया है चाहे शिक्षा में, किसी कोर्स के प्रवेश में, छात्रवृत्ति में, नौकरी में, प्रमोशन या सरकारी सुविधा लेने में या मकान दूकान लेने में या किसी अन्य प्रकार के सुख उठाने में अब उनसे जाति प्रमाणपत्र छीन लो और भीड़ में शामिल करो और सामान्य मानो क्योकि अब बहुत हो गया दलितों को लम्बे समय तक बरगलाते हुए दूसरे वर्ग के इंसानों को बेवकूफ बनाना . बंद करो आरक्षण का नाटक या दम हो तो मंडला, डिंडोरी, खालवा या कवर्धा के आदिवासियों को नौकरी दो उन्हें डाक्टर इंजिनियर बनाओ ये शहरी दलितों को जो इंदौर भोपाल में पढ़कर छात्रवृत्ति लेकर दिल्ली से लाकर विदेशों तक में जाकर पढ़ आते है और बेशर्मी से जाति का कार्ड खेलकर किसी भिखारी की तरह से सरेआम फ़ायदा लेते है उनको समाज से बहिष्कृत करो. धर्म शि

ज्ञानेंद्रपति के साथ उजास के तीन दिन

आज अफसोस होता है की सन 70-74 में अज्ञेय जी जैसे बड़े लेखक हमसे बात करते थे तो हम बेहद अशिष्ट होकर जवाब देते थे, दिल्ली के कनाट प्लेस के सेन्ट्रल होटल में एक शाम उन्होंने मिलने बुलाया था तो चाय पिलाई और दो घंटे तक बात करते रहे और पूछा कि मेरा नया नाटक पढ़ा? तो मैंने कहा कि उसमे नाटक जैसा कुछ नहीं है इससे तो बेहतर मेरा नाटक है. मजे की बात यह है कि यह नाटक अब कही जाकर चालीस साल बाद नॉट नल पर शाया हुआ है. अब अफसोस होता है कि मेरे जैसा आदमी कितना अशिष्ट था..........!!! क्या आप यह कह रहे है कि आज के युवा साहित्यकार भी इसी अशिष्टता के शिकार है?  नहीं, नहीं मै कतई यह नहीं कह रहा परन्तु जब अशिष्टता देखता हूँ, सुनता हूँ तो दुःख होता है कि हमने अशिष्ट होकर बहुत कुछ खो दिया, काश सही समय पर सब यह बात समझ से समझ सकें......और कम से कम एक शिष्ट व्यवहार सबके साथ कर सकें , मत भिन्न होना अलग बात है पर अशिष्टता बर्दाश्त नहीं होती, क्योकि मैंने खुद यह अशिष्टता की है, अज्ञेय जैसे व्यक्ति के साथ तो निश्चित ही आज पश्चाताप है.  दो बार पी सी एस की परीक्षा पास की, मुझे नौकरी तो करना नहीं थी परन्तु

इलाहाबाद का उजास और हिन्दी का समकालीन साहित्यिक जगत

इलाहाबाद में कई लोग मिले और कई मुद्दों पर बातचीत हुई और सबसे अच्छा यह था कि सभी मुद्दे साहित्य और कविता के इर्द गिर्द घूमते रहे. असल में इक्कीसवीं सदी के प्रस्थान बिंदु में बारे में बातचीत सिमट कर रह गयी और जैसाकि होता है कुछ लोग जान बूझकर विवाद खडा करने को कुछ नाम अक्सर व्योम में उछाल देते है जिससे सारी बातचीत एक तरफा हो जाती है, शुक्र यह है कि एक बड़ा वर्ग समझदार और मैच्योर था जिससे यह प्रयास असफल हो गया परन्तु महिमा मंडन हिन्दी की एक पुरानी  परम्परा है और इस समय हिन्दी में आत्म मुग्धता  का बड़ा दौर चल रहा है जहां लेखक एक मल्टीपरपज भूमिका में है. जाहिर है इसमे लिखना एक शगल, विचारधारा थोपना आदत और अपने को श्रेष्ठ साबित करना एक साहस है जिसे कई लोग बहुत सहजता से लेते है और क्योकि अब हिन्दी में अन्य भाषाओं की तरह से विशुद्ध लेखक बचे नहीं है वे एक विधा के निष्णात नहीं वरन वे कविता, आलोचना, कहानी, ब्लोगर, सम्पादक और प्रकाशक भी बन गए है. जाहिर है यह सब जुगाड़ और सेटिंग के बिना संभव नहीं है.  इसके ठीक विपरीत पाषाण कालीन  मूर्तियों के बीच ऐसी भी जीवंत मूर्तियाँ विराजित थी जो बहुत सहजता से सब

