पिछले दस दिनों से ग्रेटा गार्बो की याद आ रही है. ना, कभी मिला नहीं था उससे, लेकिन उसका चेहरा बहुत पसंद था. काफ़ी पहले पढ़ा था उसके बारे में. उसकी याद आ रही है यानी उसके बारे में पढ़ी किताब की याद आ रही है. बेतहाशा सुंदर इस अभिनेत्री ने जीवन में कई प्रेम किए. गार्बो हमेशा अकेले रहना चाहती थी. उसकी फिल्मों के वे संवाद बड़े लोकप्रिय होते थे, जिनमें वह अकेले होने की इच्छा जताती थी. 1920 के दशक में हॉलीवुड सुपरस्टार जॉन गिल्बर्ट के साथ हुआ उसका प्रेम सबसे चर्चित संबंध रहा. गिल्बर्ट से प्रेम उसके अकेलेपन में बाधा था. एक दिन उसने अकेलेपन को चुना. गिल्बर्ट चला गया. उसके बाद उसने और भी कई लोगों से प्रेम किए. जब अकेलापन भारी पड़ जाता, नया प्रेम कर लेती. प्रेम अकेलेपन पर भारी पड़ने लगता, तो प्रेम को ख़त्म कर देती. अंतत: वह अकेलेपन को चुनती. मृत्यु तक वह अकेली ही रही.
उनके जीवन से प्रेम चला जाता है, जो प्रेम पर किसी और चीज़ को वरीयता देते हैं. प्रेम को सेकंडरी होना पसंद नहीं. किसी के लिए उसकी जि़द प्रेम से बड़ी है, किसी के लिए उसका झूठ प्रेम से बड़ा है और किसी के लिए उसके विचार प्रेम से बड़े हैं. प्रेम बहुत बारीकी से आपका एक-एक चुनाव देखता है, बार-बार चेतावनी देता है और एक दिन चला जाता है, इस तरह जाता है कि दुबारा आने की गुंजाइश बनी रहे.
(ऐसा ही मुनरो के जीवन में भी हुआ था, वह कहानी फिर सही.)
उनके जीवन से प्रेम चला जाता है, जो प्रेम पर किसी और चीज़ को वरीयता देते हैं. प्रेम को सेकंडरी होना पसंद नहीं. किसी के लिए उसकी जि़द प्रेम से बड़ी है, किसी के लिए उसका झूठ प्रेम से बड़ा है और किसी के लिए उसके विचार प्रेम से बड़े हैं. प्रेम बहुत बारीकी से आपका एक-एक चुनाव देखता है, बार-बार चेतावनी देता है और एक दिन चला जाता है, इस तरह जाता है कि दुबारा आने की गुंजाइश बनी रहे.
(ऐसा ही मुनरो के जीवन में भी हुआ था, वह कहानी फिर सही.)
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