अनैतिक रूप और गैर कानूनी तरीकों से छोड़ी गई स्त्री भी #Metoo पर कुछ लिख सकती है क्या - जिसे कोई भरण पोषण भत्ता नही दिया जा रहा , यहां तक कि विधिवत कोई तथाकथित तलाक भी ना लें और दुनियाभर में ताड़ता रहें या ....
मेरे कई मित्र, रोल मॉडल्स इस पुण्य में शामिल है और तो और उन्हें इसकी परवाह नही है और वे लगातार इसमें सक्रियता से शामिल है
सवाल यह है कि क्या सिर्फ बड़ी रसूखदार महिलाएं, पत्रकार या फिल्मी हीरोइन्स बोलेंगी तो ही यह मुद्दा बनेगा या दबी कुचली और विशुद्ध गन्दी भाषा में कहूँ तो ( मुआफ़ कीजिये) "रखैल" / "स्टेपनी" जो खुद शोषित समुदाय - दलित, अल्पसंख्यक या आदिवासी या उच्च वर्ग से अपनी अकूत धन दौलत साथ लिए समर्पण भाव से आती है या विधवा - परित्यक्ता है, को यह कहने का हक नही या जो अभी भी पत्नी के होते सोते सब छोडछाडकर एन्जॉय कर रहें है दूसरी, तीसरी, चौथी और हर पल नया शिकार खोजती निगाह की शिकार के लिए भी उचित प्लेटफॉर्म है
पिछले 25 वर्षों से मीडिया में और 32 वर्षों से एनजीओ में यह खेल देख रहा हूँ, हालांकि इस खेल में महिलाएं भी बराबरी से शामिल है तमाम जोखिम लेकर एन्जॉय कर रही है
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देवास जिले के 3 बड़े और महत्वपूर्ण ब्लॉक बागली, कन्नौद और खातेगांव को देवास से जोड़ने वाली सड़क पर भगवान ना करें कोई यात्रा करें
निकम्मे और अकर्मण्य विधायकों, सांसद और पंचायत प्रतिनिधियों को शर्म भी नही आती कि कही जाकर मुंह जाकर छुपा लें
बागली ने तो प्रदेश को मुख्य मंत्री दिया है पर सिंगल रोड़ है वो भी ऐसा कि कोई प्रसूता बैठे तो मर जाये और स्वस्थ आदमी दचकों से मर ही जाएं, ये प्रतिनिधि "जय हिन्दू राष्ट्र" वाले फ्री इंडिया की बस में बैठ जाये तो मान लूँ कि इनकी अक्ल अभी बची है शेष, कोई बस वाले जानवरों को भी इतना नही भरते होंगे
भीड़ ज्यादा तो बसें क्यों नही चलाते है -सीधा जवाब है कि इनके धंधे बन्द हो जाएंगे और मिलीभगत खत्म
ट्रांसपोर्ट की हालत खराब, नेताओं की बस चल रही है और इनमें मुस्तैद बसों के गुंडे हरेक को इतना डराते है कि कोई कुछ नही बोलते, बागली और दोनों ब्लॉक के लोगों को इनके जन प्रतिनिधियों और प्रशासन के लोगों की पूजा करनी चाहिए जो इन बस वालें गुंडे मवालियों को भेड़ बकरी की तरह भरकर ले जाते है
हर थाने से लेकर आर टी ओ का कमीशन फिक्स है, कल परसो से यहां घूम रहा हूँ और ओवर लोडिंग की बात कर रहा हूँ तो बस वाले गुंडे मवाली कहते है जिससे बनें शिकायत कर लो, हमारा कोई कुछ नही कर सकता, पुलिस भी नपुंसक है जो एजेंट्स को आश्रय देकर हफ्ता वसूलती है
धिक्कार है ऐसे जनप्रतिनिधियों और प्रशासन पर जो जनता को जानवर समझकर ट्रीट करता है, देवास जिला और जिला मुख्यालय नेतृत्व विहीन नपुंसक जिला है जो सिर्फ कमीशन, रिश्वत और गुंडागर्दी पर जिंदा है ऊपर से लिजलिजा प्रशासन और कानून राज , जिला मुख्यालय का अब प्रतिनिधित्व बदलना ही चाहिए, 30 वर्षों से यह शहर ठहर गया है और सिर्फ जी हुजूरी और सामंती प्रवृतियां ज़िंदा है
विधानसभा चुनाव में ये रोज़मर्रा के मुद्दे लोगों को समझ आते है और अगर नही तो मरी हुई कौम से क्या उम्मीद करना और देवास का मीडिया जय जय और दबा कुचला है जो विज्ञापन के लालच में जमीर बेचकर अपनी नौकरी बचाता रहता है