Post of 24 June 15

सांसदों के भोजन के अधिकार पर यह गरीब मुल्क जिसके बच्चे भूख से मर जाते है, पर साठ करोड़ प्रतिवर्ष खर्च करता है. शर्मनाक है या गर्वीला वक्तव्य माननीय लोकसभा स्पीकर महोदया, मोदी जी तो ज्यादा विदेश में रहते है और अमित शाह ही देश चला रहे है जैसे सोनिया जी चला रही थी, ये दीगर बात है कि मन मोहन जी देश में ही रहते थे. पर अब निम्न मामलों में आपसे कार्यवाही अपेक्षित है क्योकि आप अध्यक्ष है और नियम कायदे जानती है (?) चूँकि लोकसभा देश की सबसे बड़ी संस्था है जो सर्वमान्य और सम्मानीय है अतः देश हित में आपका निर्णय प्रशंसनीय होगा. आपने लोकसभा में लंबा समय गुजारा है और देश हित में कई काम किये है शायद, इंदौर की बात अलग है जहां लोग ों ने आपको अंतिम बार मोदी लहर में मौका दिया था इस बार, अगर आप अब भी इंदौर के लिए कुछ ना कर पाई तो दीगर बात है पर देश के लिए तो कुछ कर दीजिये, आपके लिए यह आख़िरी कार्यकाल है, अतः अपेक्षा है कि लोक जीवन में आपके द्वारा स्थापित आदर्श आने वाली पीढ़ियों के लिए रोल मॉडल का काम करेंगे. कृपया निम्न पर तुर्रंत कार्यवाही करें. निहाल्चंद्र   सुषमा स्वराज स्मृति ई

Post 16 June 15

कल रात बादल छा रहे थे सारी रात छत पर घुमते हुए लगा कि कुछ है जो खो रहा है, कुछ है जो घुल रहा है, कुछ है जो बारिश की बूंदों से होता हुआ सीधे अंदर उतर रहा है । बहुत देर तक बादलों के पीछे चलता रहा और खोजता रहा चाँद को! कल रात जल्दी के कारण देख नही पाया था । आज शाम होने के ठीक पहले वह छत पर आ गया, सूरज की मन्द होती लालिमा और बूझते सूरज को देखकर हालांकि वह दुखी जरूर था , पर चाँद के निकलने को लेकर बहुत आशान्वित भी था क्योकि उसने हर रात चाँद को देखा था। अपने कमरे के एक गमले में उसन े चाँद को छुपाकर रखा था, यह गमले में छुपा चाँद वह अपने सख्त जूतों में छुपा ले जाता - जब वह खरगोश और चींटियों से मिलने दूर अक्सर जंगल में जाता । घने पेड़ों के बीच चलते चलते जब चाँद छुप जाता तो वह पगडंडियों के बीचो बीच अपने नन्हें से जूते खोलकर बैठ जाता और फिर उसमे चाँद को बाहर निकाल कर जी भरकर देख लेता और बातें करते करते नदी के तैरते पानी में एक उछाल मार कर सो जाता। यह उसके और चाँद के बीच एक मौन समझोता था जो धरती तारों को रास नही आता था। आज की रात फिर अपने गमले में छुपे चाँद को जूतों में छुपा वह खुली छत पर ल

