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Posts of 3 and 4 Aug 2019

पेट भर सलाद
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एक ताज़े भुट्टे के (मकई) के दाने निकाल कर पानी मे पांच मिनिट उबाल लें, नीचे उतारकर एक बाउल में रखे
एक शिमला मिर्च, दो हरी मिर्च, एक टमाटर और आधा छोटा खीरा बारीक काट लें
अब इस मिश्रण को मकई के उबले हुए दानों में मिला लें
थोड़ा सा नमक, कूटी काली मिर्च , चाट मसाला , एक बड़ा चम्मच नींबू का रस मिलाकर आधा चम्मच घी या मख्खन मिला दें
स्वादिष्ट और बेहद पौष्टिक सलाद तैयार है
भोजन हो गया अपना आज का
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दूध मांगो तो खीर देंगे
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15 अगस्त का इंतज़ार कीजिये अबकी बार कुछ धांसू होगा - इसके पहले और 15 अगस्त पर सांत्वना वाले भाषण, आत्म मुग्धता के झंडे और दुनिया को बता दिया जाएगा कि हम ही महान है, हमने कश्मीर समस्या सुलझा ली है
संभवतः नए सांसदों के प्रशिक्षण में दो दिवस यही योजना विस्तृत रूप से समझाई गई हो कि अपने इलाकों में लौट जाये और प्रशासन पर काबू रखें , सत्र के तुरन्त बाद अमित भाई कश्मीर में , तब तक घाटी से धर्मावलंबियों को सुरक्षित निकाल लिया जायेगा - एयर लिफ्ट तक करवाया जा रहा है
अच्छी पहल है - खत्म करो, रोज - रोज की चिकचिक और अब अपने असली मिशन पर आ जाओ, आर्थिक हालात तो बर्बाद हो ही गए है, जनता कावड़ियों के भेष धरकर शिवालयों में व्यस्त है ही, बची खुची अर्थ व्यवस्था की भी वाट डाल दो
अदालतें राम मंदिर की सुनवाई रोज़ करेंगी ही तो बाकी लोकहित वाद की अपीलें सुनने को समय कहां होगा, और जनमानस तो कृत संकल्पित है ही कि "कश्मीर मांगोगे तो चीर देंगे" - सारे हिन्दू मुस्लिम मन्दिर - मस्जिद में ही बहस करके ही ज्ञानी बनते रहेंगे
ऊपर बर्फ भी नही है, सेना को मुस्तैद कर ही दिया है, बजट पास हो ही गया है, एनआईए को विशेष अधिकार दे ही दिए है - अब साला कोई मानव अधिकार वाला बोलेगा तो वही के वही निपटा देंगे
बधाई मोदी जी , आपकी सरकार को अग्रिम बधाई, शुभकामनाएं और दुआएँ कि आप कामयाब हो और देश के माथे से कलंक हमेशा हमेशा के लिए मिट जाए - ट्रम्प अंकल 26 जनवरी को पक्का आयेंगे यह वादा है
15 अगस्त को सुबह शेरवानी कौनसे रँग की होगी बता दें - ताकि हम सब भारतवासी तब तक सिलवा लेंगे और झकास झंडा वंदन करेंगें
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा झंडा ऊंचा रहें हमारा

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हमें सत्य के शिवालो की और ले चलो

आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत

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