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Posts of 10 Jan 16 - मप्र के मालवा में दंगों की सुगबुगाहट


मप्र के मालवा में दंगों की सुगबुगाहट
मप्र में इन दिनों अपेक्षाकृत ढंग से दंगों की सुगबुगाहट सुनाई दे रही है खासकरके मालवा क्षेत्र में यह संभावनाएं बढ़ गयी है और स्थिति प्रशासन की पकड़ से दूर होती जा रही है. यदि मै कहूं पुलिस का खुफिया तन्त्र और मुखबिरी का जाल फेल हो चुका है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी. इंदौर में पिछले दिनों मुस्लिम समुदाय ने जिस तरह से रीगल चौराहे पर खड़े होकर जो कार्यवाही की और डर पैदा करने का काम किया था वह अब मालवा के सुदूर इलाकों में नजर आने लगा है. मालदा, कमलेश तिवारी के बयानों से इस मालवा का कोई लेना देना नहीं है परन्तु पिछले दो - तीन दिनों से देवास में तनाव बना है और आज आखिर में जो परिणाम निकले है वह बेहद चिंताजनक है.
दो दिन पहले मोती बँगला स्थित संघ की शाखा में बच्चों को खेलते हुए कुछ युवाओं ने मार पीट की तो थोड़ा मामला संगीन हो गया था, प्रशासन ने कार्यवाही की परन्तु कुछ लोगों को लगा कि यह पक्षपात पूर्ण कार्यवाही थी लिहाजा उन्होंने टी आई, कोतवाली को बर्खास्त करने की बात की. आज सुबह जब एक शौर्य यात्रा निकल रही थी तो एक दूकान के सामने कुछ युवा समूह में आ गये और ईंट फेंकी और भगवा झंडा निकाल कर फाड़ दिया जिससे दूसरे समुदाय के लोग भड़क गए और उन्होंने उस युवा की पिटाई कर दी, बाद में दो तीन स्थानों पर तोड़फोड़ हुई, कार के शीशे तोड़े गए, मार पीट हुई और दो चार दुकानों को नुकसान पहुंचाया गया. देखते ही देखते बाजार बंद हो गया हो - अफवाहों का बाजार गर्म हो गया. प्रशासन ने कलेक्टर, और पुलिस कप्तान के साथ मिलकर भारी पुलिस बल के साथ एक पैदल मार्च शहर में निकाला और कुछ स्थानों पर उपद्रवियों को तितर- बितर करने के लिए हल्का फुल्का लाठी चार्ज भी किया. बाद में पुलिस ने तीन चार लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया.
हम अभी कुछ साथी और पत्रकार मित्र पूरे शहर में प्रमुख स्थानों पर घूमकर आये है और पाया कि स्थिति नियन्त्रण में है. दुकाने कमोबेश बंद है और सड़कें अँधेरे में डूबी हुई है. कमाल यह है कि जो नगर निगम इतना टैक्स लेती है वह शहर के एम जी रोड पर ठीक से बिजली की व्यवस्था भी नहीं कर सकती, जोकि सुरक्षा के लिहाज से बहुत रिस्की है. सीसीटी वी अब स्थानीय व्यापारियों के सहयोग से लग जाना चाहिए - ताकि ऐसी स्थिति के समय घटनाओं की प्रामाणिक जानकारी और फुटेज मिल सकें, अभी तो पुलिस यहाँ वहाँ से फुटेज लेकर तथाकथित अपराधियों को पकड़ने की कवायद कर रही है. जिस सरदार पटेल मार्ग पर दूकान के टूटने की खबर थी वो हमारे मित्र की है वहाँ व्यापारी बैठे थे और कोई ख़ास नुकसान नहीं हुआ है. मात्र कुछ लोगों ने ईंट फेंकी थी और धमकियां दी थी. पर अफसोस धारा 144 होने के बाद भी लोग घरों से निकलकर बाहर बड़े समूहों में खड़े थे और पूरे मार्ग पर एक भी पुलिस का जवान हमें नहीं दिखा. इस तरह दुकानें बंद होने से रोज कमाकर खाने वाले और व्यापारियों का बहुत नुकसान होता है यह बताने की आवश्यकता नहीं है.
अब इंदौर के बाद देवास में यह घटना हुई है, अगले माह धार में भोजशाला के समय फिर यह होने की आशंका है जोकि प्रशासन के लिए अब एक नियमित अभ्यास बन ही गया है. क्या इंदौर और उज्जैन रेंज के आई जी और कमिश्नरम एस पी और कलेक्टर्स साहेबान को इस बात का कोई अंदेशा नहीं है कि यह घटना मात्र एक बड़ी होने वाली घटना का पूर्वाभास है, प्रशासन को समय रहते दोनों पक्ष के वरिष्ठ लोगों को बुलाकर बात करनी चाहिए और गंभीर चेतावनी देकर ऐसी घटनाएं फिर ना हो इस पर जोर देना चाहिए साथ ही दोनों समुदाय के युवाओं को रचनात्मक कामों में लगाकर रखना चाहिए, या पकडे जाने पर बगैर किसी राजनैतिक दबाव के कड़ी कार्यवाही करना चाहिए.
इस समय समाज में शान्ति की जरुरत है और इसमें जो आड़े आये उसके खिलाफ कार्यवाही होना चाहिए. स्थानीय जन प्रतिनिधियों को इस बारे में पहल करना चाहिए कि उनके विधानसभा क्षेत्र शांत रहें और कोई बेजा हरकत ना करें.


