कविता प्रेम के उफान की आकस्मिक सूचना है और किसी कवि का संग्रह उसके उद्दाम वेग का दस्तावेज़ , ज्योति का संग्रह जीवन के शुरू होते पाँचवे दशक का दस्तावेज है - जहां वो अपनी कल्पनाएं और अनुभव संजोकर एक क़िताब की शक्ल में लेकर पहली बकर आई है, सब कुछ छोड़ भी दे तो एक आश्वस्ति है कि यह संग्रह जीवंत और धड़कते दिल का सबूत है और कविता में होने का अर्थ
◆◆◆
"अब के जाओ तो छूकर देखना उन्हें
महसूस होगा मेरी सांसो का ताप
मेरी आवाज का कंपन
और वह रंग
जो मेल खाता है मेरे रंग से"
महसूस होगा मेरी सांसो का ताप
मेरी आवाज का कंपन
और वह रंग
जो मेल खाता है मेरे रंग से"
- पीले फूल
◆◆◆
"प्रेम उसकी सबसे कमजोर रग
जिसे बचा लेना चाहती है वह हर चोट से
सो ढाँके रखती है उसे तिरस्कार के आवरण से
तुम्हें हटाना होगा उस आवरण को
बिल्कुल वैसे जैसे हटाती है धूप
अंधेरे को धरती से"
जिसे बचा लेना चाहती है वह हर चोट से
सो ढाँके रखती है उसे तिरस्कार के आवरण से
तुम्हें हटाना होगा उस आवरण को
बिल्कुल वैसे जैसे हटाती है धूप
अंधेरे को धरती से"
- उसका लोहा
Book on the table
ज्योति देवास में रहती है इधर दो तीन वर्षों में उन्होंने बेहतरीन कविताएं लिखी है, रश्मि प्रकाशन से उनका संग्रह " प्रेम की वर्तनी " आया है, कल उन्होंने बड़े स्नेह से दिया है
मदन कश्यप जी ने आमुख लिखा है, अभी इतना ही - बाकी पढ़ने के बाद
शुभकामनाएं Jyoti Deshmukh
Comments