आज दोनो ठगों ने अपनी कमाई में से पांच रुपये दान कर दिए गरीब जनों को
तीसरे ने पूछा तो बोला तो मुस्कुराकर बोलें - अभी यही गरीब लोग उत्सव के बाद छककर सो जायेंगें , फिर हम जेब नही - पूरा गला काटेंगे और बहुत आसानी से मौत की नींद सुलाकर इनकी बची हुई संपत्ति भी लूट लेंगे
वे मुस्कुरा रहें थे और लोग पांच रुपये के दान का जश्न मनाने में बारह रुपया खर्च कर रहे थे, भीड़ में उन्माद बढाने की दवा निशुल्क बांटी जा रही थी जिसे लोगों की भाषा मे परसादी कहते है
इति
***
सदियों से इंतज़ार है और दिशाएं भ्रमित है
धूप और छाँह के बीच उम्र के धागे उलझ गए
अब मुंह टेढ़ा कर एकाकी हो गया हूँ ऐसे कि
सूझता नही कुछ सब कुछ खत्म हो गया यूँही
***
जो मोदी और जेटली कह नही पा रहें है
***
सभी देशवासियों को सूचित किया जाता है कि देश के आर्थिक हालात बहुत भयावह हो गए है और देश बुरी तरह से कंगाल हो गया है
ये हालात 1991 से ज़्यादा खतरनाक है जब मनमोहन सिंह को रिजर्व बैंक निदेशक से वित्त मंत्री के रूप में लाया गया था और पूरा सोना - चांदी वर्ल्ड बैंक और आई एम एफ के पास रखा था
दुर्भाग्य यह है कि जेटली जैसे कारपोरेट के दलाल और अनपढ़ सरकार के कारण आज रुपया और शेयर मार्केट की हालत भयावह हो गई है
एक रुपया भी खर्च करने से पहले पचास बार सोचिए यह आर्थिक आपातकाल है और इसके बावजूद भी बेशर्म सरकार ने चुनावों को ध्यान में रखकर घटिया राजनीति शुरू कर दी है
जिस समय भी अम्बानी असल मे कंगाल होगा वह देश का ऐसा भट्ठा बिठायेगा कि सम्हलते नही सम्हलेगा किसी से और कारपोरेट किसी के बाप का नही होता
अनुरोध यह है कि इन नेताओं के चक्कर मे आने के बजाय अपने जेब की चवन्नी भी सम्हाल कर रखिये , आने वाला कल बहुत खतरनाक होने वाला है - यकीन मानिए मेरा
Comments