Happy Marriage Party of Kushal and Gunjan 13 June 15

और लम्बी थकान, खंडवा यात्रा और बरसते मौसम, खुशनुमा काव्य संध्या का समापन हुआ हमारे युवा मित्र साथी  Kushal Shrivas  की शादी की खुशनुमा पार्टी से . मैंने कहा भाई मालवे में कहते है कि जो बन्दा या बंदी अपनी शादी में काम करता है उसके ब्याह में पानी गिरता है तेजी से तो काम क्यों किया हम लोग काहे थे यहाँ बुलवा लेते, बोला अचानक सब तय हुआ और हो गयी शादी. बहरहाल, गूंजन से मिलकर भी अच्छा लगा. बहुत सारी शुभकामनाएं और दुआएं..........कुशल और गूंजन के लिए. सुबह से फील्ड में था, दोपहर खंडवा आया, सामान पैक किया, बस में लम्बी यात्रा, थकान, फिर आते ही कुमार जी के घर काव्य गोष्ठी, फिर कुशल की पार्टी और आकर सब कुछ दर्ज करना ताकि सनद रहें............सच में लगता है कि अभी बहुत दम है और इंसान चाहे तो सब कर सकता है और सहेज सकता है बशर्ते योजना हो, और समय की प्रतिबद्धता..........बस बाकी तो सब हो जाता है. "व्यस्त समय और ढेर सारे काम" कल से ग्वालियर 18 तक, फिर "उजास - हमारे समय में कविता" इलाहाबाद में कविता पाठ हेतु तीन दिन, फिर 23 से 30 तक शिवपुरी.........फिर पन्ना, बा

पंडित कुमार गन्धर्व अकादमी, देवास में काव्य गोष्ठी 13 जून 15

देवास संस्कृति का बड़ा केंद्र है कोई माने या ना माने. आज यहाँ मभा हिन्दी साहित्य के तत्वावधान में एक छोटी सी कवि गोष्ठी रखी गयी थी. चूँकि मै खंडवा में था पर मित्र लोग आ रहे थे इसलिए काम ख़त्म कर तुरंत भूखा प्यासा भागकर आ गया फिर भी तसल्ली थी कि बावजूद बसों की लेट लतीफी और बरसात, ट्राफिक जाम के कारण देरी से पहुंचा तो सही. असली बात यह है कि यह छोटा सा किन्तु महत्वपूर्ण आयोजन कलापिनी ने अपने घर भानुकुल में रखा था, जहां आदरणीय पदमश्री वसुंधरा ताई के सानिध्य में उपस्थित कवि मित्रों ने कवितायें पढी. कुमार गन्धर्व अकादमी ने शास्त्रीय संगीत के साथ अब चित्रकला, विचार व्याख्यान, कला और साहित्य के लिए भी एक अच्छी पहल शुरू की है. कलापिनी ने बताया कि हर दो माह में अब इस तरह के कार्यक्रम नियमित होते रहेंगे. इसी दिशा में भाई मोहन वर्मा ने यह कार्यक्रम आयोजित किया. बरसात का सुहाना मौसम और भाई राग तेलंग की कवितायें साथ ही अशोक, संजय राठौर और देवास के मनीष शर्मा की कवितायें सुनना एक सुखद अनुभूति थी. इस सुहाने मौसम में और लगभग दाखिल हो चुके मानसून में यह कविता पाठ एक ऐतिहासिक कार्

Posts of 10 to 13 June 15

लौटना होता तो नही फिर भी हम लौट आते है कुछ जगहों पर निशाँ देकर और रिसते घावों को समेटते से जैसे लौट आती है बूँदें गरज और छींटों के साथ !!! ये बारिश और धूप के बीच उमस अब तुम सी लगती है चिपचिपी और लिजलिजी जो सिर्फ तकलीफदेह है और कुछ नही. भिगोती रही रात धीरे धीरे , घुलता रहा मैं इन बूंदों के बीच ! ओ सुबह कहाँ है तुम्हारा सूरज ? आसमान काला है और दूर किसी कोने से एक फटा हुआ कोना उजागर हो गया है जहां से वो रक्तिम किरणें बिखर रही थी पानी की बूंदों के बीच पता नही चला, अँधेरे की दहशत में कब दोनों एक हो गए अचानक....देख रहा हूँ कि पेड़ों के पत्ते हरे हो गए है और मिट्टी थोड़ी सी इठलाते हुए गीली होकर धंस रही है अपनी जगह छोड़कर. सर्पीली सी काली रात में इन उजाड़ सड़कों पर भीगते हुए कुत्तों को मिमियाते हुए देखना त्रासद ही है, याकि किसी सूखते जा रहे पेड़ को जिसपर अचानक तेज फुहारें पड़ती हो और पत्तें बोझ भी ना सह पाएं और झूलने लगे मौत के दंश से डरते किसी जीवन की तलाश में ! यह बारिश का ही उपकार है कि हमें बूंदों के बीच से भिगोते हुए अपने भीतर के एक पर्व को महसूसने का वक्त देती है। एक लड़क

