राष्ट्रहित सर्वोपरि
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Ravish ने आज लिखा है कि युवाओं ने फिर उनसे चिरौरी करना आरंभ कर दिया है कि नौकरियों का अकाल है, परीक्षा ले ली परिणाम नही आएँ या नियुक्तियां नही हो रही
मेरा सुझाव है कि बिल्कुल मदद नही करना चाहिए, कोई अर्थ नही है किसी को मदद करने का - ये लोग सौ जूते खाकर सिर्फ एक गिना जाये ही डिजर्व करते है
मैंने लोगों की मदद करना बंद कर दिया है - सीधा कहता हूँ अपने विधायक या सांसद के पास जाओ, अब ना किसी को राह दिखाता हूँ कि समग्र आईडी के लिए क्या करें या बीपीएल में नाम कैसे जुड़वाएँ या मनरेगा के पोर्टल पर कुछ नही दिखाता या आयुष्मान योजना का कार्ड हो या किसी की सामाजिक सुरक्षा पेंशन का आवेदन लिखता हूँ , अपने मित्रों या सम्पर्कों के सन्दर्भ देना भी बंद कर दिया है - यदि ज़्यादा ही कोई पीछे पड़ जाएं या जिद करें तो फीस मांगता हूँ , कोई समाजसेवा का धंधा नही खोल रखा है - ना ही किसी देशी - विदेशी संस्थान से फेलोशिप ख़ाकर भठियारखाना खोल रखा है घर में
जब भी कोई युवा नौकरी के लिये रिज्यूम भेजता है तो उसे स्पैम फोल्डर में डाल देता हूँ और अंत में एक साथ सिलेक्ट करके डिलीट कर देता हूँ , जिन मूर्खों को राष्ट्र, सत्ता, सरकार और पार्टी में फर्क नही मालूम और ऐसे गधों को जो बारहवीं से लेकर पीएचडी तक शिक्षित है - को तो बुरी तरह से झिड़क देता हूँ
फोकट की मदद करना बंद कर दिया है - ना कोई ग्रामीण भोला है, ना दलित और ना आदिवासी, ना महिला - ना बूढ़ा, ये सब लोग बेहद शातिर है, चतुर है और घाघ होने के साथ घिघौने है लिजलिजे और बासते हुए सेप्टिक टैंक की तरह
युवाओं की मदद तो बिल्कुल मत करो - इनकी जवानी बहुत उबल रही है क्योंकि इन्हें कश्मीरी लड़कियों से ब्याह करना है , श्रीनगर के लाल चौक पर कश्मीरी बेटियों के साथ बलात्कार करके "पोर्न हब" पर वीडियो अपलोड करना है, बाप कमाई से प्लाट लेना है, डल झील में छठ मनाना है
भाड़ में जाने दो, इन्हें कहिये कि अभी कांवड़ यात्रा करें एक माह और गाँजा भाँग चरस पीकर हुड़दंग मचाये, सितंबर में गणेशोत्सव और उसके बाद दुर्गाउत्सव में समय निकल ही जायेगा और साल के आखिर में राम मंदिर बनना शुरू हो जाएगा - वहाँ जाओ श्रमदान करने यह धर्म, देश और समाज की बड़ी मदद होगी
रहा सवाल इनके माँ - बाप का और बाकी शादी ब्याह का तो सरकार माँ , बाप को तीर्थाटन करवा ही देगी और मरने के बाद दो लकड़ी तो कोई दे ही जायेगा और शादी ब्याह करके करेंगे क्या - संगठन में जाओ - सांस्कृतिक गतिविधियों में शामिल हो वनवासी कल्याण में लगो अभी सौ वर्ष का जश्न मनाना है ना और फिर अपनी सरकार को नया संविधान लिखने में भी आपकी प्रखर मेधा बुध्दि की ज़रूरत है मित्रों
जय हिन्दू राष्ट्र
भामाकीजै
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याद रखना पिछली सरकार में और इस सरकार के अभी तक के महत्वपूर्ण निर्णयों में हिंदी का लेखक कहाँ बोला है, कहाँ चुप रहा है, कहाँ लाईक का खटका दबाया है और कहाँ बेख़ौफ़ हंसा है
समय आने दीजिये बताऊंगा सबके नाम और सबकी कारस्तानियां
आप निगाह रखिये कि कितना घटिया और छिछोरापन लेकर वह जानबूझकर प्रकट हुआ है ताकि उसकी राजनीति और कर्म छुप जाएं - वह दिल बहलाने वाली बेहद निम्न स्तर की पोस्ट्स लेकर आया है जिस पर तितलियां मंडराती रहें
हिंदी पत्रिकाओं के सम्पादकों पर नजर रखिये और संगठनों और संगठनों के आकाओं पर भी कि कैसे पुरस्कार बटोरने में वरिष्ठ कवि से लेकर संपादक लगे हुए है
हिंदी का प्रबुद्ध प्राध्यापक वर्ग भी कहाँ है नजर रखिये कि इनकी चाल, इनके गधे - घोड़े और मोहरे किसके इशारों पर चाल चल रहे हैं और ये खुद किन खोल में बैठकर अपने गणित बिठा रहें है
बाकी तो सब साफ ही है
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