पुस्तक मेले के लिए किताबों से ज्यादा लेखक, प्रकाशक और दलाल अपना प्रचार प्रसार ज्यादा कर रहे है और भयानक आत्म मुग्ध हो गए है.
हे भगवान् इन्हें सद्बुद्धि दें...........
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मप्र में शहडोल के पूर्व कलेक्टर डा अशोक भार्गव पर गिरफ्तारी का आदेश निकला।
मप्र में जिला कलेक्टरों ने बड़े पैमाने पर जमीन, वनों से संपत्ति और गरीबों के भूगतान में व्यापक स्तर पर गड़बड़ियां की है। 51 में से अधिकाँश जिलों में प्रमोटी अधिकारी है जो भयानक भृष्ट है और प्रशासन के नाम पर कुछ नही कर रहे बल्कि आने वाली चौदहवी पीढी के कल्याण का सोच रहे है।
स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री और सत्ता के सहयोग बिना यह सब असम्भव है । निचले स्तर का चपरासी , पटवारी, कांस्टेबल और बाबू भी करोड़पति है यह पिछले दिनों पड़े छापों से सामने आया है। प्रदेश की जमीन इन कलेक्टरों ने बेची है, हेरफेर किया है, गरीब आदिवासियों को बेदखल किया है पन्ना में या बैतूल में, और सब कुछ जानते बुझते हुए भी कोई कार्यवाही नही की। इनमे से कुछ तो अपनी जात भी छुपाकर सवर्ण बन बैठे है।
शिवराज जी जैसे मुख्यमंत्री अब कलेक्टरों को हटाने का नाटक कर नए सपूत और कमाउपुत फिट कर रहे है वह चिंतनीय है और सारे पाप धोने के लिए अपने ही लोगों को फर्जी वेब साइट के जरिये से विज्ञापन देकर उपकृत कर रहे है।
कलेक्टरों का भृष्ट हो जाना और उनके खिलाफ निचली अदालतों से गिरफ्तारी का आदेश निकलना बताता है कि प्रदेश के मुख्य सचिव भी मात्र कठपुतली है शिवराज के राज में और पूरा प्रशासन अस्त व्यस्त हो गया है।
एक राज्य में जब मुखिया व्यापमं जैसे हत्याकांड में लिप्त हो और उसकी नाक के नीचे रोज सरकारी कर्मचारियों के घर से करोड़ो के नोट और अकूत सम्पत्ति निकले तो उस राज्य में क्या आप न्याय, कुपोषण से मुक्ति, सही समय पर रोजगार ग्यारंटी या मुआवजे के भुगतान , या विकास या राजस्व के मामलों में त्वरित कार्यवाही या नर्मदा आंदोलन के विस्थापितों के लिए न्याय की उम्मीद कर सकते है।
कहना अतिशयोक्ति नही होगी कि 51 जिलों में भयानक अव्यवस्थाएं है, जनसुनवाई और मुख्यमंत्री हेल्पलाइन की नोटँकी बदस्तूर जारी है और जिला कलेक्टर से लेकर चपरासी तक के प्रशासनिक कर्मचारी ऐयाशी से रुपया छाप रहे है।
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*मुफ्ती मोहम्मद सईद का निधन ।
काश्मीर समस्या का एक जानकार और गया। उनकी बेटी मेहबूबा राज्य की यदि मुख्यमंत्री बनती है तो कितना तालमेल भाजपा और राज्य के लोगों से बना पाएगी यह कहना मुश्किल है, साथ ही स्थाई सिर दर्द बन चुके काश्मीर को लेकर उनकी क्या समझ है यह कहना भी मुश्किल है।
सईद साहब को सलाम ।
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I have nt taken a sleep
eras have passed since then
Time is flying, hills are turning
Rivers are frozen and ice burnt
Give me my endless dreams
Be besides me and give me a
fearless night full of stars moon
Give me peace, harmony & stars
I want to sleep an immortal sleep
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