Skip to main content

तीन राज्यों के चुनाव और आर्च बिशप की चिठ्ठी 22 May 2018



जिन्ना के बाद आर्क बिशप को निशाना बनाया जा रहा है
सीधी सी बात है मप्र छग और राजस्थान में चर्च का प्रभाव है और मिशन स्कूल, अस्पताल, विकास के काम फैलें हुए है
इस वर्षान्त तक इन तीनों राज्यों में चुनाव है और मुसलमान के साथ ईसाई को निशाना बनाने से बुद्धिजीवी भी साथ देंगे, मप्र और छग आदिवासी बहुत राज्य है वही राजस्थान दलित बहुल. आदिवासी इलाकों में बैगा, पंडो, पहाड़ी कोरबा, गौंड, कोरकू, सब चर्च भी जाते है और आरक्षण का लाभ भी लेते है - यह पांसा सही है जो चौखट पर देर तक बना रहेगा और हर सीढ़ी चढ़ने वाले को साँप की तरह डसकर नीचे उतार देगा
मप्र में गणेशजी से लेकर हनुमान जी की मूर्तियां बांटी गई है, छग में दिलीप सिंह जूदेव ने आंदोलन खड़ा किया ही था चर्च के खिलाफ, छग में हाल ही में मैंने देखा कि धार्मिक अनुष्ठानों की बयार चल रही है और अंदर तक काम करने वाली सिस्टर्स और फादर ब्रदर को धमकाया जा रहा है कि केरल या झारखंड वापिस जाओ, हाल ही में मै जब छग में रमनसिंह जी जिले कवर्धा के आदिवासी ब्लॉक पंडरिया में था जहां चौदह सौ फीट ऊपर के बैगा बहुत क्षेत्र के तेलियापानी और आसपास गाँवों में सचिवों को कहा गया था कि भागवत के लिए ट्रेक्टर भरकर आदिवासियों को लाना है 
हाल ही में केंद्र सरकार ने लगभग 8000 स्वैच्छिक संस्थाओं का FCRA प्रमाणपत्र समाप्त किया है यह कहकर कि विदेशी रुपयों से आदिवासी इलाकों ने धर्मांतरण हो रहा है. इसका सबसे ज्यादा असर मिशनरीज़ पर पड़ा है जिन्हें पर्याप्त मात्रा में रुपया मिल रहा था पर वे भारतीय अकॉउंट प्रणाली के अनुसार ही नियमों के तहत खर्च कर रहे थे 
वर्तमान सरकार का यह मानना है कि यदि विदेशी रुपया आये तो वो भी हमारे आनुषंगिक दलों में जाएं जो दशकों से कंगाल थे
दूसरा महत्वपूर्ण कार्य यह किया कि कम्पनी एक्ट में कम्पनियों को अपने लाभ का 2 प्रतिशत एन जी ओ के माध्यम से खर्च कर क्षेत्र विकास के लिए उपयोग करना था वह भी नीति आयोग के पुल में डाला जा रहा है और यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि अब नीति आयोग से एन जी ओ को CSR के कोटे का रुपया मिलेगा, जबकि FCRA के नाम को आतंकवाद और धर्मांतरण का नाम देकर हम अपनी ही कमियों को छुपाते है। वास्तविकता में CSR में 50% का खेल है मोटी रकम का जो किसको पसंद नही आयेगा, FCRA में तो 50 जगह चेकिंग होती थी , लेकिन फर्क पड़ा हिंदुस्तान के हिंदुस्तानियों को । क्योंकि जहां सरकार नही पहुचती थी वहां 80 % पैसा FCRA का ही विकास लाता था.  अब तो विकास जुमलों में दिखता है - क्योंकि FCRA बंद होने से सीधे तौर पर 2 करोड़ लोग प्रभावित हुए और 12 लाख से ज्यादा बेरोजगार हुए है जो इन 8000 एन जी ओ में काम करके आजीविका चलाते थे। 
ऐसे में आर्क बिशप के चर्च के आन्तरिक प्रशासन चलाने वाले पत्र से दिक्कत होनी ही थी , मानकर चलिये अब मिशनरी, मदरसे और तमाम अल्प संख्यक वर्ग के स्कूल, कॉलेज, धर्मस्थल, अस्पताल और धर्म गुरु निशाने पर रहेंगे और आई टी सेल नित नए नूतन प्रयोग कर इतिहास, सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण और दुष्प्रभाव सामने लाती रहेंगी


Comments

Popular posts from this blog

हमें सत्य के शिवालो की और ले चलो

आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत...

संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है

मुझसे कहा गया कि सँसद देश को प्रतिम्बित करने वाला दर्पण है जनता को जनता के विचारों का नैतिक समर्पण है लेकिन क्या यह सच है या यह सच है कि अपने यहाँ संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है और यदि यह सच नहीं है तो यहाँ एक ईमानदार आदमी को अपने ईमानदारी का मलाल क्यों है जिसने सत्य कह दिया है उसका बूरा हाल क्यों है ॥ -धूमिल

चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास

शिवानी (प्रसिद्द पत्रकार सुश्री मृणाल पांडेय जी की माताजी)  ने अपने उपन्यास "शमशान चम्पा" में एक जिक्र किया है चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास अवगुण तुझमे एक है भ्रमर ना आवें पास.    बहुत सालों तक वो परेशान होती रही कि आखिर चम्पा के पेड़ पर भंवरा क्यों नहीं आता......( वानस्पतिक रूप से चम्पा के फूलों पर भंवरा नहीं आता और इनमे नैसर्गिक परागण होता है) मै अक्सर अपनी एक मित्र को छेड़ा करता था कमोबेश रोज.......एक दिन उज्जैन के जिला शिक्षा केन्द्र में सुबह की बात होगी मैंने अपनी मित्र को फ़िर यही कहा.चम्पा तुझमे तीन गुण.............. तो एक शिक्षक महाशय से रहा नहीं गया और बोले कि क्या आप जानते है कि ऐसा क्यों है ? मैंने और मेरी मित्र ने कहा कि नहीं तो वे बोले......... चम्पा वरणी राधिका, भ्रमर कृष्ण का दास  यही कारण अवगुण भया,  भ्रमर ना आवें पास.    यह अदभुत उत्तर था दिमाग एकदम से सन्न रह गया मैंने आकर शिवानी जी को एक पत्र लिखा और कहा कि हमारे मालवे में इसका यह उत्तर है. शिवानी जी का पोस्ट कार्ड आया कि "'संदीप, जिस सवाल का मै सालों से उत्तर खोज रही थी व...