पाक से युद्ध पर होगा भारत को ये भयावह नुकसान, मोदी ऐसे दें पाक को जवाब..!
पाकिस्तान पर हमला बिलकुल मत करो, युद्ध किसी भी समस्या का हल नही और इसके जो दुष्परिणाम है वो आपको और मुझे ही झेलना होंगे पर इसका मतलब यह भी नही कि प्रधानमन्त्री से लेकर गृह मंत्री गैर जिम्मेदारी से बयानबाजी करें, सच्चाई देश से छुपाये, भारतीय पुलिस सेवा का अधिकारी अपने अपहरण की कहानियाँ सुनाता फिरें और हमारे जवान - अधिकारी मरते रहें।
बेहद शर्मनाक है भारत पाक के रिश्तों को लेकर ना कांग्रेस की पुख्ता समझ थी ना इन देश प्रेमियों की है बल्कि पूना में सम्मेलन करके बेवजह अपनी पोंगा पंथी ताकत दिखाकर प्रदर्शन कर देश से सहानिभूति बटोर रहे है। दूसरी ओर मुश्किल घड़ियों में योगा की बात करके मोदी अपनी घबराहट को "डाइवर्ट" कर रहे है जो उनके कमजोर इच्छा शक्ति का द्योतक है।
यह मुश्किल समय है जब देश सुरक्षा बलों के साथ है, 26 जनवरी सामने है और इन तानाशाहों में जिम्मेदारी से काम करने के बजाय घटिया स्तर का काम करने का भौंडा प्रदर्शन कर रहे है, इसी का फायदा उठाकर अफगानिस्तान में दूतावास स्वाहा हो गया।
इसलिए कह रहा हूँ भाजपा सिर्फ मोदी केंद्रित ना रहकर अन्य मंत्रियों और अनुभवी लोगों को खुले हाथ से काम करने दें। अमित शाह और मोदी अपरिपक्व और अंदर से कमजोर लोग है जो ना राजनीती जानते है ना कूटनीती। ये सिर्फ बड़बोले है और जनता से तालियां लूट सकते है भाषण में जो कोई मदारी भी आसानी से करता है पर इसका अर्थ यह नही कि वो देश चला सकता है।
इस तरह से देश की सेना का मनोबल कम होगा। मनोहर पर्रिकर से लेकर पूर्व सेनाध्यक्ष आपके मंत्री मण्डल में है, तमाम तरह के हथियार से सुज्जित है, एन एस जी है और बाकी पैरा मिलेट्री फ़ोर्स है। आडवाणी से लेकर देश में आपकी ही पार्टी में काफी वरिष्ठ लोग है, दूसरी पार्टियों में लोग है - अपने गुरुर में और "अहं ब्र्ह्मा अस्मि दूजो ना भवो" का भाव छोड़कर दूसरो से पूछे, क्या किया जाना है इस पर खुले मन से सामने आये, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी विदेश नीति पर अच्छी समझ रखती है उनसे चर्चा करो। "हर बात मैं करूँगा" यह त्याग करना पड़ेगा मोदी जी।
मीडिया, खासकरके चैनलो पर दहाड़ने वाले और दो हजार रूपट्टी के पारिश्रमिक पर पलने वालें मूर्ख पैंनलबाजों को छोडो, बल्कि सूचना मंत्रालय इन बहसों पर प्रतिबन्ध लगाएं। मीडिया के साथी भी संयमित होकर रिपोर्टिंग करें यह कोई टी आर पी का मसला नही या बाजीराव मस्तानी के प्रेम की सत्यता जांचने का मुद्दा नही , बल्कि देश का है।
दोनों मुल्क गरीब है, परेशान है, इंसान परेशा यहां भी है और वहाँ भी - की तर्ज पर सोचो। युद्ध में धकेलने से हमारे साथ समूची दुनिया और मानवता सदियों पीछे लौट जाती है। शिक्षा, स्वास्थ्य, जल- जंगल- जमीन, कुपोषण, भूख और विकास के दीगर मुद्दे है अभी हमारे सामने और पाकिस्तान के सामने भी, आपकी कुर्सी और सत्ता को बनाये रखने के लिए मेहरबानी करके हमे मोहरा मत बनाइये, वो जवान जो मारा जाता है - वह देश प्रेम के लिए नही, वरन् इस कठिन समय में अपने परिवार को पालने और ज़िंदा रखने के लिए सेना में गया है और कड़ी मेहनत कर विपरीत परिस्थिति में जान की बाजी लगाकर संघर्ष कर रहा है। उसे नवाज शरीफ के आलीशान महल में या नार्थ ब्लाक में कभी आप घूसने भी नही देंगे जनाब। उसके मासूम बच्चों और पत्नी के बारे में सोचिये वो को किस तरह से चौबीसों घण्टे अपने प्रिय आदमी के लिए दुआ कर दहशत में ज़िंदा रहते है। याद करिये GB Shaw रचित नाटक Arms and the Man.