Post of 9 June 15

इतनी घटिया सरकार और निम्नस्तर पर बदला लेने वाली सरकार कभी इतिहास में नही आयेगी और आप कहते है कि विकेंद्रीकरण, लोकतांत्रिक और संविधान में विश्वास रखने वाली सरकार है. निहालचन्द्र जैसे बलात्कारी और 40 % घोर अपराधी लोगों के साथ लोकसभा में बैठे सांसदों के साथ और मप्र, में भ्रष्ट और छग में नर संहारों को बढ़ावा देने वाले मुख्यमंत्रियों को आश्रय देने वाली "पार्टी विद डिफरेंस" का क्या ? सवाल "आप" का नहीं और जीतेंद्र तोमर का नहीं बल्कि साधू संतों के भड़काने वाले बयानों, उमा भारती जैसे मं त्री जो राम मंदिर और बाबरी मस्जिद के मामले में दोषी है, के साथ साथ खुद नेता गुजरात के भीषण नर संहार में शामिल है जिसे पुरी दुनिया जानती है, और आप बात करते है ईमानदारी और नैतिकता की !!! देश की शिक्षा मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी की डिग्री चेक करने के येल विवि जाने की हिम्मत है दिल्ली पुलिस में ? कितना शर्मनाक है एक तानाशाह का इस तरह का निर्णय जो एक विरोधी विचारधारा और चुने हुई सरकार को बर्दाश्त नहीं कर सकता और तो और यह बताईये कि कितने लोग यानी विधायक, सांसद, राज्यपाल, मुख्यमंत्री,

Post of 8 June 15

इंतज़ार है अब रजत शर्मा, शंकराचार्यों, राम मंदिर अयोध्या के पुजारी और तमाम ऐसे लोगों को Z+ सुरक्षा देने का ताकि हम भारत के लोग ज्यादा मेहनत करें , रुपया कमाएं, टैक्स भरें, और हमारे जवान कड़ी मेहनत करें और रामदेव और मोहन भागवतों टाइप लोगों की सुरक्षा करें. सुरक्षा यानी देश की सुरक्षा की चिंता किसी को नही देश के भीतर जवान मरते रहें , सीमा पर मरते रहें। क्या हो गया है मोदी जी को, ये सुषमा, मुरली जोशी, आडवाणी, गडकरी, जेटली, गोविदाचार्य, उमा, और जावड़ेकर या खुद राम माधव और मोहन भाग वत जी चुप क्यों है ? क्या मोदी जी यानी हिंदुत्व और भाजपा के अकेले पर्याय हो गए है ? कांग्रेस के साठ साल तो बहुत गिनाये भक्तों ने अब सारे बुद्धिजीवी चुप क्यों है? एक लोकतांत्रिक देश में एक तानाशाह का इस तरह से फैसले लेना उसी की पार्टी के लोगों का चूं भी ना बोलना बेहद घातक ही नही खतरनाक भी है। और सबसे ज्यादा दुःख न्यायपालिका को लेकर हो रहा है जो राज दरबार में मुजरा कर अपने आकाओं को खुश करने में व्यस्त है. क्या है मोहन भागवत या रामदेव की सांविधानिक हैसियत जो ये जनता के रूपये से अपनी सुरक्षा ले रहे है
A really Wonderful evening in  Preeti Nigam 's Marriage Party at Fortune Landmark Indore. It was an august gathering and met so many friends after such a long time that all was really overwhelming. Thanx Himanshu Shukla for such wonderful and really memorable pics. Thanx Preeti for this opportunity and we all wish you a very happy & prosperous married Life and Rewarding Future ahead. It was also an opportunity to meet  JanakandJimmy McGilligan  Didi after her award ceremony of P adam Shree. Had a wonderful talk with her and very soon I will visit her for two days. Really feel proud to be with such an enthusiastic team and people. और इस खूबसूरत शाम का समापन रात्रि तीन बजे हुआ जब मै अपने परिजनों के साथ C - 21 माल से "दिल धड़कने दो" जैसी जोया अख्तर की लाजवाब फिल्म देखकर बाहर निकला. शुरू में समझ नहीं आ रही थी फिल्म क्योकि पार्टी और दोस्तों से मिलने का खुमार जोरो पर था, पर बाद में जब फिल्म  और इसके किरदार अन्दर घुलने लगे तो

