जिन्ना के बाद आर्क बिशप को निशाना बनाया जा रहा है
सीधी सी बात है मप्र छग और राजस्थान में चर्च का प्रभाव है और मिशन स्कूल, अस्पताल, विकास के काम फैलें हुए है
इस वर्षान्त तक इन तीनों राज्यों में चुनाव है और मुसलमान के साथ ईसाई को निशाना बनाने से बुद्धिजीवी भी साथ देंगे, मप्र और छग आदिवासी बहुत राज्य है वही राजस्थान दलित बहुल. आदिवासी इलाकों में बैगा, पंडो, पहाड़ी कोरबा, गौंड, कोरकू, सब चर्च भी जाते है और आरक्षण का लाभ भी लेते है - यह पांसा सही है जो चौखट पर देर तक बना रहेगा और हर सीढ़ी चढ़ने वाले को साँप की तरह डसकर नीचे उतार देगा
मप्र में गणेशजी से लेकर हनुमान जी की मूर्तियां बांटी गई है, छग में दिलीप सिंह जूदेव ने आंदोलन खड़ा किया ही था चर्च के खिलाफ, छग में हाल ही में मैंने देखा कि धार्मिक अनुष्ठानों की बयार चल रही है और अंदर तक काम करने वाली सिस्टर्स और फादर ब्रदर को धमकाया जा रहा है कि केरल या झारखंड वापिस जाओ, हाल ही में मै जब छग में रमनसिंह जी जिले कवर्धा के आदिवासी ब्लॉक पंडरिया में था जहां चौदह सौ फीट ऊपर के बैगा बहुत क्षेत्र के तेलियापानी और आसपास गाँवों में सचिवों को कहा गया था कि भागवत के लिए ट्रेक्टर भरकर आदिवासियों को लाना है
हाल ही में केंद्र सरकार ने लगभग 8000 स्वैच्छिक संस्थाओं का FCRA प्रमाणपत्र समाप्त किया है यह कहकर कि विदेशी रुपयों से आदिवासी इलाकों ने धर्मांतरण हो रहा है. इसका सबसे ज्यादा असर मिशनरीज़ पर पड़ा है जिन्हें पर्याप्त मात्रा में रुपया मिल रहा था पर वे भारतीय अकॉउंट प्रणाली के अनुसार ही नियमों के तहत खर्च कर रहे थे
वर्तमान सरकार का यह मानना है कि यदि विदेशी रुपया आये तो वो भी हमारे आनुषंगिक दलों में जाएं जो दशकों से कंगाल थे
दूसरा महत्वपूर्ण कार्य यह किया कि कम्पनी एक्ट में कम्पनियों को अपने लाभ का 2 प्रतिशत एन जी ओ के माध्यम से खर्च कर क्षेत्र विकास के लिए उपयोग करना था वह भी नीति आयोग के पुल में डाला जा रहा है और यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि अब नीति आयोग से एन जी ओ को CSR के कोटे का रुपया मिलेगा, जबकि FCRA के नाम को आतंकवाद और धर्मांतरण का नाम देकर हम अपनी ही कमियों को छुपाते है। वास्तविकता में CSR में 50% का खेल है मोटी रकम का जो किसको पसंद नही आयेगा, FCRA में तो 50 जगह चेकिंग होती थी , लेकिन फर्क पड़ा हिंदुस्तान के हिंदुस्तानियों को । क्योंकि जहां सरकार नही पहुचती थी वहां 80 % पैसा FCRA का ही विकास लाता था. अब तो विकास जुमलों में दिखता है - क्योंकि FCRA बंद होने से सीधे तौर पर 2 करोड़ लोग प्रभावित हुए और 12 लाख से ज्यादा बेरोजगार हुए है जो इन 8000 एन जी ओ में काम करके आजीविका चलाते थे।
ऐसे में आर्क बिशप के चर्च के आन्तरिक प्रशासन चलाने वाले पत्र से दिक्कत होनी ही थी , मानकर चलिये अब मिशनरी, मदरसे और तमाम अल्प संख्यक वर्ग के स्कूल, कॉलेज, धर्मस्थल, अस्पताल और धर्म गुरु निशाने पर रहेंगे और आई टी सेल नित नए नूतन प्रयोग कर इतिहास, सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण और दुष्प्रभाव सामने लाती रहेंगी
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