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संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है

मुझसे कहा गया कि सँसद देश को प्रतिम्बित करने वाला दर्पण है
जनता को जनता के विचारों का नैतिक समर्पण है
लेकिन क्या यह सच है
या यह सच है कि
अपने यहाँ संसद तेली का वह घानी है
जिसमें आधा तेल है आधा पानी है
और यदि यह सच नहीं है तो
यहाँ एक ईमानदार आदमी को अपने ईमानदारी का मलाल क्यों है
जिसने सत्य कह दिया है उसका बूरा हाल क्यों है ॥

-धूमिल

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