मुझे खर्ची में पूरा एक दिन हर रोज़ मिलता है
मगर हर रोज़ कोई छीन लेता है ,झपट लेता है ,अंटी से
कभी खीसे से गिर पड़ता है तो गिरने कि आहट भी नही होती
खरे दिल को भी मैं खोटा समझ कर भूल जाता हूँ !
गिरेबां से पकड़ कर माँगने वाले भी मिलते हैं !
तेरी गुजरी हुई पुश्तों का कर्जा है ,
तुझे किश्तें चुकानी है -"
जबरदस्ती कोई गिरवी रख लेता है ये कह कर
अभी दो चार लम्हे खर्च करने के लिए रख ले
बकाया उम्र के खाते में लिख देते हैं ,
जब होगा हिसाब होगा
बड़ी हसरत है पूरा एक दिन इक बार मैं अपने लिए रख लूँ
तुम्हारे साथ पूरा एक दिन बस खर्च करने की तमन्ना है !
Girindranath Jha के सौजन्य से
मगर हर रोज़ कोई छीन लेता है ,झपट लेता है ,अंटी से
कभी खीसे से गिर पड़ता है तो गिरने कि आहट भी नही होती
खरे दिल को भी मैं खोटा समझ कर भूल जाता हूँ !
गिरेबां से पकड़ कर माँगने वाले भी मिलते हैं !
तेरी गुजरी हुई पुश्तों का कर्जा है ,
तुझे किश्तें चुकानी है -"
जबरदस्ती कोई गिरवी रख लेता है ये कह कर
अभी दो चार लम्हे खर्च करने के लिए रख ले
बकाया उम्र के खाते में लिख देते हैं ,
जब होगा हिसाब होगा
बड़ी हसरत है पूरा एक दिन इक बार मैं अपने लिए रख लूँ
तुम्हारे साथ पूरा एक दिन बस खर्च करने की तमन्ना है !
Girindranath Jha के सौजन्य से
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