राहुल गांधी की आज की पत्रकार वार्ता जो इंदौर के सबसे महंगे होटल रेडिसन में हुई थी और सिर्फ चुने हुए पत्रकारों को जाने की और नाश्ते की इजाजत थी , अभी क्विंट पर सुनी
राहुल सिर्फ परिपक्व ही नही बल्कि तार्किक भी हो गए है और उन्होंने अकेले ने भाजपा के मोदी शाह कम्पनी से लेकर संघ को सोचने पर मजबूर कर दिया है फलस्वरुप मोदी से लेकर शाह और छूट भैये गली मोहल्ले के टॉमी, कालू , शेरू, अनिता या सुनीता रूपी भक्त बौखला गए है और पढ़े लिखे जाहिल भी समझ नही पा रहे कि इस पप्पू को क्या जवाब दें
मोदी से लेकर संघ का जमीनी कार्यकर्ता इसलिए अब ख़ौफ़ में है कि वो जवाब देने लगे है और इनके पप्पू कहने से बिदकते नही बल्कि पूरी दिलेरी से सूट बूट की सरकार से लेकर चौकीदार ही चोर है कहने का साहस रखते है
मोदी ने इतिहास मरोड़कर नेहरू से लेकर पटेल और सुभाष से लेकर गांधी तक को अपने गलत इरादों और बुरी नीयत से बदनाम करके थूकने की कोशिश की वह उन सबके मुंह पर गिर रहा है यह लोग जान गए है , राहुल के जवाब देने के बजाय नेहरु को गाली देना कहां की बुद्धिमानी है
महिलाओं के प्रति तीन तलाक से लेकर शबरीमाला के मंदिर में प्रवेश पर इनकी दो मुंही नीति सामने आ गई गई, शबरीमाला के केस में अमित शाह की सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ बयानबाजी 5 राज्यों में चुनावों के दौरान हिन्दू कार्ड खेलने की है बाकी कोई बात में दम नही है और इस बात को पढ़े लिखे लोग ही नही समझते बल्कि एक अनपढ़ भी समझता है कि खीज कहां तक है
असली बात यह है कि ये 5 साल में कुछ नही कर पाएं और अब विदाई के समय देश को पुनः 1947 की तरह हिन्दू मुस्लिम की आग में झोंककर कंगाल खजाने के साथ भाग जाना चाहते है - सारी संविधानिक संस्थानों को बर्बाद कर अब उजबक किस्म की बातें कर रहें है , एक कैमरामैन की रक्षा नही कर सकते जो आज मारा गया छग में तो देश की रक्षा क्या खाक करेंगे
ये करोड़ो रूपये की मूर्ति बनवा सकते है एकता के नाम पर , अपनी पार्टी संघ और अपने अनुषांगिक संगठनों की एकता ही बना लें तो बहुत है - शिवराज जी, वसुंधरा, रमणसिंह जी, कैलाश भाई, उमा जी, तोगड़िया जी, गोविंदाचार्य जी, भागवत जी, आडवाणी जी, जोशी जी या सुषमा स्वराज जैसों को एकसाथ मोदी जी अपने हाथ से साथ बिठाकर चाय पिला दें वही बहुत है
राहुल की परिपक्वता आश्वस्त करती है कम से कम वो बगैर डर के बोल रहे है काम कर रहें है, बाकी का विपक्ष तो नपुंसक बन गया है और कामरेडी लोग शहनाई लेकर बैठे है कि कुछ हो और वो ज्ञान बांटें , राहुल को कांग्रेस के भीतरी लोगों से भी सतर्क रहने की जरूरत है खासकरके शशि थरूर,मणिशंकर और दिग्विजय सिंह जैसे जो बनते महल पर मठ्ठा डालने में पारंगत है और माहिर है चाल बदलने में साथ ही उन अवसरवादियों से जो टिकिट के बहाने दूसरे दलों की मदद कर रहें है अंदरूनी जानकारियां फ़ैलाकर और यहां वहां बेचकर कांग्रेस के गड्ढे खोद रहे है
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कुछ हिंदी के लड़के लड़कियां पकड़ो और 2- 4 पुरुष और महिलाएं जो कुछ लिखते पढ़ते हो, कॉलेज में हो तो ज्यादा बेहतर, फेसबुक पर हो तो और बेहतर और देशभर में घूमते- फिरते निठल्ले हो प्राध्यापकी के नाम पर तो सबसे श्रेष्ठ और दिल्ली के हो तो आपने बाजी मार ली गुरु
या फिर आपके गोडाउन में एक बड़ा टेबल, 20- 25 लोगों के बैठने की जगह, चाय के झूठे ग्लास फेंकने के लिए डस्टबिन - अगर यह सब हो तो विश्व पुस्तक मेला 2019 में आपका स्वागत है
अब पूछे क्यों - अपनी नई पुरानी, ना बिकी किताबों को इन नए लौंडो को पकड़ा दो - वे पढ़ेंगे, खूब खरा खर्रा लिखेंगे और आप इन पर छोटा सा पैराग्राफ लिख कर फोटो सहित फेसबुक पर चेंप दो , इन्हें उभरता आलोचक बनाकर खूब दूहो इतना कि वो भाग ना जाये तब तक या उसकी पी एच डी ना हो जाये तब तक या उसे 500 - 700 का कोई नत्थूलाल पुरस्कार भी दे दो
