Skip to main content

Challenge by a Cabinet Minister 24 May 2018



बहुत दिक्कत है आजकल अपने हिन्दू राष्ट्र में -
एक केंद्रीय मंत्री दंड लगाकर बेशर्मी और अश्लीलता से देश को चैलेंज करता है - जिस देश मे रोजी रोटी नही, कुपोषित शरीर लिए लोग भूखों मार दिए जा रहे हो वहां बेशर्मी से सरकार का नुमाईंदा नंगे भूखों को चैलेंज करता है - क्या समझ है, क्या दिमाग़ है, क्या चयन है और क्या दृष्टि है विकास की
एक रामदेव था जिसने फू फां करके अरबों खरबों का साम्राज्य खड़ा कर लिया
लोगों को मारो स्नाइपर से, किसानों को आत्महत्या करने दो , महिलाओं को असुरक्षित रखो, बच्चों को कुपोषण से ही मुक्त मत करो ना आक्सीजन दो - मार डालो
एनकाउंटर में लोगों को मारो , फ्रिज को टटोलकर मारो और मोब लीनचिंग में मारो
अपढ़ , कुपढ़ , अहम , गुस्से और घमंड से भरे लोग और क्या कर सकते है
रोजी रोटी तो दे नही सकते , लोगों की मेहनत की कमाई को हड़प जाना जिनकी नीयत हो उनसे क्या बहस
देते रहिये चैलेंज - हिम्मत हो तो जनता के बीच बगैर जेड सुरक्षा के आकर बताओ , हिम्मत है तो एक कुएं में उतरकर सफ़ाई करके बताओ, एक तालाब की मिट्टी खोदकर बताओ, हिम्मत है तो इस तेज गर्मी में तेंदू पत्ते की सौ गड्डियां इकठ्ठी कर बताओ, एक खेत मानसून के पहले तैयार करके बता दो, एक कुपोषित बच्चे को स्वस्थ कर बता दो, एक सुरक्षित प्रसव के लिए काँधे पर किसी बेटी को अस्पताल पहुंचाकर बता दो - बात करते हो
और अगर नही तो मूर्खो और गंवारों की तरह से बात करके देश का नाम दुनिया मे मत डूबाओ , एक ट्रम्प काफी नही क्या मनोरंजन को

Comments

Popular posts from this blog

हमें सत्य के शिवालो की और ले चलो

आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत

संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है

मुझसे कहा गया कि सँसद देश को प्रतिम्बित करने वाला दर्पण है जनता को जनता के विचारों का नैतिक समर्पण है लेकिन क्या यह सच है या यह सच है कि अपने यहाँ संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है और यदि यह सच नहीं है तो यहाँ एक ईमानदार आदमी को अपने ईमानदारी का मलाल क्यों है जिसने सत्य कह दिया है उसका बूरा हाल क्यों है ॥ -धूमिल

चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास

शिवानी (प्रसिद्द पत्रकार सुश्री मृणाल पांडेय जी की माताजी)  ने अपने उपन्यास "शमशान चम्पा" में एक जिक्र किया है चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास अवगुण तुझमे एक है भ्रमर ना आवें पास.    बहुत सालों तक वो परेशान होती रही कि आखिर चम्पा के पेड़ पर भंवरा क्यों नहीं आता......( वानस्पतिक रूप से चम्पा के फूलों पर भंवरा नहीं आता और इनमे नैसर्गिक परागण होता है) मै अक्सर अपनी एक मित्र को छेड़ा करता था कमोबेश रोज.......एक दिन उज्जैन के जिला शिक्षा केन्द्र में सुबह की बात होगी मैंने अपनी मित्र को फ़िर यही कहा.चम्पा तुझमे तीन गुण.............. तो एक शिक्षक महाशय से रहा नहीं गया और बोले कि क्या आप जानते है कि ऐसा क्यों है ? मैंने और मेरी मित्र ने कहा कि नहीं तो वे बोले......... चम्पा वरणी राधिका, भ्रमर कृष्ण का दास  यही कारण अवगुण भया,  भ्रमर ना आवें पास.    यह अदभुत उत्तर था दिमाग एकदम से सन्न रह गया मैंने आकर शिवानी जी को एक पत्र लिखा और कहा कि हमारे मालवे में इसका यह उत्तर है. शिवानी जी का पोस्ट कार्ड आया कि "'संदीप, जिस सवाल का मै सालों से उत्तर खोज रही थी वह तुमने बहुत ही