भोपाल में सोमेश मेनन, विमल जाट, अनुपा और अंशुल प्रताप सिंह के साथ यादगार मुलाक़ात.......
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एक पढ़े लिखे युवा ने आत्म हत्या की है और तमाम जमात उसे ही गलत साबित करने पर तुली है। संस्कार कहाँ जाएंगे सदियों से दलितों को कुचलने में मगन रहे और अब बर्दाश्त नही हो रहा , एक घटिया आदमी लेंडी पीपल की बात करता है और अपने ब्राह्मणी संस्कार और संघी विरासत का भौंडा प्रदर्शन कर रहा है।बाकि की सारी भाजपाई संस्कृति उसे याकूब मेनन का सहयोगी बनाने पर आमादा है, दिमागी मवाद और कहा बहेगा ? नपुंसक और कायर लोग यही कर सकते है। जबकि एक जानकारी के अनुसार दत्तात्रेय खुद ओ बी सी से आते है पर अभी रामनामी चादर ओढ़े गन्दा धंधा कर रहे है ना तो क्या करें ?
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अब डर लगता है तुम्हारी मुस्कुराहट से
ख़ौफ़ होता है तुम्हारी चहलकदमी से
हवाएँ भी बौरा जाती है तुम्हारे आने से
समाज चौक उठता है तुम्हारी चुप्पी से
एक मुस्कुराहट भी प्रलय ला सकती है
एक सौजन्य भेंट युद्ध का आव्हान है
क्यों घूमती है उंगली, क्या इशारा है
दाढी का बाल गिरता है भूकम्प आता है
सदियों में ये सुअवसर आया जब एक हुए
जो आँख के बदले आँख का न्याय मानते है
सारी भेड़े खामोशी से चर रही है अंधानुकरण में
देश को जगसिरमौर बनाने को संकल्पित है
एक तानाशाह की झपकी बाँट देती है हमें
बच्चे, युवा और स्त्रियाँ वेदना में त्रस्त है
तुम्हारे वजीर और प्यादों ने गिरवी रखे घंटे
मुनादी करने वाले झूल गए सलीब पर कल
तानाशाह कितना समय और लोगे अभी मुक्ति में
कब तक सारे बद दिमाग लोगों को ठीक कर लोगे
जो अपनी जुबान कैंची की तरह इस्तेमाल करते है
इस दुनिया को तुम्हारी जरूरत ज्यादा है तानाशाह
चिट्ठी और भावनाओं का व्यापार कुचलना होगा
हर आवाज को दबाना होगा जो कुर्सी को निहारेगी
विश्व विजयी बनने में जो आड़े आये उसे मरना होगा
धर्म पताकाओं को फहराने में कुर्बानी इतिहास है
(रोहित और नरेंद्र के लिए जो एक समाज का हिस्सा बनते बनते इस देश के लिए बलि चढ़ गए)
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रोहित तुम दुर्भाग्य से इस देश में गलत नेतृत्व और धर्मांध लोगों के सामने आवाज़ उठा रहे थे और दुर्भाग्य से वे दलित आज चुप है और कुछ बोल नही रहे जो शेर की खाल ओढ़कर सवर्ण बन बैठे है, अगर वे आज बोले तो उनकी दलित पहचान सामने आ जायेगी।
एक निकम्मी व्यवस्था, भृष्ट शिक्षाविदों, अनपढ़ मानव संसाधन मंत्री और लचर और कार्पोरेटी कठपुतली प्रधानमन्त्री के नेतृत्व को स्वीकारने से मर जाना श्रेष्ठ है।
बस ये Ashutosh या हमारे जैसे लोग तुम्हारी संवेदना को अन्तस तक महसूस कर सकते है, और इस तरह का एक मृत्यु लेख या एक Epitaph लिखकर अपना शोक व्यक्त कर सकते है।
देवास का नरेंद्र हो या तुम, इस देश के तानाशाह और लोगों को कोई फर्क नही पड़ता, ये लोग अंधे हो चुके है और इनसे बात करना भी बेमानी है .
