शायद यह पूरे देश के लिए मुश्किल की घड़ी है जब हम अपने " बच्चों" पर भरोसा नही कर रहे, भारत माता को खींचकर गैंग रेप हो रहे है, सत्ता के मद में चूर लोग और नेता चुप है, संसद में गलत बयान दिए जा रहे है, मंत्री ऑन रिकॉर्ड झूठ बोल रही है, सबसे सम्पन्न लोग पिछड़े बनने की होड़ में संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे है, सरकारेँ उद्योगपतियों की गुलाम होकर अरबों रूपये के कर्ज माफ कर रही है, गरीब आदमी के चूल्हे को जलाने की दियासलाई में पूरी बेशर्मी से हर छह माह में टैक्स बढ़ाकर लिया जा रहा है, देश का सर्वोच्च शिखर पर बैठा आदमी दुनिया घूमकर थक चूका है इस कठिन समय में यह देश का रुपया बर्बाद करके खिलाड़ियों के साथ बच्चों से परीक्षा की बात करता है बजाय एक जलते हुए विवि में जाने के। गुरुओं को डंडे मारे जा रहे है, मुख्य मंत्रियों ने राज्यों को भ्र्ष्टाचार का अड्डा बना लिया है, कैसा शासन और प्रशासन है जिसकी पुलिस, अधिकारी, न्यायाधीश, विपक्ष, आम लोग एक सिरे से नाखुश और असंतुष्ट है, दुनिया भर के लोग रोज़ पत्र लिख रहे है, मीडिया भी कारगर भूमिका में नही है ? और आप खतरा भांप नही रहे, एक धार्मिक उन्माद में सच कहने वालों को संगठित भीड़ में निशाना बना रहे है।
एक बार फिर से पढ़िए क्या यह सब गलत है ?
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जो लोग मुझे ज्ञान देते है खासकरके भक्त और अंधे लोग जो दिल दिमाग की बातें छोड़कर जाहिल गंवारों की तरह से जब तब यहां चले आते है कमजोर और दलाली टाइप तर्क लेकर उनसे सिर्फ इतना कहना है कि मुझे ज्ञान ना दें, फेसबुक पर अरबों लोग है, वहाँ जाकर भड़ास निकाले, उल्टी करें और अपना दिमागी मवाद बहाये।
मेरी वाल पढ़ने को किसी डाक्टर ने नही कहा है और यदि कहा भी है तो go for second opinion.
या तो मेरी सूची से स्वतः निकल लें बजाय कि मैं आपकी सार्वजनिक आरती उतारकर रुखसत करूँ !!!
ज्यादा पढ़ाई लिखाई इतिहास और भाषा का दम्भ ना दिखाएँ और ना अपने पद का, मैं आपका गुलाम नही और ना ही आपके घटिया तर्कों के जवाब देने को मैं बाध्य हूँ ।
टेग ना करें यह करना आपकी ओछी और टुच्ची मानसिकता का परिचायक है।
समझ रहे है ना, ढपोर शंखियों ???
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