जवानी दीवानी
उचक कर आई थी मेन गेट से प्लेटफोर्म पर
प्लेटफोर्म पर भी देखा तो खूब तेज चल रही थी
एक प्रेमी ही था जो आया था छोड़ने -उसने उसे घुमाया बांहों में उठाकर
लड़की भी खूब मस्त नाचने लगी बांहों में
जब ट्रेन छूटने को ही थी कि एक बार फिर दौड़कर नीचे उतरी और अपने माशूक को चूम लिया, सीधे उचककर चढ़ गई कोच में
अंदर घुसी तो तीन बड़े बेग थे, हाथ में दो झोले और एक बड़ा सा पर्स - मानो किसी छोटे मोटे जिले का सामान हो
फिर आकर बैठी और आहिस्ते से देखा सबको - कौन फंस सकता है
एक लोवर सीट पर बुजुर्ग को देखकर मन ललचा गया
"अंकल, मेरी रीढ़ की हड्डी में प्रॉब्लम है और डिस्क फेल है , कंधे भी खराब है गेप है C 1,2,3,4 में आप मेरी अपर बर्थ पर चले जायेंगे... शुगर है बार बार बाथरूम जाना पड़ता है ..."
"बेटी मै सत्तर साल का हूँ , जानबूझकर लोवर सीट ली है.."
"अंकल प्लीज़ - मेरी हालत देखिये ना, उफ़ उफ़ उफ़ ......क्या गजब की आवाजें .........." मानो बस अभी ट्रेन रोककर अर्थी उठाना पड़ेंगी
अंकल बेचारे भी मर्द ही थे - बेटी जरुर बोल रहे थे - पर नजरें गजब की नश्तर सी थी - पूरे जोश से बस चढ़ गए ऊपर की बर्थ पर किसी सोलह साल के जवान की तरह और ताडने लगे लड़की को - जो बामुश्किल तेईस की होगी लगभग ...
लड़की अब लोवर सीट पर मोबाईल चार्ज पर लगाकर बैठी है और कभी वीडीओ कॉल करती है , कभी बातचीत और कभी कोई फिल्म देखकर अजीब सी आवाजें निकालने लगती है
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