Post of 6 June 15

Indore School of Social Work, Indore की खबर पढी जिस तरह से इस संस्थान का स्तर घटा है पिछले कुछ बरसों में वह बेहद चिंतनीय है और आज तो हद तब हो गयी जब तृतीय सेमेस्टर के अधिकाँश छात्रों को फेल कर दिया गया. प्राचार्य जे टी थुड़ीपारा और एक महिला प्राध्यापक रंजना सहगल की आपसी लड़ाई का खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है. सबसे बेहतर विकल्प है शासन इसे अपने अधीन ले लें क्योकि वैसे भी यह एक मिशनरी द्वारा संचालित है और प्रवेश, परीक्षा, परिणाम और प्लेसमेंट को लेकर यह महाविद्यालय अक्सर च र्चा में रहता है जिस पर अंकुश लगाकर तत्काल इस पर कार्यवाही की जरुरत है. मध्य प्रदेश के सबसे पुराने और एक समय में अच्छा माने जाने वाला यह संस्थान अब प्रदेश का सबसे घटिया संस्थान बन गया है. पूर्व छात्र इस बारे में कुछ मोर्चा बनाकर काम करे ताकि दूर दराज से आने वाले बच्चे समाज सेवा का सही ककहरा सीख सके बजाय घटिया राजनीती और दांव पेंच सीखने के. पूर्व छात्र संघ सिर्फ साल में एक जलसा मनाने के बजाय इसे बेहतर रुप से चलाने में मदद करें. एक वो जमाना था जब प्राचार्य स्व डा फिलिप्स ने वर्तमान सरकार के एक केबिनेट मंत्री क

Posts of 5 June 15

गुम होता संसार  ************ रसोई में पड़े है बर्तन - कडछी से लेकर तवा  चम्मच और प्लेट्स, थाली गिलास कटोरी   घर से निकली तो था नहीं कुछ भी - माँ कहती थी  फिर छोटी सी नौकरी और पुरे परिवार की देख रेख. ननद -देवरों की पढाई, छोटे भाई - बहनों की चिंता  सबकी शादी और फिर जापे में गृहस्थी ख़त्म हो गयी  कैसे इकठ्ठे किये थे ये भगोने और यह परात  यह चकला, ये बेलन और ये टूटी फूटी सी सिगड़ी. शहर दर शहर में और मकान दर मकान में गुमा नहीं  कोई चम्मच या फूटा नहीं एक भी तिडका हुआ कप  माँ सम्हालती रही इकठ्ठे किये बर्तन, साजो सामान  कभी फूट जाता अचार का मर्तबान, टूट जाती प्लेट. दुखी हो जाती थी माँ और खाना नही खाती थी  नौकरी से आने के बाद चौकन्नी निगाह रहती थी  घर के हर कोने में कि ये झाडू के तिनके कम कैसे हुए  अपने सारे कामों के बावजूद बर्तनों से मोह था उसे. माँ की रसोई में हर बर्तन उसका एक स्नेहिल प्रेमी था  करीने से रखे और सजे संवरे बर्तनों की खनक घर में थी  माँ के हाथों में बर्तन यूँ मुस्काते थे मानो किसी परी के  हाथों में मुस्काते है अनजान जगत के रत्न

Posts of 4 June 15

2  जनसत्ता 4 जून 15  में आज घरेलू काम करने वाली महिलाओं की स्थिति पर एक नजर 1 अबकी बार बेशर्मों की सरकार आई है मप्र में . व्यापम जैसे घोटाले में डूबी सरकार के आला अधिकारियों से लेकर राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मुख्यमंत्री की पत्नी और उनके चहेते अधिकारी , ठेकेदार और भी कई लोग शामिल है. दुखद यह है कि इस काण्ड में सैंकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है परन्तु बेशर्मों की पेशानी पर कोई बल नहीं . सिर्फ यही नहीं प्रदेश में खनिज घोटाले भी बहुत हो रहे है, रोज़ माफिया अधिकारियों पर हमले करते है वे यह भी नहीं देखते कि अधिकारी महिला है या पुरुष. शिवराज मामा जाते - जाते हजार  पीढी का रुपया लेकर जाना चाहते है, आज नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने भी अपने विभाग के सचिव विवेक अग्रवाल को मुख्यमंत्री के यहाँ विभाग की जासूसी करने के बजाय काम करने की सलाह दे डाली, कितना घृणित है विवेक अग्रवाल जैसे एक ब्यूरोक्रेट का एक मुख्यमंत्री का निजी आदमी बन जाना.....!!!! यानी कुल मिलाकर बारह सालों में मामा जी ने जितना कमाना खाना था और प्रदेश का नुकसान करना था, कर लिया अब विदाई तय है. देश और दुनिया के सब

