संसार में कितने पापी पैदा हो गए है झूठ पर झूठ सब दूर आते जाते है और बताने में शर्म करते है सारे पाप कर लेते है और साफ़ मुकर जाते है............शर्म नहीं आती ऐसे नर नारियों को.......डूब कर मर क्यों नहीं जाते.......भला क्यों मरेंगे वे भी ...........सारे पाप तो कर ही लिए जन्म मरण का ख्याल ही नहीं तो अब क्या.......आने जाने पर किसी की रोक नहीं और टोक नहीं........घर के लोगो से छुपकर पाप पर पाप किये जा रहे है.............संसार बड़ा विचित्र है.............आएगा समय आएगा और इन्हें सजा मिलेगी........
(जिंदगी के प्रवचन - अपनो से दुखी होकर......)
(जिंदगी के प्रवचन - अपनो से दुखी होकर......)
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