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समझने से डरते हैं और चुप रहते हैं

हवा का रुख कैसा है,
हम समझते हैं हम उसे पीठ क्यों दे देते हैं,
हम समझते हैं हम समझते हैं
ख़ून का मतलब पैसे की कीमत हम समझते हैं
क्या है पक्ष में विपक्ष में क्या है,
हम समझते हैं हम इतना समझते हैं
कि समझने से डरते हैं और चुप रहते हैं।

-गोरख पाण्डेय

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