"खुदा को भी अच्छे अफसानानिगार की जरूरत है"
"खुदा को भी अच्छे अफसानानिगार की जरूरत है " - शायद मंटो की कब्र पर यह खुदा हुआ है - [ एपिटाफ़ पर ]
तुम ऐसे कैसे जा सकते हो
क्या तुम्हें याद नही अमेरिका जाने से पहले तुमने वादा किया था कि दिल्ली में हम मिलेंगे और फिर देवास आओगे, मेरे घर दो चार दिन रहोगे
उस दिन जब अमेरिका जा रहे थे तो एयरपोर्ट से फोन किया था कि मैं जल्दी ही लौटकर आऊँगा
यह गलत बात है, मैंने तो तुम्हे अपनी उम्र दी थी और कल मुझे ही छोड़कर चले गए कल खंडाला [ पूना ] के पास किसी झील में
दुखी हूं - यह नही कहूँगा, बस इतना कि कल कबीर ने भी अपना असली वंशज खो दिया है और हम सब पुनः अनाथ हो गए है
तुम तो दास्तान सुनाते थे - तुम्ही चले गए, अब ना दास्तान रही - ना किस्सागोई और ना कुछ कहने सुनने को
अंकित तुमने आज एक स्थाई दुख दे दिया है
विदा अंकित , तुम सदैव मेरे दिल मे एक श्रेष्ठ इंसान और बेहतरीन कलाकार के रूप में जिंदा रहोगे
[ ये 22 फरवरी 18 की तस्वीरें है जब अंकित पूरा दिन देवास में था, हम लोगों ने खूब बातें की थी
और 3 अप्रैल 18 को जब अमेरिका जा रहा था तो मैंने लिखा था जल्दी लौटना तो उसने रात एयरपोर्ट से फोन कर कहा था भैया हम दिल्ली में मिल रहे है मई में और फिर मैं आपके घर आऊँगा फिर Ajay Tipaniya के घर जाऊंगा एक किताब लिखनी है बच्चों के लिए ]
तुम ऐसे कैसे जा सकते हो अंकित हम सबको बिलखता छोड़कर !!
और यह है वो 22 फ़रवरी 2018 का पोस्ट जिसमे मैंने अंकित से लम्बी बात करके कुछ लिखा था.
काश, सच में में मै उसे अपनी उम्र दे पाता कि वह कुछ और बेहतरीन सृजन कर सकता और हम अबके लिए इस विषाक्त माहौल में कबीर, खुसरो, निजाम्मुद्दीन औलिया, रसखान, गांधी आदि पर दास्तानगोई कर जाता
पर यह तुमने ठीक नहीं किया अंकित, रात भर सोया नही हूँ और हम सब मित्र, कबीरपंथी रात भर तुम्हारे बारे में बातें करते रहें है
देश भर और दुनिया के चंद वो लोग जो तुम्हे प्यार करते है और सब अपना मानते है तुम्हारे मुरीद है और विश्वास नहीं कर पा रहे कि यह अनहोनी हो गई...........
नमन और विदा अंकित
होमर रचित इलियाड नामक महाकाव्य में एक दृश्य आता है जब एक बुरा आदमी (खूँखार डकैत ) गिरजाघर में एक युवा गायक पादरी के सामने अपने हथियार फेंक देता है यह कहकर कि कलाकार, गायक जिंदा रहना चाहिए। वह उस गायक को अपनी शेष उम्र भेंट में देता है और अपनी इहलीला समाप्त कर लेता है।
सारी जनता स्तब्ध है और गायक गा रहा है और इस तरह कलाकार और अच्छे गायकों के लिए सम्मान बना और परम्पराओं और विश्व की कमोबेश हर सभ्यता में यह शेष बचा हुआ है।
आज यह प्रसंग याद आया जब कबीर पर Ankit Chadha की दास्तान गोई सुनी, रोक नही पा रहा अपने को यह कहने से इस बन्दे में जो करिश्मा है वह अप्रतिम और अदभुत हैं।
बहुत दुआओं और स्नेह से देवास ने आज इस युवा प्रतिभाशाली व्यक्तित्व को नवाजा है - बस इसमें बहुत थोड़ा सा हिस्सा मेरा भी है - अपनी उम्र की भेंट और सारी दुआओं के साथ। कबीर को समझने का नजरिया ही बदल दिया !
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