Skip to main content

अग्निपथ करण जौहर की एक बढ़िया फिल्म

अग्निपथ करण जौहर की एक बढ़िया फिल्म है ना मात्र उन्होंने अपने पिता को एक बेहतरीन तोहफा दिया वरन कसा हुआ निर्देशन, प्रभावी डायलाग, फिल्मांकन, दृश्य और सबसे बढ़िया कलाकारों का एकदम सही चयन और उनसे पूरा काम लेने की अदभुत कला करण के पास ही हो सकती थी. यह फिल्म सिर्फ फिल्म नहीं, वरन एक विचित्र समय में मानक, उपमाओ और बिम्बों को बायस्कोप के जरिये देखने का मौका है; जहां ऋषि कपूर अपने जीवन के श्रेष्ठ रोल में है, वही इस वर्ष के सारे खलनायको के पुरस्कार संजय दत्त ले जायेंगे ......प्रियंका चोपडा को स्पेस नहीं मिला इसलिए वो अपने जौहर नहीं दिखा पाई, पर ओमपुरी, ऋतिक, जरीना वहाब और बाकी किरदारों ने गजब ढा दिया है. ऋतिक की बहन बनी छोटी सी लडकी ने "मिली" फिल्म की जया भादुड़ी की याद दिला दी- वही निश्चलता, भोली सी आँखे और सहजपन..... गीत संगीत और कैमरे के अदभुत संयोजन से यह फिल्म आज के दिन दो अजीज मित्रों के साथ देखना बहुत ही सुखद अनुभव है. करण जौहर निश्चित ही बधाई के पात्र है बस विजय दीनानाथ चौहान के रूप में अमिताभ की कोई बराबरी नहीं और डैनी का रोल भी उस अग्निपथ में अप्रतिम था ही...........पर यह आज की अग्निपथ है जहा मेरे अपने अनुज देवास के चेतन पंडित को प्रकाश झा की फ्रेम से बाहर आते देखकर और दमदार अभिनय करते देखना वास्तव में एक अलौकिक अनुभव है.........बधाई चेतन तुम छा गए भाई.................हाँ केटरीना ने अपने लटको झटको में जरूर नयापन लाकर दिखाया कि वो वाकई चिकनी चमेली का रोल निभाने में सफल रही है बहुत हॉट और पुरे शरीर का प्रदर्शन कर केटरीना ने दिखा दिया कि अभिनय के साथ उसमे आयटम गर्ल का रोल निभाना और बॉक्स ऑफिस पर तालिया बटोरना आता है चिकनी चमेली से अन्य तीन गीत बेहतर है और फ़िर मुम्बई के गणेश विसर्जन का दृश्यांकन भी करण की प्रतिभा है...............

Comments

Popular posts from this blog

हमें सत्य के शिवालो की और ले चलो

आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत...

संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है

मुझसे कहा गया कि सँसद देश को प्रतिम्बित करने वाला दर्पण है जनता को जनता के विचारों का नैतिक समर्पण है लेकिन क्या यह सच है या यह सच है कि अपने यहाँ संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है और यदि यह सच नहीं है तो यहाँ एक ईमानदार आदमी को अपने ईमानदारी का मलाल क्यों है जिसने सत्य कह दिया है उसका बूरा हाल क्यों है ॥ -धूमिल

चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास

शिवानी (प्रसिद्द पत्रकार सुश्री मृणाल पांडेय जी की माताजी)  ने अपने उपन्यास "शमशान चम्पा" में एक जिक्र किया है चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास अवगुण तुझमे एक है भ्रमर ना आवें पास.    बहुत सालों तक वो परेशान होती रही कि आखिर चम्पा के पेड़ पर भंवरा क्यों नहीं आता......( वानस्पतिक रूप से चम्पा के फूलों पर भंवरा नहीं आता और इनमे नैसर्गिक परागण होता है) मै अक्सर अपनी एक मित्र को छेड़ा करता था कमोबेश रोज.......एक दिन उज्जैन के जिला शिक्षा केन्द्र में सुबह की बात होगी मैंने अपनी मित्र को फ़िर यही कहा.चम्पा तुझमे तीन गुण.............. तो एक शिक्षक महाशय से रहा नहीं गया और बोले कि क्या आप जानते है कि ऐसा क्यों है ? मैंने और मेरी मित्र ने कहा कि नहीं तो वे बोले......... चम्पा वरणी राधिका, भ्रमर कृष्ण का दास  यही कारण अवगुण भया,  भ्रमर ना आवें पास.    यह अदभुत उत्तर था दिमाग एकदम से सन्न रह गया मैंने आकर शिवानी जी को एक पत्र लिखा और कहा कि हमारे मालवे में इसका यह उत्तर है. शिवानी जी का पोस्ट कार्ड आया कि "'संदीप, जिस सवाल का मै सालों से उत्तर खोज रही थी व...