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मप्र जन सन्देश में आज 10 Jan 16 



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इंदौर स्कूल और सोशल साइंसेस के प्राचार्य रिटायर्ड होने के बाद भी पद नही छोड़ रहे बल्कि अल्प संख्यक होने का दर्जा मानकर पद पर अड़े हुए है। यह महाविद्यालय अपनी गुणवत्ता खो चुका है और समाजसेवा शिक्षा के नाम पर सिर्फ रुपया लेकर बाजार में निक्कमे और अयोग्य प्रोडक्ट निकाल रहा है जिन्हें ना तो समाजसेवा आती है ना समाज शास्त्र ना हिंदी ना अंग्रेजी और ना कम्प्यूटर। ऊपर से ईसाई मिशनरी के कब्जे के कारण अयोग्य लोगों को जिनमे ज्यादातर धर्म बदलकर आये ईसाई होते है, को बैकडोर प्रवेश दिया जाता है। हर साल देश भर से सिस्टर्स और ब्रदर भरे होते है।
मूल कारण है यहां प्राचार्य और एक महिला प्रोफ़ेसर की दो दशकों से चली आ रही बेहद ओछी और घटिया लड़ाई जिसे पिछले दस सालों से हर कोई देख रहा है फलस्वरूप यहां पढ़ाई कम गुटबाजी ज्यादा है।
अब समय आ गया है शासन से शत प्रतिशत अनुदान लेकर चलने वाले इस भृष्ट और अयोग्य संस्थान को शासन पूर्ण रूप से अधिगृहीत करें और यहां से सबको बाहर करके यु जी सी और देश स्तर पर परीक्षा पास अनुभवी प्राध्यापकों की नियुक्ति करें और इस प्राचार्य को जाति, अल्पसंख्यक दर्जे का गलत फायदा उठाकर भेदभाव करने और आर्थिक अनियमितताएं के आरोप में तुरन्त हटाकर कार्यवाही करें।
प्रदेश में किसी भी शासकीय अनुदान प्राप्त संस्थान में जाति विशेष के लोगों या प्रबन्धन का कब्जा ना हो, शिक्षा के अवसर सबको समान मिलना चाहिए।

यहां के जब तक पूरे अयोग्य स्टाफ को बदला नही जाएगा तब तक ना गुणवत्ता सुधरेगी ना यहां पर हालात बदलेंगे।

कितना शर्मनाक है कि एक व्यक्ति अप्रैल में रिटायर्ड हो जाता है और इंदौर जैसे जागृत शहर में सख्त प्रशासन, उच्च शिक्षा विभाग उसे पद से नही हटा पा रहे, वह आदमी एक बड़े संस्थान में बाप का माल समझकर कब्जा करके बैठा है। यानी भाजपा भी कांग्रेस की भाँती तुष्टीकरण में लगी है जबकि इसी महाविद्यालय के प्रोडक्ट है भाजपा के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय । कमाल है यह है उच्च शिक्षा का सुशासन !!!



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विश्व पुस्तक मेला 16 


सुना कि नत्थूलाल मिठाईवाले और पहलवान सिंह (जो स्थानीय महाविद्यालय में हिन्दी और भौतिक शास्त्र के माटसाब है) की इस पुस्तक मेले में निम्न किताबें आई है 

नत्थूलाल मिठाईवाले कृत सम्पूर्ण कहानियां, चुनी हुई कहानियां, प्रतिनिधि कहानियां, विशिष्ट कहानियां, मेरी पसंद की कहानियां, नब्बे के दशक  की कहानियां, प्रेम - क्षोभ और विरक्ति की कहानियां, नकोश कुमार के सम्पादन में निकली लाल हरे भगवा की कहानियां, हारवर सिंह और प्रबंधन पाण्डेय की समालोचना पर तुलनात्मक अध्ययन का प्रागैतिहासिक अध्ययन, कहानी का इतिहास और कहानी का प्रेम पक्ष, कहानी के वैराग्य पर नथ्थुलाल का समालोचनात्मक अनुशीलन. इन सभी का केश लोचन समारोह कल से दिन में तीन बार पुस्तक मेले के हाल नंबर 12 में स्टाल नंबर XYZ पर आख़िरी दिन तक होगा. सबको 40 से 60 प्रतिशत डिस्काउंट दिया जाएगा साथ में ज्योतिष शास्त्र और होमियोपैथी की किताबें फ्री में.

पहलवान सिंह कृत कविता की भूमिका और समाज, मेरी चुनी हुई कविताएँ, तीसरे दशक की कविताएँ और आलोचना, नवां सप्तक के कवि और उनका मटेरियलिस्टिक अनुशीलन, मुक्तिबोध और कालीदास की कविता में हिंसा के तत्व - एक अनुशीलन, बिहारी- सेनापति और पहलवान सिंह की कविता में श्रृंगार के तत्व और भारतीय कविता का विकास, बुद्ध - महावीर की कविता और तरुण सागर की काव्य दृष्टि में समानता - एक विहंगम वज्रापात. 
इस सभी किताबों को एक साथ लेने पर पहलवान सिंह के हस्ताक्षर और भारतीय व्यंजनों की दस किताबें फ्री, महंगाई को देखते हुए डिस्काउंट सिर्फ अस्सी प्रतिशत मिलेगा. 

यदि आप पुस्तक मेले की तरफ आयें तो जरुर आयें, चाय फ्री, और यदि दस दोस्तों को लेकर आये तो दोनों किताबों का सेट घर पर निशुल्क भेज दिया जाएगा. 
- प्रकाशक
अगल बगल, 
अंसारी रोड, नई दिल्ली. 



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