एकलव्य देवास के साथी जिसके साथ उम्र के लगभग एक दशक तक काम किया साक्षरता से लेकर कबीर ओर अम्बेडकर मंच तक का काम खूब घूमे फिरे ओर नाटक गाना ओर ढेरो काम किये ऐसे साथी दिनेश शर्मा का आज निधन हो गया, दिनेश लंबे समय से बीमार थे ओर आज उनके चले जाने से में बहुत अकेला महसूस कर रहा हूँ ओर रवि से बात करके तो ओर काँप गया हूँ , वो कह रहा था हम सब अब उम्र की ढलान पर है ओर एसी खबर कब किसकी मिल जाए पता नहीं, दिनेश को सच में श्रदांजलि ओर उसके कामो को सलाम.
आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत...
Comments
*
रवि ने सही ही कहा है कि अब हम अपनी जिन्दगी जी चुके हैं,हममें से किसी के बारे में भी ऐसी खबर किसी भी दिन ब्रेकिंग न्यूज बन सकती है।