Skip to main content

नव एनजोओ पुराण

1

आप हमारे लिए 3 माह की कंसल्टेंसी करेंगे
जी बिल्कुल करूंगा , यदि आप रुपया देंगे - तो क्यों नहीं करूंगा करना क्या है
वह क्या है कि राष्ट्रीय टी बी कार्यक्रम चल रहा है - उसके लिए राज्य का एक स्ट्रेटेजी प्लान बनाना है , तो आप हमें फील्ड विजिट करके बना कर देंगे और यह राष्ट्रीय प्लान जो है - उससे अलग नहीं होना चाहिए , आप नेट पर पढ़ लेना
जी,आपने पढ़ लिया क्या
अरे नही कौन पढ़ेगा इतना , बहुत है साला
तो मैं भी कचरा नही पढ़ता, बहुत कचरा है कंट्री पेपर और स्ट्रेटेजी पेपर के नाम पर हर विभाग का
हमारा स्ट्रेटेजी पेपर बना देँगे ना
आपने जो कहा वो बिल्कुल बना देंगे , क्या इसमें आपके भोपाल ऑफिस के लोग या राज्य के लोग सहयोग करेंगे - क्योंकि आप लोग तो टीबी पर पिछले 20 वर्षों से काम कर रहे हैं, आपके यहां 3 - 4 वरिष्ठ महिलाएं हैं और अनेक लोग हैं - जो मोटी तनख्वाह लेकर टीबी पर ही काम कर रहे हैं
नहीं जी, यह लोग नहीं कर सकते , पर हम आपको सुझाव देंगे कि आप कुछ राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय वेबसाइट पढ़ लें और उस पर जो स्ट्रेटेजी होती है - उसे इस राज्य के अनुकूल ढाल लें, आदिवासी आदि जोड़ लें और फिर हमारे लिए एक किताब जैसी तैयार कर दें यही पर्याप्त होगा तीन माह में, हमारा स्टाफ यह करने में अभी इतना सक्षम नहीं है, फिर अंग्रेजी का भी मामला है - आपकी तो एकदम फर्स्ट क्लास है, हाँ - फील्ड में भी जाना होगा - यह लोग जा नहीं पाते, सब के परिवार हैं और फिर बरसात का मौसम है, खैर, आप दो बड़े डॉक्यूमेंट पढ़ लीजिए और हमें रिज्यूम भेज दीजिए
जी अभी भेजता हूं, तनख्वाह क्या होगी
अभी हम आपका इंटरव्यू करेंगे और परखेंगे कि आपको टीबी का ज्ञान है या नही फिर जब सिलेक्ट हो जाएंगे तब निगोशिएट कर लेंगे

2

- यार वो तो अभी तक स्वास्थ्य का काम कर रहा था , शिक्षा से तो कोई लेनदेन ही नही था
फिर उसे तुमने एक जिले की शिक्षा, शिक्षक प्रशिक्षण और पेडोगोजी का प्रभार दे दिया - गजब, क्यो
* भाई साहब, हमें शिक्षाविद नही मैनेजर चाहिए, विदेशी पैसा है इफरात में, आदिवासी जिला है और बस लोगों को हड़काने वाले, सरकारी आर्डर निकालकर काम करवा लेने वाले लोग चाहिए, मास्टर लोग भी साले किसकी सुनते है - वो बन्दा फिट था इस काम मे बस रख लिया भेज दिया
- पर शिक्षा ...
* अरे ज़्यादा ज्ञान ना बांटिये , आप जैसे लोग पाठ्यक्रम, गतिविधि आदि बात करेंगे, बाल केंद्रित शिक्षा आदि झाड़ेंगे - यह हमें नही चाहिए तीन साल का प्रोजेक्ट है हमें कौन आदिवासियों से रोटी बेटी का सम्बंध करना है ...

Comments

Popular posts from this blog

हमें सत्य के शिवालो की और ले चलो

आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत...

संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है

मुझसे कहा गया कि सँसद देश को प्रतिम्बित करने वाला दर्पण है जनता को जनता के विचारों का नैतिक समर्पण है लेकिन क्या यह सच है या यह सच है कि अपने यहाँ संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है और यदि यह सच नहीं है तो यहाँ एक ईमानदार आदमी को अपने ईमानदारी का मलाल क्यों है जिसने सत्य कह दिया है उसका बूरा हाल क्यों है ॥ -धूमिल

चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास

शिवानी (प्रसिद्द पत्रकार सुश्री मृणाल पांडेय जी की माताजी)  ने अपने उपन्यास "शमशान चम्पा" में एक जिक्र किया है चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास अवगुण तुझमे एक है भ्रमर ना आवें पास.    बहुत सालों तक वो परेशान होती रही कि आखिर चम्पा के पेड़ पर भंवरा क्यों नहीं आता......( वानस्पतिक रूप से चम्पा के फूलों पर भंवरा नहीं आता और इनमे नैसर्गिक परागण होता है) मै अक्सर अपनी एक मित्र को छेड़ा करता था कमोबेश रोज.......एक दिन उज्जैन के जिला शिक्षा केन्द्र में सुबह की बात होगी मैंने अपनी मित्र को फ़िर यही कहा.चम्पा तुझमे तीन गुण.............. तो एक शिक्षक महाशय से रहा नहीं गया और बोले कि क्या आप जानते है कि ऐसा क्यों है ? मैंने और मेरी मित्र ने कहा कि नहीं तो वे बोले......... चम्पा वरणी राधिका, भ्रमर कृष्ण का दास  यही कारण अवगुण भया,  भ्रमर ना आवें पास.    यह अदभुत उत्तर था दिमाग एकदम से सन्न रह गया मैंने आकर शिवानी जी को एक पत्र लिखा और कहा कि हमारे मालवे में इसका यह उत्तर है. शिवानी जी का पोस्ट कार्ड आया कि "'संदीप, जिस सवाल का मै सालों से उत्तर खोज रही थी व...