साहसिक कदम पर देश को देश रहने दें
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मोदी एवम शाह का हिम्मती फ़ैसला
72 वर्षों में सरकार का बेहद साहसिक और हिम्मत भरा निर्णय, हार्दिक बधाई भले ही अलोकतांत्रिक होकर हड़बड़ी और पूरी दादागिरी से लागू किया गया हो
बाकी सब ठीक पर नागरिकों से संयम से रहने की गुजारिश है, कृपया चुटकुलों से और भद्दे संदेशों से किसी को आहत ना करें
हम एक है - यह बोलें ही नही व्यवहार में भी दिखाएं
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सवाल एक नही अनेक है - सबसे ज़्यादा मिलिटेंसी को लेकर है कि क्या सेना के जवानों की मौत में कमी आएगी, क्या बजट में अब पाकिस्तान का डर रक्षा मद में कम होगा और वह डायवर्ट होकर शिक्षा स्वास्थ्य और मानव विकास के सूचकांक बढाने में उपयोग होगा और क्या हम अब सच मे हिन्दू मुस्लिम की मानसिकता से बाहर आकर एक वृहद और वसुधैव कुटुम्बकम की दिशा में सोच को जमीन पर चरितार्थ कर पाएंगे
मुझे लगता है कि लगे हाथों अगले सोमवार को संसद मन्दिर बनाने का भी कानून बनाकर सीपीडब्ल्यूडी को दिसम्बर तक भव्य मंदिर भी बनाने का आदेश दें - ताकि नव वर्ष से हम सिर्फ और सिर्फ विकासोन्मुख कामों को तरजीह दें
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कोख का कर्ज यूं चुकाओगे कम्बख्तों
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पूरे दिन भर से घटिया संदेश आ रहें है , कश्मीरी बेटियों को लेकर जो संदेश वाट्सएप फेक्ट्री से फैलाएं जा रहें है यदि यह काश्मीर का भारत में एक होना है तो यह कभी ना हो
जिस अंदाज़ में युवा वहां की बेटियों को लेकर संदेश, घटिया फोटो और अश्लीलतम फोटो डालकर "चिक्स, एपल, माल और उनके गोपनीय" अंगों के संदेश आ रहे हैं लगता है यह भी एक व्यापक पूर्व तैयारी का हिस्सा था
मोदी, अमित शाह, महबूबा, कांग्रेस, नेहरू और फारुख अब्दुल्ला और उमर को लेकर जो घृणास्पद कार्टून, वार्तालाप आ रहा है वह शर्मसार करने वाला है
जिन लोगों ने अपने गांव, मोहल्ले के अलावा कुछ नही देखा वे कश्मीर के निर्णय पर इतने अधिकार से बोल रहें हैं जैसे इन मूर्ख, गंवारों के नाम चल अचल संपत्ति लिख दी हो
पढ़े लिखे लोग प्लाट बिकाऊ से लेकर डल झील में रिसोर्ट की बात के पोस्टर ठेल रहें हैं और कमाल यह है कि ये सब जानते है कि ये क्या कह रहे है और कर रहें हैं
देश की नब्ज लगातार डाउन हो रही है और स्थिति खराब है, यह सब एक सुनियोजित प्रक्रिया के तहत हुआ है, 370 हटाने के हम भी हिमायती है - ख़ुश भी है पर इस क़ीमत पर कदापि नही
माफ करिये यह सनक और ये युवा कल आपकी अपनी बहू बेटियों को सड़कों पर लाकर रौंदेंगे - शायद अपनी बहनों को भी, हिंदूवाद और हिन्दुराष्ट्र का यह प्रचंड ज्वर किसी को नही बख्शेगा - याद रखियेगा
कश्मीर से कन्याकुमारी एक ऐसा हो जाये कि हमारे बेरोजगार युवा इतने अश्लील, नालायक और इस कमीनगी पर उतर आएँ तो कोई अर्थ नही ऐसे सुधारों का - बेटी पढ़ाओ और हरामखोरों के निशाने पर भेजो अगर यह मंशा और आशय है तो आपकी सभ्यता, संस्कृति और जाहिलपन पर मैं शर्मिंदा हूँ
मुझे दुख है कि ऐसे घटिया लोग मेरे परिचित है
मेरा सवाल है कि आपकी मर्दानगी, दंगों, छुआछूत, भेदभाव और जाति वैमनस्य की शिकार महिलाएं क्यों बनें - क्या आप सारी वैचारिक, आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक लड़ाईयां स्त्री के इर्द गिर्द ही बुनकर संतुष्ट हो लेते है - यदि हाँ तो आपसे बड़ा नपुंसक और नामर्द कोई नही है - डूब मरिये कही जाकर
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जैसे पाँख गिरे तरुवर के
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चार साल पहले की बात होगी जब लव बर्ड्स की एक जोड़ी अनिरुद्ध घर लाया था क्योंकि वह मुंबई जा रहा था एमबीए करने
हम लोग व्यस्त रहें इसलिये एक जोड़ी ले आया कि घर चहकता रहें
पिछले वर्ष भीषण गर्मी में एक चिड़िया मर गई, बची एक जो अपने अकेलेपन की त्रासदी से जूझती रहती थी, इन पूरी गर्मियों में मैं नीचे वाले कमरे में उसके पिंजरे के पास रहता और पंखा चलाकर अपना काम करता रहता वह भी ची ची ची चहकती रहती, खूब बतियाती और शायद गीत भी सुनाती और अपनी उदासी के किस्से भी
कई बार लगा कि एक चिड़िया और ले आऊं, या किसी को दे दूं पर फिर सोचा कि नई चिड़िया से नही बनी और उसने नोच दिया तो या किसी को दे दूं और वह सफाई, दाने पानी और गर्मी का ध्यान ना रखें तो लगा कि दुख सहने से और चौबीसों घँटों की चिकचिक से एकाकीपन ही सौ गुना बेहतर है - सो उसे यूँ ही रहने दिया अपने में मस्त
आज सुबह जब दाना डालने, पानी बदलने और पिंजरा साफ करने गया तो देखा कि उमस के कारण वह प्राण पखेरू छोड़ किसी अज्ञात दिशा में उड़ गई थी
तीन चार साल घर चहका कर वह निर्जन द्वीप में उड़ गई है, मन उदास है और बोझिल भी पर उसके मुक्त हो जाने पर ख़ुश हूँ, कई बार छत पर पिंजरा खोल दिया कि वह उड़ जाए पर उड़ी नही कांधे पर आकर बैठ जाती थी और कानों में शोर मचाते हुए स्नेह जताती थी
आज जब चिड़िया सच में पिंजरा तोड़कर किसी अनथक यात्रा पर निकल गई है तो लगता है एकाकीपन एक ना एक दिन जान ले ही लेता है चिड़िया हो या मनुष्य मात्र
मन व्यथित है लगता है उसकी मौत का जिम्मेदार हूँ मैं
प्रार्थनाएं
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