Skip to main content

"खुदा को भी अच्छे अफसानानिगार की जरूरत है " RIP Ankit Chaddha 10 May 2018



"खुदा को भी अच्छे अफसानानिगार की जरूरत है"
Image may contain: 4 people, including Ankit Chadha, indoor

Image may contain: 2 people, including Ankit Chadha, people smiling, beard and glasses

"खुदा को भी अच्छे अफसानानिगार की जरूरत है " - शायद मंटो की कब्र पर यह खुदा हुआ है - [ एपिटाफ़ पर ]
तुम ऐसे कैसे जा सकते हो
क्या तुम्हें याद नही अमेरिका जाने से पहले तुमने वादा किया था कि दिल्ली में हम मिलेंगे और फिर देवास आओगे, मेरे घर दो चार दिन रहोगे
उस दिन जब अमेरिका जा रहे थे तो एयरपोर्ट से फोन किया था कि मैं जल्दी ही लौटकर आऊँगा
यह गलत बात है, मैंने तो तुम्हे अपनी उम्र दी थी और कल मुझे ही छोड़कर चले गए कल खंडाला [ पूना ] के पास किसी झील में
दुखी हूं - यह नही कहूँगा, बस इतना कि कल कबीर ने भी अपना असली वंशज खो दिया है और हम सब पुनः अनाथ हो गए है
तुम तो दास्तान सुनाते थे - तुम्ही चले गए, अब ना दास्तान रही - ना किस्सागोई और ना कुछ कहने सुनने को
अंकित तुमने आज एक स्थाई दुख दे दिया है
विदा अंकित , तुम सदैव मेरे दिल मे एक श्रेष्ठ इंसान और बेहतरीन कलाकार के रूप में जिंदा रहोगे
[ ये 22 फरवरी 18 की तस्वीरें है जब अंकित पूरा दिन देवास में था, हम लोगों ने खूब बातें की थी
और 3 अप्रैल 18 को जब अमेरिका जा रहा था तो मैंने लिखा था जल्दी लौटना तो उसने रात एयरपोर्ट से फोन कर कहा था भैया हम दिल्ली में मिल रहे है मई में और फिर मैं आपके घर आऊँगा फिर Ajay Tipaniya के घर जाऊंगा एक किताब लिखनी है बच्चों के लिए ]
तुम ऐसे कैसे जा सकते हो अंकित हम सबको बिलखता छोड़कर !!
और यह है वो 22 फ़रवरी 2018 का पोस्ट जिसमे मैंने अंकित से लम्बी बात करके कुछ लिखा था.
काश, सच में में मै उसे अपनी उम्र दे पाता कि वह कुछ और बेहतरीन सृजन कर सकता और हम अबके लिए इस विषाक्त माहौल में कबीर, खुसरो, निजाम्मुद्दीन औलिया, रसखान, गांधी आदि पर दास्तानगोई कर जाता
पर यह तुमने ठीक नहीं किया अंकित, रात भर सोया नही हूँ और हम सब मित्र, कबीरपंथी रात भर तुम्हारे बारे में बातें करते रहें है
देश भर और दुनिया के चंद वो लोग जो तुम्हे प्यार करते है और सब अपना मानते है तुम्हारे मुरीद है और विश्वास नहीं कर पा रहे कि यह अनहोनी हो गई...........
नमन और विदा अंकित
होमर रचित इलियाड नामक महाकाव्य में एक दृश्य आता है जब एक बुरा आदमी (खूँखार डकैत ) गिरजाघर में एक युवा गायक पादरी के सामने अपने हथियार फेंक देता है यह कहकर कि कलाकार, गायक जिंदा रहना चाहिए। वह उस गायक को अपनी शेष उम्र भेंट में देता है और अपनी इहलीला समाप्त कर लेता है।
सारी जनता स्तब्ध है और गायक गा रहा है और इस तरह कलाकार और अच्छे गायकों के लिए सम्मान बना और परम्पराओं और विश्व की कमोबेश हर सभ्यता में यह शेष बचा हुआ है।
आज यह प्रसंग याद आया जब कबीर पर Ankit Chadha की दास्तान गोई सुनी, रोक नही पा रहा अपने को यह कहने से इस बन्दे में जो करिश्मा है वह अप्रतिम और अदभुत हैं।
बहुत दुआओं और स्नेह से देवास ने आज इस युवा प्रतिभाशाली व्यक्तित्व को नवाजा है - बस इसमें बहुत थोड़ा सा हिस्सा मेरा भी है - अपनी उम्र की भेंट और सारी दुआओं के साथ। कबीर को समझने का नजरिया ही बदल दिया !
Image may contain: 2 people, including Ankit Chadha, people smiling, beard, glasses and indoor

Image may contain: 2 people, including Arunesh Shukla, people smiling, text

Image may contain: 5 people, including Ankit Chadha, people standing

Comments

Popular posts from this blog

हमें सत्य के शिवालो की और ले चलो

आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत

संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है

मुझसे कहा गया कि सँसद देश को प्रतिम्बित करने वाला दर्पण है जनता को जनता के विचारों का नैतिक समर्पण है लेकिन क्या यह सच है या यह सच है कि अपने यहाँ संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है और यदि यह सच नहीं है तो यहाँ एक ईमानदार आदमी को अपने ईमानदारी का मलाल क्यों है जिसने सत्य कह दिया है उसका बूरा हाल क्यों है ॥ -धूमिल

चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास

शिवानी (प्रसिद्द पत्रकार सुश्री मृणाल पांडेय जी की माताजी)  ने अपने उपन्यास "शमशान चम्पा" में एक जिक्र किया है चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास अवगुण तुझमे एक है भ्रमर ना आवें पास.    बहुत सालों तक वो परेशान होती रही कि आखिर चम्पा के पेड़ पर भंवरा क्यों नहीं आता......( वानस्पतिक रूप से चम्पा के फूलों पर भंवरा नहीं आता और इनमे नैसर्गिक परागण होता है) मै अक्सर अपनी एक मित्र को छेड़ा करता था कमोबेश रोज.......एक दिन उज्जैन के जिला शिक्षा केन्द्र में सुबह की बात होगी मैंने अपनी मित्र को फ़िर यही कहा.चम्पा तुझमे तीन गुण.............. तो एक शिक्षक महाशय से रहा नहीं गया और बोले कि क्या आप जानते है कि ऐसा क्यों है ? मैंने और मेरी मित्र ने कहा कि नहीं तो वे बोले......... चम्पा वरणी राधिका, भ्रमर कृष्ण का दास  यही कारण अवगुण भया,  भ्रमर ना आवें पास.    यह अदभुत उत्तर था दिमाग एकदम से सन्न रह गया मैंने आकर शिवानी जी को एक पत्र लिखा और कहा कि हमारे मालवे में इसका यह उत्तर है. शिवानी जी का पोस्ट कार्ड आया कि "'संदीप, जिस सवाल का मै सालों से उत्तर खोज रही थी वह तुमने बहुत ही