मालवा के कबीर भजन विचार मंच – पुनर्जीवित पर संकट में एक स्वस्थ परम्परा

मालवा के कबीर भजन विचार मंच – पुनर्जीवित पर संकट में एक स्वस्थ परम्परा संदीप नाईक रात का समय है , ठण्ड अपने चरम पर है , चारो ओर कुहासा है , खेतों से ठंडी हवाएं आ रही है , बिजली नहीं है परन्तु गाँव के दूर एकांत में कंकड़ पर लोग बैठे है , बीडी के धुएं और अलाव के बीच लगातार भजन जारी है और सिर्फ भजन ही नहीं उन पर जमकर बातचीत भी हो रही है कि क्यों हम परलोक की बात करते है , क्यों कबीर साहब ने आत्मा की बात की या क्यों कहा कि “ हिरणा समझ बूझ वन चरना ” । लोगों की भीड़ में वृद्ध , युवा और महिलायें बच्चे भी शामिल है. यह है मालवा का एक गांव। यह कहानी एक गांव की नहीं कमोबेश हर गांव की है जहां एक समुदाय विशेषकर दलित लोग रोज दिन भर जी तोड़ मेहनत के बाद शाम को अपने काम निपटाकर बैठते है और सत्संग करते है , कोई आडम्बर नहीं , कोई दिखावा नहीं और कोई खर्च नहीं. ये मेहनतकश लोग कबीर को सिर्फ गाते ही नहीं वरन अपने जीवन में भी उतारते हैं।   देवास का संगीत से बहुत गहरा नाता है इस देवास के मंच पर शायद ही कोई ऐसा लोकप्रिय कलाकार ना होगा जिसने प्रस्तुति ना दी हो. और जब बात आती है लोक शैली के गायन की

Posts of 3 June 15

Common Wealth Local Development Team in Indore  Visit to Indore under Commonwealth Local Economic Development Programs for Indore and Jabalpur. Two friends, who are experts in the said field are in Indore for a week. Ms Dawn French from UK and Ms Letticia Naid from South Africa. Good to learn how small town's people and women from poor families developed their own empire, enhanced family income and involved them selves in economic growth, which ultimately turned into quality life, better nutrition for all and best health  and education for their wards.  Interstingly entire activities were supported by Local Governance thats Municipal Corporations. Now here in MP we are exploring how our local governance can or should support for such things apart from their day day to steriotyped jobs - cleanliness, light, sanitation and roads. After this in July few of our MP representatives from indore, jabalpur and Bhopal will visit UK and South Africa as well to see the

Posts of 1 June 15

3 आंगनवाड़ी में अंडा देने के लिए जो सरकार पत्रकार और जैन मुनियों की सलाह लें बजाय पोषण विशेषज्ञों और NIN जैसे संस्थानों के विश्वसनीय लोगों और अध्ययनों के, वह दर्शाता है कि सरकार किस तरह के भ्रामक, ठस और जाहिल लोगों के झुण्ड से घिरी है। प्रोटीन के सरल, सस्ते और सुपाच्य स्रोत को आखिर पोषण का हिस्सा बनाने में क्या दिक्कत है । असल में शिवराज जी की रूचि कुपोषण में नही सुपोषण में है जोकि जग जाहिर है। ऐसे में साथी सचिन जैन को धमकी भरे फोन आना कितना दुर्भाग्य पूर्ण है । सच है यह मप्र है जहां सब गजब है। बेहद शर्मनाक है इस तरह से जमीनी काम करने वालों को धमकाना, घर से तुम्हे उठवा लूंगा जैसी आश्लील भाषा में धमकाना। 2 इंडिया टी वी को कैसे मालूम पड़ा कि नए CVC के वी चौधरी होंगे. सिर्फ इसी चैनल को कैसे यह खबर गयी ? यह तो राष्ट्रपति के पास फाइल गयी है और तो और सूचना आयुक्त का नाम भी विजय शर्मा का नाम भी श्रद्धेय पद्म विभूषण रजत शर्मा ने घोषित किया और आप कहते है कि वे पत्रकार है सरकारी भोंपू नही !!!! 1 अपने को मानना अपने को ही खारिज करने समान है और इन दोनों के बीच जो है, किं