अपनी इस पोस्ट में दिल्ली के किसी लेखक या लेखिका की कहानी की किताब वाला फोटो डालो उस दुहित का पढ़ते हुए, ताकि आप का प्रचार प्रसार फोकट में हो जाए, हर बार एक नया लौंडा ढूंढो - जो कन्याकुमारी से लद्दाख का हो या सिक्किम से सोमनाथ का, बनारस या अलीगढ़ का हो बस बात बन गई - क्योंकि असली आलोचक जो घाघ है वह आपको घास नहीं डालेगा
या फिर आप भोपाल, लखनऊ, इलाहाबाद, अहमदाबाद, चेन्नई, कोलकाता, भोपाल, जयपुर, उदयपुर या किसी सुमरा खेड़ी में रहते हो - प्रकाशक हो तो जाहिर है कचरा डंप करने के लिए बड़ा गोडाउन तो होगा ही - उसमे अक्टूबर से कवि गोष्ठी,कहानी पाठ, वैचारिक बहस , सम्मान, साहित्यिक श्राद्ध आयोजित करें - किसी बुढऊ का या मरे खपे साहित्यकार का, दिल्ली से किसी लल्लू को बुला लें और धे कर धे पोस्ट पे पोस्ट डालें तो पुस्तक मेले में आपके अटल स्टाल पर भीड़ बनी रहेगी
या फिर हर किसी को भी फेसबुक, इंस्टा या ट्वीटर पर एड कर लें और अपनी गीता प्रेस के प्रकाशन की जानकारी मय अकाउंट नम्बर और आय एफ सी कोड के भेजते रहें रोज जब तक बन्दा 2000 का आर्डर ना दे दें
विश्व पुस्तक मैले में बिक्री के ये नुख्स सॉरी नुस्खें है
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कुछ मज़ेदार अवलोकन एवं खुलासे - करवा चौथ के बहाने
* करवा चौथ पर बहुत लोगों की पोल खुली जब मित्रों की बीबियों ने पति परमेश्वरों को चलनी में से ताकते हुए फोटू टैग करके डाल दी
बेचारे फेसबुक पर अभी तक "सिंगल" के स्टेटस पर चल रहे थे
* इन्ही फोटुओं से मालूम पड़ा कि बेचारों के चेहरे कितने गौर वर्ण है और स्वच्छ सपाट चेहरे है
बेचारे किसी एप से किशोरावस्था और जवानी के दिनों के अपने चांद सितारे वाले कृष्ण पक्ष के सबसे काले चेहरे को गोरा और सारे दाग मिटाकर फोटू चैंपते थे ताकि सिंगल के साथ गोरा चिट्टा चिकना चेहरा लुभावना बना रहे और महिलाएं आकर्षित होती रहें
* प्रगतिशीलों की कलई खुल गई जब बीबियाँ उनके चरण रज लेती फोटू लगा गई
सारी प्रगतिशीलता धरी की धरी रह गई जब कहानी -कविता और अपने बकवास लेखों में महिला बराबरी का गुणगान करते थे और रसोई में खुद खाना बनाने के फोटू डालते रहते थे कि बड़ी समानता के चस्के है इन्हें और बीबी के कामों में हाथ बंटाते है
* जितना फेसबुक और सोशल मीडिया को गाली देते थे बीबी से वीडियो कॉल करते फोटू पड़ोसन ने खींच लिए और बीबी ने चेंप दिए
बेचारे खुद भी व्यस्त रहने का बहाना नही बनायेंगें और फेसबुकिया लेखक कहने की जुर्रत नही करेंगे अब किसी को , साले खुद 24X7 वाट्सएप पर महिलाओं से ठिठोली करते रहते है , किसी भी महिला की वाट्सएप समूह में हर सड़ी गली पोस्ट पर लम्बा आख्यान पेल देते है और दर्शाते ऐसे है कि ससुर ट्रम्प से ज्यादा व्यस्त है
नोट - कम से कम दो दर्जन कुख्यात लोगों के गोरे काले, काने टेढ़े -मेढ़े और चेचक से लेकर स्कार और चक्कू छुरी के दागों से भरे चेहरों वाले परमेश्वरों के असली फोटो मय बीबी से पूजा करवाते मैंने डाउन लोड करके रख लिए है ,अब आओ बेटा अपनी प्रगतिशीलता और नारीवाद, रंगभेद और रेसिज़्म पर बहस करने , फिर चैंपता हूँ मय सबूत और तारीख के , कुछ बोल भी नही सकोगे - बीबी से बड़ा सबूत कोई नही तुम्हारी असली औकात का
[ यह पोस्ट ना रंगभेद का समर्थन है, ना संस्कृति परम्परा या स्त्री समर्पण पर टिप्प्णी पर उन तथाकथित लोगों को उघाड़कर सामने लाने का एक प्रयास है जो सिंगल, गोरे, चिकने और प्रगतिवादी होने का ढोंग करते है, साला जो सही है असली है उसे छुपाने में दिक्कत क्या है गुरु ]
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