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आंगनवाड़ी में अंडा देने के लिए जो सरकार पत्रकार और जैन मुनियों की सलाह लें बजाय पोषण विशेषज्ञों और NIN जैसे संस्थानों के विश्वसनीय लोगों और अध्ययनों के, वह दर्शाता है कि सरकार किस तरह के भ्रामक, ठस और जाहिल लोगों के झुण्ड से घिरी है। प्रोटीन के सरल, सस्ते और सुपाच्य स्रोत को आखिर पोषण का हिस्सा बनाने में क्या दिक्कत है । असल में शिवराज जी की रूचि कुपोषण में नही सुपोषण में है जोकि जग जाहिर है। ऐसे में साथी सचिन जैन को धमकी भरे फोन आना कितना दुर्भाग्य पूर्ण है ।
सच है यह मप्र है जहां सब गजब है। बेहद शर्मनाक है इस तरह से जमीनी काम करने वालों को धमकाना, घर से तुम्हे उठवा लूंगा जैसी आश्लील भाषा में धमकाना।
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इंडिया टी वी को कैसे मालूम पड़ा कि नए CVC के वी चौधरी होंगे. सिर्फ इसी चैनल को कैसे यह खबर गयी ?
यह तो राष्ट्रपति के पास फाइल गयी है और तो और सूचना आयुक्त का नाम भी विजय शर्मा का नाम भी श्रद्धेय पद्म विभूषण रजत शर्मा ने घोषित किया
और आप कहते है कि वे पत्रकार है सरकारी भोंपू नही !!!!
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अपने को मानना अपने को ही खारिज करने समान है और इन दोनों के बीच जो है, किंचित सा मोह और जीने का भरम - वह साँसों के उतार - चढ़ाव का सर्ग और पतन ही आस्थामयी जीवन है , जो अंततः हमे कही का नही छोड़ता और हम एक उहापोह में पाषाण से होकर निर्लिप्त से होते हुए मिट्टी में मिल जाने को अभिशप्त होते जाते है। कालांतर में वाचाल और मूक के बीच भाषा के अनुष्ठान में अपने को झोंक देने के बावजूद भी हम धैर्य से जीने की निषणात कला में पारंगत होकर भी सब कुछ खो ही देते है- जैसे सूख जाती है नदियां और खारे हो जाते है समन्दर, जैसे खिर जाते है पत्ते और खोखली हो जाती है जड़े और एक दिन दीर्घ काया का प्रतिमान समूची क्षण भंगुरता को बूझने के बाद भी आरोह अवरोह कर अग्नि की दैदीप्तमान ललनाओं के बीच धूं धूं कर भस्म हो जाता है , बस बच जाती है तो वे मजबूत हड्डियां जो किसी संकल्प और दैत्यों के सामने भी डिग नही पाई और देती रही ढाढ़स कि जियो और चलते रहो !
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