New Page of Siddharth's Life with Snehal
Finally the appointed day came when our dearest & most affectionate and pride son of Naik Family Siddharth and Snehal's marriage took place in Dewas on 16 April 2016 at Srishti Club, what was the great event and wonderful program, Just a WOW........
Blessings for the newly married couple and all the very best for their up coming Future. Both works in Mumbai at senior positions in their Companies.
कुर्यात सदा मंगलम.......
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एक अखबार में तीन चार संपादक मुख पृष्ठ से लेकर आख़िरी तक छपे रोज रोज बिला नागा, स्तम्भकार एनजीओ वाले या एक्टिविस्ट्स हो और आसपास के मिलने वाले हो, ना स्तम्भ, ना आलेख बस एक भीड़ उन्ही लोगों की जिन्हें उपकृत और चमत्कृत किया जाना है, खबरें सप्ताह पुरानी हो और जानकारी भी सिर्फ कॉपी पेस्ट, और विचारधारा का टोटका और एकदम विचार शून्य, - तो वह कम से कम अखबार तो नही है मेरी नजर में, एक एनजीओ का न्यूज बुलेटिन या, किसी कारपोरेट का मासिक, अपने किसी बड़े स्वार्थ के लिए अखबार को माध्यम बनाकर प्रतिष्ठा प्राप्त करना, या किसी प्रयोजन विशेष के लिए इस तरह के कर्म में जुटे रहने की मजबूरी या फिर सत्ता के करीब होकर अपने सद्कार्यों को सफ़ेद करने की साजिश, बड़े व्यवसायिक कॉलेज चलाने में किये गोरख धंधों से बचाव की मुहीम या व्यापमं, 2 जी घोटालें या खनिज के धंधों से लगी कालिख बचाने की या बचने की सुविधाजनक तरकीब हो सकती है।
आजकल अधिकाँश अखबार, वेब पोर्टल इसी पैटर्न पर चल रहे है, बेहतर है छपने के मोह से दूर रहा जाए और पढ़ने की मेहनत बचाई जाए ताकि दिमाग में और अधिक जानकारियों के नाम पर कुछ जमा ना हो जाए, क्योकि चचा ने कहा है ना "और भी गम है जमाने में मुहब्बत के सिवाय" ।
पता नही संपादक नाम का चरित्र खो गया या मालिक की चाकरी करते करते अपनी अस्मिता, शब्दों की ताकत और जमीर भी खो बैठा है। सही है बाजार ने ज़िंदा रहने का बड़ा संघर्ष पैदा कर दिया है तो फिर नैतिकता और मूल्य की दुहाई देने से पेट नही ना भरेगा।
सम्बन्ध, दोस्ती, प्यार - मुहब्बत अपनी जगह और समझ और अभिव्यक्ति अपनी जगह !!! बुरा - भला लगे तो दो रोटी ज्यादा खा लेना, पर अपुन तो सबसे दूर रहकर लिखते समझते है, कबीरकुल के है ना अपुन - जो घर जाले आपणा, चले हमारे साथ।
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