Book on the table वाट्स एप पर क्रान्ति by Anurag Pathak
*****
जो देश अपने लोगों जो समझा नही सकता, अपने युवाओं को गलत रास्ते पर जाते हुए देखता है, आत्महत्या करने को मजबूर करता हो या धर्म के नाम पर जिहादी बनाता हो उस देश का भविष्य कभी भी सामाजिक, विकसित और सुरक्षित नही हो सकता।
*****
जैसे सबके दिन फिरे मोदी के भी फिरे ...
अब 56 इंच में ना दम है ना काम करने की तमन्ना बची है, रही सही कसर उनके ही लोगों ने पूरी कर दी है.......हर घर मोदी के बजाय अब हाय हाय मोदी हो रहा है और याद रखना यह मोहरा अब बदलेगा, ना प्यादा बन पाया - ना वजीर, बस एक हाथी बनकर रह गया कही भी इधर उधर बिना उद्देश्य और बिना किसी मकसद के चलता चला गया.
फिर कहता हूँ इससे बेहतर मनमोहन था देश के लिए जो कम से कम चुप तो रहता था और कुछ नहीं करता था. एक आम आदमी का भरोसा तोड़ना सबसे बड़ा छल है मोदी जी, लोग कमाकर मेहनत से अपने को और अपने परिवार को सुखी रखना चाहते है, नाकि दंगों की आग में अपनीऔलादों को बलि चढ़ाना चाहते है. किसी भी लोकप्रिय प्रधानमंत्री का मात्र दो साल में इतना भयानक ग्राफ गिरना किसी भी देश के इतिहास के लिए चिंताजनक है वो भी तब जब देश में 31 प्रतिशत उसके ही लोग जो अंधे थे अब ज्ञानवान चक्षु खोलकर बैठ गए है और दलित से लेकर कश्मीर और पाकिस्तान से लेकर 370 तक का हिसाब मांग रहे है. ना कोई समझ - ना अकादमिक ज्ञान, ना पहल - ना इच्छा शक्ति, तो देश कैसे चलेगा गुरु.?
भाजपा अगर 19 में आकर फिर से राम मंदिर बनाने के सपने भीरु और कायर लोगों को दिखाना चाहती है तो बेहतर है अभी से बदल दें और किसी को फर्क नहीं पडेगा ना कोई स्यापा करेगा ना रुदन, सब ठीक हो जाएगा........
******
हिन्दुस्तान में इंसानों को रहने दें ब्राह्मण वैश्य ठाकुर और दलितों को अब बाहर कर दें, ये सब मानवता के दुश्मन और व्यापारी है। कम्बख्तों ने जीना हराम कर दिया है, चार जूते मारो और चलता करो सारे अवसरवादियों को।
पढ़ लिखकर भी नही सुधरे और वही जाति धर्म का मुलम्मा चढ़ाकर बेशर्मी से आरक्षण या मन्दिरों में पूजा करने का ठेका लिए बैठे है।
सबसे बड़ी जड़ आरक्षण है जब तक इसे नही हटाएंगे तब तक कोई बदलाव नही होगा और अब समय है कि योग्यता को महत्व दिया जाए।
*****
इसे मैं दादरी, मालदा और रोहित के संदर्भ में समझूँ तो मेरी कम बुद्धि पर शक ना करना।Ashutosh Dubey की कविता जो कई पाठ मांगती है।
*****
हैदराबाद वाला मामले में पता चला। रोहित पर जांच करने वाले सब दलित थे। दलितों ने ही उसे रूम से बाहर निकाला। वहां पहले भी आत्महत्या की गई है। सच कहूँ तो जो 12 वी पास हैं वे छात्र राजनीती पर बोल रहे हैं और जो कभी हैदराबाद गए नहीं वे दक्षिण की राजनीति पर पेल रहे हैं। इससे बड़ा झूठा समय पूरी सभ्यता के काल में नहीं.