नगर निगम देवास के अंधे लोग एक बार पंजाब नेशनल बैंक के सामने आ जाये या प्रशासन ठीक अपने सामने उस सड़क पर पैदल चल लें जो अस्पताल जाने की सड़क है तब सारी अक्ल ठिकाने आ जायेगी , शहर खोद दिया था ठेकेदार सेटिंग करके भाग गया , शहर खुदा पड़ा है सड़कें विधवा हो गई है - कमिश्नर से लेकर महापौर सब सेट है और मीडिया को चाटुकारिता से फुरसत नही
नही जी, हम कुछ नही बोलेंगें, हमें तो मंदिर वही बनाना है और शिवराज को जिताना है, अत्याचार सहेंगे पर वोट इन्ही निकम्मों और लालचियों को देंगे
जय हिन्दू राष्ट्र
जय सामन्तवाद
धर्म की जय हो
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याद करो और सोचो भारत तेरे टुकड़े होंगे की सोच और क्रियान्वयन करना किसकी है
दो लोगों की छोटी सोच ने मात्र 4 साल में देश बर्बाद कर दिया, इन्होंने जेएनयू को बदनाम किया, युवाओं को उच्च शिक्षा से रोका और अब प्रांतों को लड़वा रहे है
ये है अखंड भारत और हिन्दू राष्ट्र का असली चेहरा जो मोदी और अमित शाह बनाना चाहते है - भाजपा या संघ नही , याद करिये भागवत पुराण और आप फिर से इन दो को बढ़ावा देंगे - तरस आता है आपकी अक्ल और गोबर खाद्य खाने की आदतों पर
रोज़गार नही दे सकें और लाठी डंडे गोली दे रहे हैं
जोर से बोलो
अबकी बार फिर सत्यानाशी सरकार
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1989 की मेरी प्रिय शिष्या, बिटिया और वर्तमान में खातेगांव के पास एक बड़े माध्यमिक विद्यालय में प्रधान अध्यापिका से कल 1992 के बाद मुलाकात हुई साथ में थे उनके पति परमेश्वर राजेन्द्र राजावत जो मेरे 1989 से मित्र है
प्रमिला बहुत ही होनहार और व्यवस्थित छात्रा थी और वही बात मैंने कल उसके घर मे देखी - सुंदर सजीला और इतना व्यवस्थित कि जब मैं ऊपर पहुँचा तो लगा ही नही कि मैं खातेगांव में आया हूँ - वैभव, सौंदर्य बोध, वस्तुओं का चयन और सबसे ज्यादा रख रखाव और सफाई
आतिथ्य सौजन्य तो खैर हमारे मालवे की बेटियां बखूबी निभाती ही है , कल जल्दी में था एक चाय पीकर लौट आया हूँ पर अब जल्दी ही दाल बाटी का जो लालच मिला है उसे निभाने आउंगा ☺️
बेटियां कब बड़ी, समझदार, गहन अनुभूति लिए जिम्मेदार गृहस्थन और संवेदनशील हो जाती है पता नही चलता
ख़ुश रहो और यूँही घर में छोटी होकर बड़ी बनकर जिम्मेदारी निभाती रहो, तीनो ख़ुश रहो और खूब यश कमाओ - बेटा, राजेन्द्र और तुम
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अच्छी बात यह है कि गुजरात, उप्र और बिहार में एक ही थाली के चट्टे बट्टे है
कोई कांग्रेसी , सपाई या बसपाई या तृणमयी होता तो पूरे देश का कबाड़ा कर देते ये लोग
शर्म आना चाहिए , वैसे ही उप्र बिहार के लोगों को देश भर में हिकारत की नजर से देखकर हल्का काम दिया जाता है, अब गुज्जु कर लें मेहनत मजदूरी के काम
यह एक बड़ी साजिश है उधर शिवसेना से लेकर देवेंद्र फडणवीस तक कह रहे है मुंबई माझ्या बापाची और मराठी अस्मिता के सवाल उठा रहे हैं
देश के संविधानिक पदों पर बैठे लोगों को शर्म आना चाहिए - कम से कम उन्हें संविधान तो पढ़ना ही चाहिए ताकि देश की समझ बन सकें, मतलब यह तो हद कर दी कमीनगी की - क्षेत्रीयता फैलाकर अब आम लोगों को भिड़वा रहें हो - कहां जाकर भुगतोगे
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