गुरुग्राम के जज की पत्नी और बेटे को गनमैन ने गोली मार दी - यह दर्शाता है कि वरिष्ठ अधिकारियों की सेवा चाकरी में लगे तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों की कितनी बुरी स्थिति है, यह हद दर्जे तक शोषण भी करते हैं , निर्धारित समय से ज्यादा काम लेते हैं और जानवरों से बुरा बर्ताव करते हैं
मेरी जानकारी में मध्यप्रदेश के मालवा प्रांत के एक आदिवासी बहुल जिले में जिला मुख्यालय पर एक महिला जज एक प्रौढ़ महिला की (45- 48 वर्ष की है) जो अनुकंपा नियुक्ति पर लगी थी - कोर्ट से अपने घर यानी बंगले पर उसने ड्यूटी लगवा ली और उससे बेदर्दी से काम लेती है - घर के झाड़ू पोछे से लेकर दो बार का खाना बनाना, चाय पानी, आतिथ्य, कपड़े, बर्तन और सारे काम करवाती है - जो शोषण की सीमा से भी बाहर जाकर है . बर्ताव भी भयानक है इस जज का; वह प्रौढ़ एक मराठी ब्राह्मण परिवार की महिला है और बहुत मजबूरी में अपने दो बेटों को पालन पोषण और उनकी शिक्षा के लिए इस तरह का काम करने को मजबूर है, ये कहती हैं यदि मैं कोर्ट में काम करूं तो मेरे काम करने के लिए एक सीमा है, समय निश्चित है - परंतु जज साहिबा घर पर सुबह से बुला लेती है देर रात तक हर तरह का काम अकेली से करवाती है
यहां मराठी और ब्राह्मण का सन्दर्भ इसलिए है कि कैसे वह भी इस तंत्र में प्रताड़ित हो रही है, दलित, आदिवासी और अपढ़ लोगों का ये क्या हश्र करते होंगे यह सोचकर ही सिहर जाता हूँ मैं. मेरे एक मामा भी वर्ग चार में कार्यरत थे जो सेवानिवृत्ति के दिन तक कलेक्टर झाबुआ के बंगले पर तैनात रहें और उनका इतना शोषण हुआ कि बता नही सकता, वो लगभग सायकिक हो गए थे और बातचीत में कलेक्टर, उनके व्यवहार और बंगले की साफ सफाई के अलावा कुछ नही बोलते थे और हम सब लोग उपहास उड़ाते थे, आज समझ रहा हूँ कि कितना विक्षप्त कर दिया सारे नालायक कलेक्टरों ने उन्हें, आज सेवानिवृत्ति के दस वर्ष बाद भी वही सब बड़बड़ाते रहते है और भूल नही पाते
अपने सरकारी कार्यकाल में मैंने फौज के अफसरों से लेकर सीहोर, होशंगाबाद, भोपाल, हरदा, बैतूल, देवास, हरदोई, लखनऊ आदि के तत्कालीन कलेक्टरों यहां तक कि वरिष्ठ कमिश्नर और वामी माने जाने वाले सचिव और मुख्य सचिव तक के कथित सम्भ्रान्त प्रशासनिक अधिकारियों तक को भी इस तरह के नीच कामों में संलग्न देखा है
मुझे लगता है जिस दिन इस प्रौढा को भी बहुत गुस्सा आएगा इस महिला जज को वो गोली मार देगी या खाने में जहर मिला कर दे देगी - फिर समाज को उस महिला को गाली देने का कोई हक नहीं होगा, आज जैसे जज साहब की पत्नी और बेटे को जिस अंदाज में गनमैन ने मारा है और दिलेरी से फोन कर बताया है उसने - वह एक तरह का शोषण के खिलाफ लिया गया बदला है
यही हाल कलेक्टर से लेकर एसडीएम और छोटे बाबू के घरों पर तैनात या विभिन्न जनप्रतिनिधियों के घरों पर तैनात तृतीय - चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के हैं , ये अधिकारी और तथाकथित सभ्य लोग मानवीयता भूल कर हद दर्जे के शैतान हो जाते है और जिसका अंत इस तरह से होता है
मुझे तो लगता है कि अब जिस तरह से उग्रता बढ़ रही है और सामाजिक एवं मानवीय मूल्यों का ह्रास हुआ है उसमें इस सब पर आश्चर्य नही करना चाहिए
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