मुम्बई में कालिख पोती गयी............ये संस्कार है आपके
यही सिखाया ना आपको............वसुधैव कुटुम्बकम, अतिथि देव भवो.......
कितना शर्मनाक समय है
कोई सच में खुद्दार होता तो अभी तक डूब मरता और इस्तीफा दे देता...........सब इस हमाम में नंगे है चाहे शिवसेना हो या कोई और........दो साल में इनकी असली औकात सामने आ गयी है अभी तो तीन साल में क्या आग ........पता नहीं......
काशमीरी पंडित, आतंकवाद , धर्म को लेकर की गयी हत्याओं और विस्थापन ये विशुद्ध राजनीती है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर की गयी हत्याएं , दादरी और मैनपुरी में हुई हत्याएं अलग मुद्दे है। यदि पढ़े लिखे भक्तों को यह भी समझ नही आ रहा तो बहस की गूंजाईश समाप्त हो जाती है।
साहित्य अकादमी एक सरकारी वित्त पोषित संस्था है जो सरकार के दमखम से चलती है।
मेहरबानी करके भारतीय साहित्य के मनीषियों के सामने बस स्टेण्ड से खरीदे लुगदी साहित्य को पढ़कर और फेसबुक पर अपने लिखे अश्लील भाषा को साहित्य ना माने और इनसे तुलना ना करे।
आप जैसे लोग सात जन्मों में ना गणेश देवी बन सकते है ना उदय प्रकाश या राजेश जोशी जैसी समझ विकसित कर सकते है। अनपढ़ गंवार और जाहिलों की तरह यहां कचरा ना उंडेले और अपने संस्कार प्रदर्शित ना करें , वैसे ही देश को आपकी औकात दो साल के पहले समझ में आ गयी है।
निर्लज्ज सरकार जो हर पल एक काला पृष्ठ लिख रही है।
राजेश जोशी और मंगलेश डबराल ने भी लौटाए साहित्य अकादमी पुरस्कार ।
निर्लज्ज सरकार फिर भी बिहार में बेचैन है किसी तरह से गंदगी फैलाकर चुनाव जीत जाए।
इतिहास में इतने काले पृष्ठ कभी नही आये होंगे। शर्मनाक
प्रो गणेश देवी भाषा विज्ञान की जीवित किवदंती है यदि वे साहित्य अकादमी लौटा रहे है तो यह पूरे भाषा संसार को झटका है. इस सरकार का इससे बड़ा अपमान नही हो सकता कि एक के बाद एक सभी भाषाओं के लोग सम्मान लौटा रहे है .
सही सराहनीय कार्य, सलाम और जोहार इन सबको और सब कुछ सहती मदांध मोदी सरकार.
इतिहास की सबसे काली और निर्लज्ज सरकार
और अब मृदुला गर्ग ने भी साहित्य अकादमी लौटाया .क्या इस सरकार में कोई जिम्मेदार शख्स है जो इन मुद्दों पर जिम्मेदारी भरा जवाब देगा ?
क्या केंद्र सरकार देश में हो रही हिंसा को लेकर कोई श्वेतपत्र जारी करेगी ? इसमें कोई पार्टी या राजनीती नही बस विशुद्ध देश की चिंता के संदर्भ में ये बात है.
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