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गांधी जयंती पर प्रलाप.........

ये वही देश है जहां गांधी जी ने जन्म लिया काम किया और देश को आजादी दिलाई.......और हमने क्या किया ६५ बरसो में देश का कबाडा किया, बेच दिया, लोगो के जीवनस्तर को ३२ और २५ रूपये तक ले आये शर्म भी नहीं आती मुझे और हमें कि हम अभी भी गांधी जयंती मनाने का माद्दा रख रहे है खादी धारियों ने देश को निपटा ही दिया है बस आज तो सारा देश अफसोस कर रहा है कि साली गांधी जयंती रविवार के दिन क्यों आ गयी एक छुट्टी बर्बाद हो गयी....सही है भाई......"वैष्णव जन तो तेने कहिये पीर पराई जानिये...."
और रहा सवाल लाल बहादुर शास्त्री का तो अब कितने भी घोटाले हो या दुर्घटनाएं हमारे मंत्रियो को कहा शर्म है कि इन "छोटी" बातों पर इस्तीफा दे अब तो जेल में जाकर भी इन नामुरादों को सुविधाएँ चाहिए चाहे राजा हो या कलमाडी....दरअसल में शास्त्री जी समझ के कच्चे थे इसलिए एक रेल दुर्घटना पर इस्तीफा दे दिया वरना आज अनिल और सुनील शास्त्री के पास अकूत संपत्ति होती और वे भी वंशवाद की बदौलत देश पर राज कर रहे होते ..... गांधी और शास्त्री दो ऐसे लोग है जिन्हें हर बार अलग अलग तरीके से समझा गया पर साला जनता और देश भक्ति को कोई इनमे से निकाल नहीं पाया और आज के नेताओं में इन दो के अलावा सब है बिके और टूटे हुए लोग देश नहीं चला सकते....अफसोस हमारे पास सिर्फ अन्ना जैसे विकल्प ही बचे है.......

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