*****
मुझे लगता है कि मालदा काण्ड पर यदि गंभीरता से चर्चा हुए होती या कार्यवाही की गयी होती तो शायद देश में आज हालात दूसरे होते, यह एक बड़ी चूक थी और इस पर प बंगाल सरकार को घेरकर कार्यवाही की जाना थी. अब समय है कि छात्रों के मुद्दों को छात्रों के परिपेक्ष्य में ही देखा समझा जाए, और विश्व विद्यालयों को राम पूजा और आरक्षण जैसे ढकोसलों से दूर रखा जाए वरना हमें रोज एक रोहित की मौत के लिए तैयार रहना होगा.
*****
रोहित क्या मरा सबने अपनी औकात दिखा दी, दिलीप मंडल से लेकर कुछ लोगों ने पूरा दलित आख्यान नए सिरे से रच डाला है, और समूचे समाज को खांचों में बांटना शुरू कर दिया, अगर तुम्हारे लेखों से जो निहायत ही संकीर्ण और घटिया मानसिकता से लिखे गए है, और तुम कितने पूर्वाग्रहों से ग्रस्त हो यह भी ज़माना जानता है, से काश बदलाव आ पाता तो बात भी बनती परन्तु तुम तो मुंह में सुविधा का चम्मच, आरक्षण की बैसाखी और दलित तमगा लगाकर इसी समाज में सबको गरिया रहे हो और भूल गए कि कुछ इन्ही लोगों और समाज ने तुम्हे पुचकार कर आज जहां हो वहाँ पहुंचाया था.....
शर्म करो सबको एक डंडे से मत हांको, और कुछ ओछे पत्रकार किस्म के फर्जी लोग जो नकली और घटिया पत्रकार बने फिरते है और आजकल सिर्फ और सिर्फ वामपंथियों से लेकर कांग्रेस को गरियाने का ठेका लेकर बैठे है क्योकि तुम्हारे जैसे गधों को कुछ लोग कठपुतली की तरह से इस्तेमाल कर रहे है यहाँ आग उगल रहे है, अरे तुम जानते क्या हो आन्दोलन, विचारधारा और क्या अकादमिक समझ है तुम्हारी ? मूर्ख शिरोमणि पहले अपने पूरे नाम को लिखने की हिम्मत करो जो जाति बताता है, कुमार या अन्य उपनाम लगाकर तुम क्या और यो सिद्ध करना चाहते हो.........
*****
दादरी भी गलत था, मालदा भी और रोहित की आत्महत्या भी और देवास में मुस्लिम समाज द्वारा किया गया निर्दोष नरेंद्र का खून भी पर अब राजनिती बंद करो और अपने घटिया तर्कों और तरकशों को रख दो कही और काम करो देश की एकता के लिए और सौहाद्र के लिए यदि ये सब नहीं कर सकते तो छोड़ दो सब कुछ और मानवता का राग अलापना बंद करो और डूब मरो....
चैनल वालों, नेताओं, बुद्धिजीवियों, भ्रष्ट प्रशासकों, छदम दलितों, सुविधाभोगी दलितों और छात्रनेताओं...... बंद करो इन सबकी मौत पर राग अलापना और यदि थोड़ी भी खुद्दारी और जमीर बाकि है तो सबसे पहले अपने दिल दिमाग के जाले साफ़ करो...
*****
एक पढ़े लिखे युवा ने आत्म हत्या की है और तमाम जमात उसे ही गलत साबित करने पर तुली है। संस्कार कहाँ जाएंगे सदियों से दलितों को कुचलने में मगन रहे और अब बर्दाश्त नही हो रहा , एक घटिया आदमी लेंडी पीपल की बात करता है और अपने ब्राह्मणी संस्कार और संघी विरासत का भौंडा प्रदर्शन कर रहा है।बाकि की सारी भाजपाई संस्कृति उसे याकूब मेनन का सहयोगी बनाने पर आमादा है, दिमागी मवाद और कहा बहेगा ? नपुंसक और कायर लोग यही कर सकते है। जबकि एक जानकारी के अनुसार दत्तात्रेय खुद ओ बी सी से आते है पर अभी रामनामी चादर ओढ़े गन्दा धंधा कर रहे है ना तो क्या करें ?
Comments