उत्तराखंड हाई कोर्ट का फैसला और मोदी सरकार
लगता है किन्नर समाज की पेशवाई पूरे देश में ही निकल गयी आज
इस बीच उज्जैन में संतों की सिंहस्थ में बैठक हुई और यह तय हुआ कि शक्तिमान की आत्मा ने बेचारी भाजपा को सताने के लिए हाई कोर्ट जज की आत्मा में प्रवेश कर यह फैसला लिखवाया है, लिहाजा शिवराज जी राज्य मद से 5000 करोड़ अतिरिक्त खर्च कर शक्तिमान की आत्मा की शान्ति के लिए विशाल यज्ञ करेंगे और कैलाश जी को भी सदबुद्धि देने की दुआ करेंगे ।
ॐ शान्ति, ऊँ शान्ति, ऊँ शान्ति !!!
असल में गुजरात के बाहर भी देश है यह बाल नरेंद्र ने आसाम से लेकर लद्दाख और मेडिसिन स्क्वेयर से लेकर आस्ट्रेलिया में चाय बेचते समय देख लिया था, थोड़े से ये विश्वस्त लोग जैसे विस्मृति, कैलाश, अमित, नित्यानंद, नितिन, निहालचंद्र, शिवराज, वसुंधरा, रमण सिंह या योगीनाथ और साध्वी बहनें किशोरावास्था में मिल जाते तो गुजरात में दस साल बर्बाद नही करते और तीस - चालीस साल से वे इंग्लैण्ड की रानी की तरह इस जम्बू द्वीप के स्थाई प्रधानमन्त्री हो जाते और देश के राज्य ही खत्म हो जाते सिर्फ दिल्ली रहती और हम सब ।
अभी ठहरिये इनके ये लोग अच्छे दिन ला देंगे और 2019 के बाद मोदी जी को भारतीय पटल से गायब कर विश्व सम्राट बना देंगे।
भारत माता की जय !!!
तुसाद की गैलरी के लिए बना मोम का पुतला ही वास्तविक है, जिसे आज प्रचारित किया गया कि चार देशों में लगेगा। जिसे हम दो साल से झेल रहे है वो जानते है कौन है चाय वाला, बर्तन मांजने वाली का बेटा, मगरमच्छ पर नदी पार करने वाला, और बाकि तो आप सब जानते ही है ...... हे हे हे हे हे हे !!!
कैलाश विजयवर्गीय मप्र में तो शिवराज को खो नही दे पाये उत्तराखण्ड में क्या झंडे गाड़ेंगे, इन्हें घर भेजो हर जगह लठैती नही चलती दिमाग और क़ानून भी लगाना पड़ता है, आ जाओ गुरु तुम तो दशहरा मैदान पर ऋतुम्भरा के प्रवचन करवाओ बस वही ठीक है और वो गाना है ना जिस पर नाचते हो
छोटे छोटे भैया के !!
जिस अंदाज में न्यायपालिका तल्ख़ टिप्पणियाँ करके फैसले सुना रही है और कटाक्ष की भाषा में बात कर रही है, भोपाल में हुए देश के विद्वान् न्यायाधीशों की गुप्त मन्त्रणा में छटपटाहट दिख रही है वह कुल मिलाकर दिखाता है कि 16 मई 16 यानि दो साल के पहले ही घड़ा भर गया है।
कांग्रेस निश्चित ही विकल्प नही और इस समय कोई और कद्दावर नेता नजर नही आता पर मोदी की जो बेइज्जती इस समय हो रही है वह बेहद शर्मनाक है। एकाध "सेल्फ रिस्पेक्ट" वाला सच्चा देश प्रेमी होता तो इस्तीफा देकर संन्यास ले लेता।
कमाल है कि संघ के बौद्धिक टैंक इन्हें इतनी बेइज्जती , जो हर मोर्चे पर कमोबेश हो रही है साथ ही जनता भी परोक्ष रूप से विश्वास खो चुकी है, के बाद भी बर्दाश्त कर रहे है। क्या ये संघी टैंक खोखले हो चुके है या मानसिक दिवालिये या अमित शाह और मोदी की जोड़ी ने पूरे देश पर तानाशाही से कब्जा कर लिया है।
गम्भीर मुद्दा है, जनता के दरबार में लच्छेदार बोलना अलग पर अदालत में संविधानिक लड़ाई हारना किसी भी सरकार के लिए अपने आप में झांकना जरूरी हो जाता है। मोदी और शाह की जोड़ी ने संघ, जनसंघ और भाजपा के 70 साला मेहनत का कबाड़ा कर दिया, आडवाणी, अटल जी, जोशी जी और गोविंदाचार्य क्या सोचते होंगे इस पतन पर यह सोचने योग्य बात है।
अब कांग्रेस शासन के उदाहरण देकर कुतर्क ना करें और भाजपा को पुनर्जीवित करने का प्रयास करें।
मितरो, मैं बचपन से ही राष्ट्रपति शासन के खिलाफ था, माननीय अमित जी भाई शाह और कैलाश जी भाई विजयवर्गीय को भी यही कहा था पर हरीश रावत ने देश द्रोह किया और कांग्रेस ने हाई कोर्ट के जज को खरीदा और देश को भ्रम में रखा है। प्रणव मुखर्जी जी भी कांग्रेसी है मित्रों ....
यह संविधानिक संकट की घड़ी है, अभी अमेरिका जा रहा हूँ , बराक जी ओबामा से ज्ञान लेकर नवाज शरीफ जी भाई जान की बिरयानी खाकर लौटता हूँ तब तक सब जोर से बको
भारत माता की जय....
केसरिया बालमा, पधारो म्हारा देस रे ....
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ये है देश का तेजी से बढ़ता नंबर 1 का विश्वसनीय अखबार, यानि इतनी लापरवाही कि मुख पृष्ठ पर सुविचार में मात्रा भी ठीक से नही लगा सकते, क्या हिंदी का पूरा सत्यानाश करने का ठेका ले रखा है या #दैनिकभास्कर में तथाकथित पत्रकारों की फौज ऑक्सफ़ोर्ड या हॉवर्ड से पढ़कर आई है। लगता है गधों की भर्ती है और अग्रवाल बन्धुओं को अखबार को लेकर ज्यादा ही मुगालते हो गए हो।
छोड़ दो रे तुमसे ना हो पायेगा, तुम चापलूसी में रहो और नेता अधिकारियों की चरण सेवा करते रहो।
कमाल ये है कि बहुत अच्छे साहित्य के जानकार भी वहाँ चाकरी करते है फिर भी यह सब ??
वैसे जिज्ञासा है "भष्ट्र" कौनसी भाषा का शब्द है ?
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