राफेल डील कोई बड़ा मामला नही है
कांग्रेस के हाथ चिन्दी लगी है जिसे लेकर वे उचक रहें हैं
असली बात यह है कि मोदी सरकार लोकसभा और विधानसभा के चुनाव साथ करवाना चाहती है इस खेल में सब शामिल है और जो नही उनके पीछे सीबीआई को छू कर दिया गया है - समझिए इसे
इसमें राहुल जिस तरह से "गली गली में शोर है, देश का चौकीदार चोर है " के नारे लगाकर जनता में भाषण दे रहें हैं वह शोचनीय है , उन्हें इस तरह की भाषा नही बोलना चाहिए, ये दीगर बात है कि राहुल बोफोर्स में लगे आरोपों का जमकर खूनी बदला ले रहे है और अब फ्रांस के जिम्मेदार व्यक्ति के खुलासे के बाद मोदी और अमित शाह की संलिप्तता से इनकार नही किया जा सकता ,अम्बानी को शर्म है नही तो क्या हम देश वासियों को तो है, रॉबर्ट वाड्रा से बडे वाले निकले ये लोग
मायावती को सीबीआई के ख़ौफ़ से अमित शाह ने चुप करवा ही दिया है, सपा, नीतीश कुछ बोलेंगे नही, कामरेडों ने 5 लोगों के घर मे बन्द रहने के नमूने देख ही लिए है और ममता का कोई स्पष्ट मत नही बाकी गधों को समझ नही और जनता का नुमाइंदा लालू जेल में है
अब बात पता नही कितने मजाक, चुटकुलों और उजबक व्याख्याओं के जनक नरेंद्र मोदी की - तो मोदीजी थोड़ा समझिए और स्वीकार कर लीजिए कि आप हर मोर्चे पर भयंकर फेल हो गए है और भलाई इसी में है कि आप बची खुची इज्जत रखना चाहते है अपनी माँ की नजरों में - देश गया भाड़ में, तो इस्तीफा दे दीजिए और सन्यास ले लीजिए, आपको संघ से लेकर भाजपा और गुजरातियों से लेकर ट्रम्प ने पर्याप्त इस्तेमाल कर लिया है, हे हिन्दू राष्ट्र के नायक अब भी समय है - सुन लो मोहन भागवत को , शिवराज को और वसुंधरा को , रमणसिंह या अजित जोगी को - ये सब तुम्हारे हितैषी है (!!!) बस निकलो महाराज घर जाओ
और इधर बुरी खबर यह भी है कि मप्र के मालवा में भयानक पानी गिर रहा है ऐसे समय मे जब सोयाबीन खेतों में पककर खड़ी है या खलिहान में आ रही है तो वर्षा ने "कांस फूलने" के बाद भी वर्षा किसी सद्य नवयौवना की तरह छा रही है, बरस रही है - गेहूँ चना ले नही सकते क्योंकि पानी औसत से कम गिरा है और यह हाथ आई फसल भी बर्बाद हो गई
किसान का बेटा, प्रदेश का मामा और कृषि कर्मण अवार्ड के रेकॉर्ड तोड़ विजेता क्या करेगा कल कोई नही जानता
बहरहाल- मोदी जी, राहुल , मायावती - बात समझ मे आई या मुलायम लालू की तरह आई गई हो गई
करवा लो इकठ्ठे चुनाव फिर देखें किसमे दम है कहने का अबकी बार किसकी सरकार ........
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मायावती के मुगालते और सीबीआई के ख़ौफ़
छग और मप्र दोनो जगह डूबेगी -
पूरी जमीनी हक़ीक़त समझे बिना और यह देखें कि मामा के स्वागत का क्या हाल और कांग्रेस की क्या स्थिति है, सपाक्स वाले विरोध पर आमादा है और शिवराज जी ने आज ट्वीट कर मोदी सरकार के एट्रोसिटी एक्ट को भी तुष्टिकरण से निपटाने की कोशिश की है फिर भी पूरे राज्य में अकेले लड़ने का फैसला - गजब के मुगालते भई, बघेलखण्ड और चंबल मतलब मप्र नही है
और कांग्रेस का तो क्या कहना
जब बंट रही थी तो कहाँ खड़े थे बै, कसम से अक्ल के अंधों की कमी नही
अब बाकी छुटपुट और कुकुरमुत्तों को भी अभी से अपने बिल में घुस जाना चाहिए क्योंकि जमानत के रूपये बचा लो सब्जी भाजी के काम आयेंगें
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