रोहित तुम दुर्भाग्य से इस देश में गलत नेतृत्व और धर्मांध लोगों के सामने आवाज़ उठा रहे थे और दुर्भाग्य से वे दलित आज चुप है और कुछ बोल नही रहे जो शेर की खाल ओढ़कर सवर्ण बन बैठे है, अगर वे आज बोले तो उनकी दलित पहचान सामने आ जायेगी।
एक निकम्मी व्यवस्था, भृष्ट शिक्षाविदों, अनपढ़ मानव संसाधन मंत्री और लचर और कार्पोरेटी कठपुतली प्रधानमन्त्री के नेतृत्व को स्वीकारने से मर जाना श्रेष्ठ है।
बस ये Ashutosh या हमारे जैसे लोग तुम्हारी संवेदना को अन्तस तक महसूस कर सकते है, और इस तरह का एक मृत्यु लेख या एक Epitaph लिखकर अपना शोक व्यक्त कर सकते है।
देवास का नरेंद्र हो या तुम, इस देश के तानाशाह और लोगों को कोई फर्क नही पड़ता, ये लोग अंधे हो चुके है और इनसे बात करना भी बेमानी है।
रोहित तुम दुर्भाग्य से इस देश में गलत नेतृत्व और धर्मांध लोगों के सामने आवाज़ उठा रहे थे और दुर्भाग्य से वे दलित आज चुप है और कुछ बोल नही रहे जो शेर की खाल ओढ़कर सवर्ण बन बैठे है, अगर वे आज बोले तो उनकी दलित पहचान सामने आ जायेगी।
एक निकम्मी व्यवस्था, भृष्ट शिक्षाविदों, अनपढ़ मानव संसाधन मंत्री और लचर और कार्पोरेटी कठपुतली प्रधानमन्त्री के नेतृत्व को स्वीकारने से मर जाना श्रेष्ठ है।
बस ये Ashutosh या हमारे जैसे लोग तुम्हारी संवेदना को अन्तस तक महसूस कर सकते है, और इस तरह का एक मृत्यु लेख या एक Epitaph लिखकर अपना शोक व्यक्त कर सकते है।
देवास का नरेंद्र हो या तुम, इस देश के तानाशाह और लोगों को कोई फर्क नही पड़ता, ये लोग अंधे हो चुके है और इनसे बात करना भी बेमानी है।
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जब केंद्रीय मंत्री स्मृति, निहालचंद्र, दत्तात्रेय, अरुण जेटली, राजनाथ, पर्रिकर, गडकरी, साधू और महान साध्वियां हो तो क्या आप मेक इन इंडिया की बात कर रहे है मोदी जी। आपके ही देश में आपके मुंह लगे भृष्ट और किसी भी हद तक जाने वाले मुख्यमंत्री शिवराज, वसुंधरा, रमणसिंह जैसे लोग हो, आपके संगठन में अमित शाह और कैलाश विजयर्गीय जैसे बड़बोले लोग हो तो आपका भविष्य सुरक्षित नही है।
बहुत दिल से आपके द्वारा किये जा रहे प्रयासों की सराहना करता हूँ और आपकी कार्पोरेटी बुद्धि का भी मैं प्रशंसक हूँ पर ध्यान रखिये ये सारी गैंग आपको पूरी तरह डुबोने में लगी है। आप भले ही संघ और देश के अजेंडे पर हो पर आपको अब साइड लाईन करने के पूरे इंतज़ाम हो गए है।
मोदी जी सम्हलकर फिर मत कहना कि आपके धूर विरोधी और निंदक ने चेताया नही।इस सारे दंगल में ये अपना मंगल चाहते है बाकि सब तो बहाने है बॉस ।
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जिस देश में 55 प्रतिशत युवा हो और सरकार को मेक इन इंडिया बनाना और चलाना है उन्हें हैदराबाद में रोहित मरे या देवास में नरेंद्र मरे कोई फर्क नही पड़ता, आखिर हिन्दू राष्ट्र के निर्माण में युवाओं की कमी नही आने देंगे।
चिंता मत करो मठाधीशों - ये देश है वीर जवानों का, अलबेलों का मस्तानों का !!! सड़क पे बारात में नाचते युवाओं को नही देखा ???
लगाओ नारा - एक मांगोगे हजार देंगे , जहां 55 प्रतिशत हो - वहाँ साले इन दो चार रोहितों और नरेन्द्रों के मरने से क्या होगा, हम देंगे ना एक - एक लाख मुआवजा इनके भिखमंगे माँ बापों को।
क्यों भाई सही है ना, तुम नाहक ही मुद्दा बना रहे हो साले इन बेरोजगार नोजवानो का ।
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