मेहरबानी करिये, अमेरिका का धंधा चोखा करने के लिए, अपने चाटुकार कार्पोरेट्स और जमाखोरों को फायदा पहुंचाने के लिए हम कर्जदारो और गरीब गुर्गो पर युद्ध मत थोपिये। अपने चुनाव की रणनीति में क्यों मासूम जवानों की बलि दे रहे है, बन्द करिये ये गन्दा खेल, पंजाब, उप्र और अन्य राज्यों में होने वाले चुनावों में अपनी जमीन खिसकते देख आप अपने ही देश के लोगों को मूर्ख बना रहे है, जो जवान माँ भारती की सेवा में लगे है आप उनकी खुलेआम बलि दे रहे है। यह तो घिघौना और गम्भीर कृत्य है, आपने अपने परिवार को छोड़ा - किसी को आपत्ति नही, पर दूसरों के परिवार बर्बाद मत कीजिये। बेहद शर्मनाक है, इतिहास कभी माफ़ नही करेगा आपको।
मोदी जी विरोध और आलोचना अलग मुद्दा है , मैं आपसे असहमत हो सकता हूँ - पर इस समय आप मेरे प्रधानमन्त्री है, 125 करोड़ लोगों के आप प्रतिनिधि है, कृपया विकेंद्रीकरण करके और अनुभवी लोगों से सलाह करिये, अहम त्यागिये और जिद छोड़कर सच में "वसुधैव कुटुम्बकम्" का परिचय दीजिये। संघ को नियंत्रण में रखिये आपकी छबि वैसे ही आपको बड़बोले सांसदों ने खराब कर रखी है, अब आप संयमित होकर एक राष्ट्रनायक की तरह काम करें - नाकि भाजपा या अमित शाह या संघ की कठपुतली बनकर।
युद्ध किसी भी समस्या का हल ना हमारे लिए है, ना पाक के लिए, इसमें सिर्फ आपके आका और तथाकथित मित्र फ्रांस - अमेरिका जैसे हथियार के व्यापारियों का फायदा है यह आपको बताने की जरूरत नही ना ???
http://m.khabar.ibnlive.com/blogs/sandip/india-pakisatn-war-439994.html
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"कदम -कदम पे अंधेरों का सामना है यहां
सफर कठिन है दमे साज़ साथ रहें"
सफर कठिन है दमे साज़ साथ रहें"
- मख़्दूम मोहिउद्दीन
और अमर्त्य सेन भी कहते है
"It is not very hard to silence us, but that is not we can not speak"
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गडकरी ने कहा कि आशा पारेख मुम्बई में बारह मंजिल चढ़कर मेरे घर मुझसे पद्मश्री मांगने आई थी।
गडकरी को देखकर किसको लगता है कि ये लिफ्ट खराब होने पर बारह मंजिल चढ़ते उतरते होंगे।
मने पूछ रहे है, हद है यार पूरी गैंग ही झूठ बोलने में पी एच डी है, भले ही स्कूल में ना पढ़े हो।
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